कोरोना के बाद डेंगू के डंक डर… तैयारियों में पिछड़ा नगर निगम

-मच्छरों से निपटने को नहीं बन पाई रणनीति, फॉगिंग और छिड़काव भी नहीं हुआ शुरू
-नॉर्थ डीएमसीः कोरोना के काम में लगाए डीबीसीकर्मी, लेकिन नहीं दिया ईएसआई कार्ड
-शीर्ष अधिकारियों ने जोन के डीसी व डीएचओ को दिए फर्जी रिपोर्ट तैयार करने के आदेश

टीम एटूजैड/ नई दिल्ली
कोरोना के बाद दिल्ली वालों पर डेंगू की दोहरी मार पड़ सकती है। दिल्ली के नगर निगम बरसात से पहले की जल एवं मच्छरजनित बीमारियों से निपटने की तैयारियों में पिछड़ गए हैं। सबसे ज्यादा खस्ता हालत उत्तरी दिल्ली नगर निगम की है। यहां निगम के आला अधिकारियों ने डीबीसीकर्मियों को स्वास्थ्य विभाग के अन्य कर्मियों के साथ कोरोना की ड्यूटी पर लगा दिया है। इसकी वजह से डीबीसीकर्मी आपना ब्रींडिंग चैकिंग का मूल काम नहीं कर पा रहे हैं। निगम स्वास्थ्य विभाग के एक अधिकारी का कहना है कि दबाव के बाद उत्तरी दिल्ली नगर निगम के शीर्ष अधिकारियों ने सभी जोन के उपायुक्तों और स्वास्थ्य विभाग के डीएचओ को ब्रीडिंग चैकिंग और फॉगिंग आदि की फर्जी रिपोर्ट तैयार कराने के लिए कहा है।

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बता दें कि इस बार पहले के मुकाबले अप्रैल और मई महीनों में अधिक बारिश हुई है। इसकी वजह से कोरोना की मार झेल रहे दिल्ली वालों को मच्छरों के प्रकोप का भी सामना करना पड़ रहा है। लेकिन डीबीसीकर्मियों के स्वास्थ्य विभाग के साथ कोरोना की ड्यूटी में लगे होने की वजह से तेजी से पनपते मच्छरों पर निगम अधिकारियों का कोई ध्यान नहीं जा रहा है। डीबीसीकर्मी एसोसिएशन के अध्यक्ष अशोक चौधरी ने बताया कि हमारे सभी डीबीसी कर्मचारी कोरोना वॉरियर्स बनकर काम कर रहे हैं। क्वारंटाइन सेंटर्स से लेकर हर तरह की जांच आदि में उनकी भागीदारी है। हर जोन के स्तर पर उन्हें इसी काम में लगाया गया है।

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अशोक चौधरी ने बताया कि डीबीसी कर्मियों की कई महीनों की सेलरी रूकी है, फिर भी वह अपनी ड्यूटी निभा रहे हैं। चौधरी ने माना कि कोरोना की ड्यूटी में लगे होने की वजह से डीबीसी कर्मचारी अपना मूल काम नहीं कर पा रहे हैं। मच्छर मारने के लिए फॉगिंग या दवाईयों आदि के छिड़काव आदि का काम नहीं हो पा रहा है। दूसरी ओर उत्तरी दिल्ली नगर निगम के स्वास्थ्य विभाग के एक अधिकारी ने बताया कि जल एवं मच्छरजनित बीमारियों से बचाव के लिए नगर निगम कोई तैयारी नहीं कर पाया है। निगम के पास छिड़काव के लिए दवाईयां तक नहीं हैं।

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1535 डीबीसीकर्मियों पर लटकी तलवार
दिल्ली के तीनों नगर निगमों में साढ़े तीन हजार से ज्यादा डीबीसी कर्मचारी काम करते हैं। इनका मूल काम जल एवं मच्छरजनित बीमारियों से दिल्ली वालों को बचाना है। इसके लिए यह कर्मचारी फॉगिंग से लेकर मच्छर और कीटनाशक दवाईयों को छिड़काव करते हैं। इसके साथ ही मच्छरों की ब्रीडिंग रोकने संबंधी जांच और उपाय करते हैं। दक्षिणी दिल्ली में 1360, पूर्वी दिल्ली में 710 और उत्तरी दिल्ली में सबसे ज्यादा 1535 डीबीसी कर्मचारी काम कर रहे हैं। आश्चर्य की बात है कि दक्षिणी और पूर्वी दिल्ली नगर निगमों में डीबीसी कर्मियों को समय पर वेतन दिया जा रहा है। लेकिन उत्तरी दिल्ली नगर निगम में सबसे ज्यादा डीबीसी कर्मचारियों के सिर पर स्वास्थ्य और सेलरी की तलवार लटकी है।

