-कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी का दावा
-बयान में नहीं दी पूरी कार्यप्रणाली की जानकारी
कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने दावा किया है कि दूसरे राज्यों में फंसे मजदूरों को अपने गृह प्रदेश पहुंचाने के लिए उनके रेल टिकट का खर्च कांग्रेस पार्टी उठाएगी। केंद्र सरकार विभिन्न राज्यों में फंसे प्रवासी मजदूरों को उनके गृह राज्य वापस भेजने के लिए श्रमिक स्पेशल ट्रेनें चला रही है। लेकिन इसके लिए मजदूरों को अपनी जेब से किराया चुकाना पड़ रहा है। कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने सोमवार को जारी बयान में कहा कि विदेश में फंसे भारतीयों को मुफ्त में वापस लाया गया लेकिन कामगारों से किराया वसूला जा रहा है।
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ऐसे में पार्टी ने फैसला लिया है कि हर राज्य की प्रदेश कांग्रेस कमेटी की इकाई हर जरूरतमंद श्रमिक और कामगार के घर लौटने के लिए रेल यात्रा का टिकट खर्च वहन करेगी और जरूरी कदम उठाएगी। बयान में कहा गया है कि श्रमिक व कामगार देश की रीढ़ की हड्डी हैं। उनकी मेहनत और कुर्बानी राष्ट्र निर्माण की नींव है। सिर्फ चार घंटे के नोटिस पर लॉकडाऊन करने के कारण लाखों श्रमिक व कामगार घर वापस लौटने से वंचित रह गए।
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बयान में आगे कहा गया है कि 1947 के बंटवारे के बाद देश ने पहली बार यह दिल दहलाने वाला मंजर देखा है। हजारों श्रमिक व कामगार सैकड़ों किलोमीटर पैदल चल घर वापसी के लिए मजबूर हो गए। न राशन, न पैसा, न दवाई, न साधन, पर केवल अपने परिवार के पास वापस गांव पहुंचने की लगन है। उन्होंने पूछा है कि देश और सरकार का कर्तव्य क्या है? आज भी लाखों श्रमिक व कामगार पूरे देश के अलग अलग हिस्सों से घर वापस जाना चाहते हैं, पर न साधन हैं, और न पैसा।
सोनिया गांधी ने कहा है कि उनकी पार्टी मजदूरों के टिकट का खर्च उठाएगी। भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस ने मेहनतकश श्रमिकों व कामगारों की इस निशुल्क रेलयात्रा की मांग को बार बार उठाया है। लेकिन सरकार और रेल मंत्रालय ने नहीं सुनी। इसलिए अब भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस ने यह निर्णय लिया है कि प्रदेश कांग्रेस कमेटी की हर इकाई हर जरूरतमंद श्रमिक व कामगार के घर लौटने की रेल यात्रा का टिकट खर्च वहन करेगी। इसके साथ ही दूसरे जरूरी कदम उठाए जाएंगे।
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मोदी सरकार पर निशाना साधते हुए कांग्रेस अध्यक्ष ने कहा कि दुख की बात यह है कि भारत सरकार व रेल मंत्रालय इन मेहनतकशों से मुश्किल की इस घड़ी में रेल यात्रा का किराया वसूल रहे हैं। श्रमिक व कामगार राष्ट्रनिर्माण के दूत हैं। जब हम विदेशों में फंसे भारतीयों को अपना कर्तव्य समझकर हवाई जहाजों से निशुल्क वापस लेकर आ सकते हैं। जब हम गुजरात के केवल एक कार्यक्रम में सरकारी खजाने से 100 करोड़ रुपये ट्रांसपोर्ट व भोजन आदि पर खर्च कर सकते हैं। जब रेल मंत्रालय प्रधानमंत्री के कोरोना फंड में 151 करोड़ रुपये दे सकता है। तो फिर तरक्की के इन ध्वजवाहकों को आपदा की इस घड़ी में निशुल्क रेल यात्रा की सुविधा क्यों नहीं दी जा सकती?
