-सीएफडब्लू कर्मचारी को सजा बतौर एक जोन से दूसरे जोन में भेजा
-18 अप्रैल को ट्रांसफर किया, लेकिन 21 अप्रैल को जारी किया मेमो
टीम एटूजैड/ नई दिल्ली
दक्षिणी दिल्ली नगर निगम में अधिकारियों के हौसले बुलंद हैं। लेकिन अच्छे कामों को लेकर नहीं बल्कि गलत कामों के लिए। हाल ही में दक्षिणी दिल्ली नगर निगम में बड़े पार्किंग घोटाले का सनसनीखेज खुलासा हुआ है। अब ताजा मामला पश्चिमी क्षेत्र यानी (वेस्ट जोन) का है। जिन कोरोना वॉरियर्स को खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सम्मानित करने की बात करते हैं, उन्हीं में से एक व्यक्ति को उसके डिप्टी हेल्थ ऑफिसर ने केवल इसलिए सजा दे दी, क्योंकि उसे इलाके को सैनेटाइज करने के लिए लोगों ने सम्मानित किया था। लॉकडाउन के दौरान अधिकारियों द्वारा जमकर मनमानियां की गई हैं, जो अब खुलकर सामने आने लगी हैं।
सामान्यतौर पर किसी भी विभाग में सजा देने और मेमो देने का काम एक साथ नहीं किया जाता है। लेकिन इस मामले में स्वास्थ्य (मलेरिया) विभाग के अधिकारियों का विशेष लगाव था। इसलिए पहले उस व्यक्ति को सजा दी गई, जिसे लोगों ने अच्छे काम के लिए सम्मानित किया था। इसके बाद उसे उस बात के लिए नोटिस जारी किया गया, जिस बात के लिए वह जिम्मेदार ही नहीं है।
पीड़ित राजकुमार पहले दक्षिणी दिल्ली की महापौर सुनीता कांगड़ा के वार्ड मादीपुर में कार्यरत था। शिकायत के मुताबिक राजकुमार इलाके में सैनेटाइज करने का काम अच्छी तरह से कर रहा था। इसी दौरान इलाके के कुछ लोगों ने उसे अपनी जिम्मेदारी अच्छी तरह से निभाने के लिए फूल मालाओं से सम्मानित किया।
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इसी दौरान राजकुमार को सम्मानित करने की एक फोटो दिल्ली के एक समाचार पत्र में 14 अप्रैल को प्रकाशित हो गई। सम्मानित किए जाने की उसकी फोटो के प्रकाशित होने से अधिकारी इतने भन्ना गए कि वेस्ट जोन के डीएचओ सौरभ मिश्रा ने सजा के तौर पर उसका तबादला तुरंत प्रभाव से मादीपुर से हटाकर बिंदापुर कर दिया। राजकुमार के ट्रांसफर का आदेश 18 अप्रैल 2020 को जारी कर दिया और उसे तुरंत संबंधित वार्ड में जाकर काम करने के लिए कहा गया। संबंधित अधिकारी ने एटूजैड न्यूज को बताया कि राजकुमार का ट्रांसफर मेयर के कहने पर किया गया है।
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सजा देने के चार दिन बाद पूछा कारण बताओ
दक्षिणी दिल्ली के अधिकारियों की मनमानी का सिलसिला यहीं नहीं रूका। पश्चिमी क्षेत्र के संबंधित डीएचओ ने राजकुमार के तबादले का आदेश 18 अप्रैल 2020 को जारी किया था। लेकिन 14 अप्रैल को प्रकाशित हुए फोटो और खबर का संज्ञान लेते हुए डीएचओ ने राजकुमार के तबादले के बाद उसे 21 अप्रैल को मेमो भी थमा दिया। इस मेमो में उसे दो दिन में इस बात का स्पष्टीकरण देने के लिए कहा गया कि वह मीडिया के साथ संपर्क करने के लिए एंटाइटिल नहीं है तो उसने ऐसा क्यों किया?
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अधिकारियों व नेताओं की बंदरबांट के खुलासे की सजा!
बताया जा रहा है कि राजकुमार ने दक्षिणी दिल्ली नगर निगम के कई अधिकारियों और निगम के नेताओं की मिलीभगत के जरिए बंदरबांट के खुलासे किए हैं। यही कारण है कि उसे बार-बार एक जोन से दूसरे जोन ट्रांसफर कर दिया जाता है। राजकुमार ने डीएचओ सौरभ मिश्रा पर कई तरह के गंभीर आरोप लगाए हैं।
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सम्मानित करने वाले लोग व संस्थाएं कराती हैं प्रकाशन
आम तौर पर जो लोग इस तरह के सामाजिक कार्य करते हैं, काम करने वालों को सम्मानित करते हैं, वही लोग इस तरह के फोटो आदि भी समाचार पत्रों में प्रकाशित कराते हैं। छापी गई खबर में कहीं भी राजकुमार का इस तरह का बयान नहीं है, जिससे दक्षिणी दिल्ली नगर निगम की छवि खराब होती हो। अब सवाल यह है कि उसे मेमो देने के पीछे संबंधित अधिकारियों की मंशा क्या है।