तीन लेडी किलर्स ने मचाई थी दिल्ली दंगों में तबाही!

-तीन आरोपी महिलाएं दिल्ली पुलिस की गिरफ्त में
-तीनों के खिलाफ यूएपीए एक्ट के तहत कार्रवाई

टीम एटूजैड/ नई दिल्ली
इस साल फरवरी में उत्तर पूर्वी दिल्ली में हुए मजहबी दंगों में लेडी किलर्स ने तबाही मचाई थी। दिल्ली पुलिस ने अब तक ऐसी तीन महिलाओं को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया है। दिल्ली दंगों की जांच कर रही टीम ने वैसे तो अब तक करीब एक दर्जन लोगों के खिलाफ जेल भेजने की कार्रवाई की है। लेकिन खास बात है कि इसमें तीन पढ़ी-लिखी महिलाओं की गिरफ्तारी की गई है। यह तीनों ही नाम आजकल विशेश तौर पर चर्चा में हैं। दिल्ली पुलिस की क्राइम ब्रांच ने अब तक आम आदमी पार्टी के निलंबित निगम पार्षद ताहिर हुसैन, जेएनयू के पूर्व छात्र उमर खालिद, भजनपुरा में रहने वाले मोहम्मद दानिश, जामिया मिललिया के छात्र मीरान हैदर व जामिया मिलिया की एलुमनाई एसोसिएशन के अध्यक्ष सिफा उर-रहमान और कांग्रेस के कार्यकर्ता खालिद सैफी को अलग अलग मामलों में दंगे भड़काने के आरोप में गिरफ्तार किया है। इनके अलावा गोली चलाते हुए सरेआम एक कांस्टेबल पर पिस्टल तानने वाले षाहरूख को भी उसके दो दंगाई साथियों के साथ पहले ही दंगों के आरोप में जेल भेजा जा चुका है।

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इनके अलावा तीन महिलाओं के नाम दिल्ली दंगों में लेडीज किलर के रूप उभरे हैं। जी हां, इन तीन महिलाओं को दिल्ली पुलिस की क्राइम ब्रांच ने अन्य दंगाईयों के साथ गिरफ्तार करके जेल भेज दिया है। इनके ऊपर दंगों के द्वारा दिल्ली में कत्लेआम मचाने का आरोप है। इनमें पहला नाम दिल्ली के जामिया मिलिया इस्लामिया विश्वविद्यालय की छात्रा सफूरा जारगर का है। सफूरा के खिलाफ दिल्ली पुलिस ने कई धाराओं में एफआईआर दर्ज की है। फिलहाल टुकड़े टुकड़े गैंग सोशल मीडिया पर सफूरा के समर्थन में अभियान चला रहा है। उसे मासूम साबित करने की कोशिश की जा रही है… लेकिन दिल्ली पुलिस की मानें तो सफूरा जारगर दिल्ली दंगों में हुई 50 से ज्यादा मौतों के लिए जिम्मेदार है। इन दंगों के पीछे बहुत बड़ी साजिश थी। और सफूरा इसकी एक अहम कड़ी थी। दिल्ली पुलिस का दावा है कि दंगों के दौरान सफूरा चांदबाग में दंगाईयों के साथ मौजूद थी।