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मोदी सरकार की नीयत पर उठाए सवाल
कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने केंद्र की मोदी सरकार की नीयत पर सवाल उठाए हैं। उन्होंने पूछा कि जब रेल मंत्रालय 151 करोड़ रूपये की राशि पीएम कयर्स फंड में दे सकता है तो गरीब मजदूरों को अपने घरों तक भेजने के लिए निःशुल्क रेल यात्रा की सुविधा क्यों नहीं दे जा सकती? मोदी सरकार की नीयत पर सवाल इसलिए भी उठ रहे हैं कि विदेशों से हवाई यात्रा के द्वारा अमीरों को तो देश में विशेष विमानों से लाया गया, लेकिन देश में ही विभिन्न इलाकों में फंसे लोगों को अपने घर पहुंचाने के लिए मोदी सरकार राज्य सरकारों और गरीब मजदूरों से पैसा मांग रही है।
पहले भी विदेशों से लाती रही सरकार
कोरोना महामारी फैसले से पहले भी केंद्र सरकार विदेशों में फंसे हुए लोगों को हवाई यात्रा के द्वारा मुफ्त में स्वदेश लाती रही है। 2014 से पहले और बाद में ऐसा कई बार किया गया है, जब सैकड़ों की संख्या में भारतीयों को विदेश से वापस लाया गया। लेकिन देश के विभिन्न हिस्सों में फंसे लोगों को लॉकडाउन के दौरान उनके घर तक पहुंचाने के लिए गरीब मजदूरों से रेल टिकट के पैसे मांगे जा रहे हैं। आश्चर्य की बात है कि मोदी सरकार और उसका रेल मंत्रालय ऐसे समय में मजदूरों से रेल टिकट के पैसे मांग रहा है, जब करीब डेढ़ महीने से ज्यादातर मजदूरों को न काम मिला और नाही मजदूरी। जबकि कामगार तबका लॉकडाउन के दौरान बंदिशों की मार झेलने के लिए मजबूर हैं।
सोनिया के बयान में स्पष्ट नहीं दिशानिर्देश
लॉकडाउन की मार झेल रहे कामगारों के लिए कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी का निःशुल्क रेल यात्रा कराने का बयान अंधेरे में रोशनी के दिए की तरह महसूस हो रहा है। लेकिन उन्होंने अपने बयान में यह स्पष्ट नहीं किया है कि कामगारों को कांग्रेस की राज्य इकाईयों के कार्यालय में जाकर संपर्क करना होगा या कांग्रेस पार्टी ने कोई हेल्प लाइन जारी की है। अथवा रेल यात्रा के लिए टिकट पाने के लिए कामगारों को क्या करना होगा। सोनिया गांधी ने अपने बयान में यह भी स्पष्ट नहीं किया है कि कांग्रेस की कौन कौन सी राज्य इर्काइयां मजदूरों को उनके गृह राज्य भेजने के लिए रेल टिकट उपलब्ध कराएंगी। बयान में यह भी स्पष्ट नहीं है कि किस श्रेणी के कामगार कांग्रेस पार्टी की मदद का लाभ उठा सकते हैं? कांग्रेस अध्यक्ष ने अपने बयान में यह भी स्पष्ट नहीं किया है कि राज्य इकाईयों की ओर से क्या कोई विशेष काउंटर शुरू किए गए हैं? क्योंकि हर राज्य में लाखों की संख्या में मजदूर-कामगार अब भी फंसे हुए हैं। ऐसे में इतनी बड़ी संख्या में मजूदरों को डील करने के लिए कांग्रेस पार्टी की राज्य इकाईयां किस तरह से काम करेंगी? इतनी सारी किंतु-परंतु के बाद यही माना जा रहा है कि कांग्रेस अध्यक्ष का यह बयान केवल राजनीतिक चर्चा के लिए जारी किया गया है