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नॉर्थ डीएमसी में नहीं मिला ईएसआई कार्ड
उत्तरी दिल्ली नगर निगम के शीर्ष अधिकारियों ने डीबीसी कर्मचारियों को कोरोना के साथ लड़ाई में जुटा रखा है। लेकिन उनके स्वास्थ्य की चिंता निगम के आला अधिकारियों को नहीं है। दक्षिणी दिल्ली नगर निगम ने अपने 1360 और पूर्वी दिल्ली नगर निगम ने अपने 710 डीबीसीकर्मियों के स्वास्थ्य को ध्यान में रखते हुए ईएसआई कार्ड जारी कर दिए हैं। लेकिन उत्तरी दिल्ली नगर निगम के वरिष्ठ अधिकारी इस काम में भी हाथ पर हाथ धरे बैठे हैं। कोरोना जैसी महामारी का सामना कर रहे डीबीसी वर्कर्स को यहां ईएसआई कार्ड नहीं दिया गया।

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कोर्ट के आदेश को निगम अधिकारियों ने नकारा
उत्तरी दिल्ली नगर निगम के वरिष्ठ अधिकारियों की लापरवाही कहें या फिर मनमानी कि उन्होंने डीबीसी कर्मचारियों के मामले में कोर्ट के आदेश को भी नकार दिया है। डबीसी कर्मचारियों की एसोसिएशन के अध्यक्ष अशोक चौधरी का कहना है कि दिल्ली हाई कोर्ट ने दिसंबर 2019 में फैसला सुनाया था कि डीबीसी कर्मचारियों को नगर निगम के द्वारा बेलदारों बराबर वेतन दिया जाएगा। लेकिन इस तरफ निगम कमिश्न और दूसरे अधिकारियों को काई ध्यान नहीं गया।
आम लोगों की राय
वरिष्ठ सामाजिक कार्यकर्ता विकास त्यागी का कहना है कि नगर निगम की सत्ता में बैठे भारतीय जनता पार्टी के नेता दिल्ली वालों के हित में काम नहीं कर पा रहे हैं। यह नेता नगर निगम के अधिकारियों की मनमानी पर भी अंकुश नहीं लगा पा रहे हैं। दिल्ली में मच्छरों की समस्या लगातार बढ़ती जा रही है। लेकिन नगर निगम की ओर से कोई उपाय नहीं किए जा रहे। निगम के अधिकारी और बीजेपी नेता केवल ट्विटर और सोशल मीडिया पर ही एक्टिव हैं। यह लोग जमीन पर आकर लोगों के लिए कोई काम नहीं कर रहे। अभी तक दिल्ली में फॉगिंग और मच्छर मारने की दवाईयों का छिड़काव तक नहीं कराया गया।
पुरानी दिल्ली के चांदनी चौक के लालकुआं इलाके में रहने वाले सामाजिक कार्यकर्ता नफीस ने कहा कि रमजान का पवित्र महीना चल रहा है। मच्छरों की संख्या बहुत ज्यादा बढ़ गई है। लेकिन नगर निगम के बड़े अधिकारी कोई ध्यान नहीं दे रहे। उन्होंने कहा कि नगर निगम कोई काम नहीं कर रहा। न दवाईयां छिड़की जा रही हैं और नाही फॉगिंग की जा रही है। अभी लोग कोरोना से मर रहे हैं, लेकिन नगर निगम के बड़े अधिकारियों की लापरवाही से आने वाले दिनों में लोगों को मच्छरों से फैलने वाली बीमारियों का सामना करना पड़ेगा।
आड़े आ रहा बीजेपी नेताओं का भ्रष्टाचारः अवस्थी
आम आदमी पार्टी के प्रवक्ता हरीश अवस्थी ने कहा कि उत्तरी दिल्ली नगर निगम की आयुक्त वर्षा जोशी ऐसे ही मनमानी नहीं कर रही हैं। वह जानती हैं कि निगम की सत्ता में बैठे बीजेपी के पार्षद खुद ही भ्रष्ट हैं। पिछले दिनों मेयर को लेकर बिल्डर की गाड़ी वाला विवाद खूब छाया रहा था। उनसे पहले के महापौर भी भ्रष्टाचार के मामले में खूब बदनाम रही हैं। इनके अलावा बीजेपी के करीब 90 फीसदी पार्षद भ्रष्टाचार में डूबे हुए हैं। ऐसे में बीजेपी ने निगम आयुक्त को भी कुछ नहीं कर सकते।
बड़ी शर्म की बात है कि बाकी नगर निगमों ने डीबीसी कर्मचारियों को ईएसआई कार्ड बनाकर दे दिए लेकिन उत्तरी दिल्ली नगर निगम नहीं दे पाया। इसके लिए सीधे तौर पर निगम आयुक्त जिम्मेदार हैं। बीजेपी नेता दिल्ली सरकार पर आरोप लगाते रहते हैं, लेकिन खुद के गिरेवान में नहीं झांकते कि उनका नगर निगम एक काम भी ठीक ढंग से नहीं कर पा रहा। यदि बीजेपी नेताओं में दम है और वह सही ढंग से नगर निगम को चलाना चाहते हैं तो निगम आयुक्त की शिकायत करके दिखाएं।