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उस पर आरोप है कि सफूरा सीएए विरोधी आंदोलन के नाम पर लोगों को लगातार भड़का रही थी। उस पर यह भी आरोप है कि 22 फरवरी की रात को सीएए के विरोध के नाम पर बहुत सी महिलाएं जाफराबाद मेट्रो स्टेशन के नीचे बैठ गई थीं। उसी दौरान सफूरा भारी हिंसक भीड़ को लेकर वहां पहुंची और दिल्ली को दंगों की आग में झोंकने की साजिश रची। सफूरा पर लगे आरोपों की गंभीरता का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि कई बार की कोशिशों के बावजूद दिल्ली हाई कोर्ट ने सफूरा को जमानत नहीं दी है। दिल्ली पुलिस ने सफूरा को 12 अप्रैल 2020 को गिरफ्तार किया था। सफूरा पर दंगे भड़काने की धाराओं के साथ ही गैर कानूनी गतिविधियां रोकथाम कानून यानी कि यूएपीए की धाराओं में भी कार्रवाई की गई है।
लेडी किलर्स में दिल्ली दंगों से जुड़ी दूसरी महिला का नाम इशरत जहां है। इशरत जहां कांग्रेस की नेता है और पूर्व में पार्षद रही है। इशरत को शाहदरा जिला के जगतपुरी इलाके में हुए दंगों के मामले में गिरफ्तार किया गया है। इसमें इशरत के साथ खालिद सैफी, समीर प्रधान, सलीम, शरीफ, अजार उर्फ भूरा, इशाक, हाजी इकबाल, हासिम, समीर, बिलाल आदि को भी आरोपी बनाया गया है। इशरत के खिलाफ दंगे भड़काने, हत्या का प्रयास, घातक हथियार रखने, सरकारी काम में बाधा और आर्म्स एक्ट के साथ गैर कानूनी गतिविधियां रोकथाम कानून की गंभीर धाराओं में एफआईआर दर्ज की गई है। घटना 26 फरवरी 2020 की है, उस समय पुलिस द्वारा मार्च निकाला जा रहा था। एफआईआर के मुताबिक पुलिस ने लोगों से वहां से हटने के लिए कहा तो इशरत जहां ने भीड़ को उकसाते हुए कहा था कि हम चाहे मर जाएं लेकिन यहां से नहीं हटेंगे।

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चाहे पुलिस कुछ भी कर ले, हम आजादी लेकर रहेंगे इसके बाद विरोध प्रदर्शन में षामिल भीड़ बेकाबू हो गई थी और पुलिस और दूसरे लोगों पर पत्थरबाजी के साथ गोलियां भी चलाई गई थीं। इस घटना में दिल्ली पुलिस का जवान विनोद व कुछ दूसरे लोग घायल हो गए थे। इशरत जहां ने जिस स्थान पर प्रोटेस्ट कर रही थीं वहां से पुलिस ने तीन खाली कारतूस, तीन हॉकी, दो आयरन रॉड और कुछ पत्थरों के टुकड़े बरामद किए हैं। इशरत जहां पर लगे आरोपों की गंभीरता का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि कोर्ट ने उसे अभी तक जमानत नहीं दी है।
दिल्ली दंगों में लेडी किलर्स के रूप में उभर कर आने वाला तीसरा नाम गिलफ्शा फातिमा का है। फातिमा किरोड़ीमल कॉलेज की पूर्व छात्रा है। दिल्ली पुलिस ने उसे भी गंभीर धाराओं के तहत गिरफ्तार किया है। आरोप है कि उसने सीएए के विरोध के नाम पर लोगों को भड़काया था। इसकी वजह से दिल्ली में दंगे भड़के थे। इन दंगों में करीब पांच दर्जन लोगों की जान चली गई थी। इन सभी आरोपियों के खिलाफ दिल्ली पुलिस ने गैर कानूनी गतिविधियां रोकथाम अधिनियम यानी यूपीयूए की धारा 13, 16, 17 व 18 भी लगायी हैं। एफआईआर में कहा गया है कि उत्तर पूर्वी दिल्ली में कराए गए दंगे सोची समझी साजिष का हिस्सा थे। साजिश के तहत हीं अवैध हथियार, पेट्रोल बम, तेजाब की बोतलें, गिलोल और पत्थर आदि कई घरों में इकट्ठे कर लिए गए थे।
क्राइम ब्रांच के आला अधिकारियों के मुताबिक सभी आरोपियों के खिलाफ गैर कानूनी गतिविधियां रोकथाम कानून के साथ आईपीसी की धारा 147 (दंगा करना), धारा 148 (घातक हथियारों के साथ दंगों में शामिल होना), धारा 149 (गैर-कानूनी रूप से इकट्ठा होना या लोगों को इकट्ठा करना), धारा 186 (सरकारी अधिकारी के काम में बाधा डालना), धारा 353 (सरकारी कर्मचारी पर हमला करना), धारा 332 (जानबूझ कर सरकारी कर्मचारी को नुकसान पहुंचाना), धारा 307 (हत्या का प्रयास करना), धारा 149 (गलत नीयत से भीड़ को उकसाना), धारा 34 (अपराध को अंजाम देने के लिए लोगों के साथ इकट्ठा होना) और अवैध हथियारों के लिए आर्म्स एक्ट की धाराएं लगाई गई हैं। कुछ लोगों के खिलाफ धारा 302 के तहत हत्या के मामले भी दर्ज किए गए हैं।