-कांग्रेसी विधायक परगट सिंह व फतेह जंग सिंह उतरे सीएम अमरिंदर सिंह के खिलाफ मैदान में
-मामला गरम देख नवजोत सिंह सिद्धू भी कूदे, चीफ सैक्रेट्री और मंत्रियों की नोकझोंक का मामला
टीम एटूजैड/ अमृतसर
कोरोना संकट के दौरान लॉकडाउन की शर्तों में भले ही लोगों को कुछ राहत मिलनी शुरू हुई हो, लेकिन पंजाब कांग्रेस में बगावत की आग तेज होती जा रही है। पंजाब सरकार में सियासी वर्चस्व की जंग भी तेज हो गई है। नवजोत सिंह सिद्धू पहले ही सियासी बगावत के मैदान में कूद पड़े थे। अब कांग्रेसी विधायक पद्मश्री परगट सिंह और विधायक फतेह जंग सिंह बाजवा ने भी अपनी ही राज्य सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है। बढ़ते सियासी विवादों के बीच कांग्रेसी नेता मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह को घेरने में जुट गए हैं।
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मामला राज्य के मुख्य सचिव और मंत्रियों के बीच हुई नोकझोंक को लेकर बढ़ रहा है। कांग्रेस विधायक परगट सिंह ने कैप्टन अमरिंदर सिंह को कमजोर मुख्यमंत्री बताया है। उन्होंने कहा कि समझ से बाहर है कि पंजाब में सरकार कांग्रेस की है या मुख्य सचिव की? मंत्रियों और चीफ़ सेक्रेटरी के बीच हुए विवाद के बाद मुख्यमंत्री को तत्काल विधायकों की बैठक बुलानी चाहिए थी और साफ करना चाहिए था कि जिन मुद्दों को लेकर हमने सरकार बनाई थी वह क्यों पूरे नहीं हुए?
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परगट सिंह ने कहा कि पंजाब सरकार के तीन साल के कार्यकाल पर सवाल खड़े हो रहे हैं। डेढ़ साल बाद चुनाव में जनता को इसका जवाब नेताओं को ही देना होगा, अफसरों को नहीं। हालात ये हैं कि जिस तरह दस साल अकाली-बीजेपी गठबंधन की सरकार चल रही थी, उसी तरह हमारी कांग्रेस की यह सरकार चल रही है। इन दोनों की कारगुजारी में ज्यादा फर्क नहीं है।
कादियां से कांग्रेस विधायक फतेह जंग सिंह बाजवा ने इस आग में घी डालने का काम किया है। उन्होंने ट्वीट करते हुए कहा कि मुख्यमंत्री को कुछ ब्यूरोक्रेट्स ने ’बंधक’ बना रखा है। खास बात है कि फतेह जग बाजवा के टृवीट को कांग्रेस के तीन और विधायकों ने रिट्वीट भी किया है।
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बाजवा ने अपने ट्वीट में लिखा था कि क्या हमारे माननीय सीएम को कुछ ब्यूरोक्रेट्स ने सच में और अतिशयोक्ति में बंधक बना लिया है?’ एक और विधायक डॉ. हरजोत कमल ने इसे कोट करते हुए लिखा है कि ‘प्रिय सीएम सर, शायद ये गलतफहमियां ही हों, उन्हें फौरन और प्रभावी ढंग से सुलझाना जरूरी है।’
दरअसल सारा मामला कांग्रेसी नेताओं और राज्य के मुख्य सचिव के बीच चल रही खींचतान से जुड़ा है। आरोप है कि मुख्य सचिव करन अवतार सिंह केवल मुख्यमंत्री के बताए काम ही करते हैं। इसको लेकर पिछले दिनों एक बैठक में कुछ मंत्रियों और नेताओं की मुख्य सचिव के साथ कहासुनी भी हो गई थी। इसके बाद पिछले दिनों कांग्रेस के करीब दर्जन भर विधायकों ने ट्वीट कर चीफ सेक्रेटरी करन अवतार सिंह को हटाने की मांग की थी।
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इस घटना के बाद मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह ने मंत्रियों और विधायकों से बात कर उनकी नाराजगी को शांत करने की कोशिश की थी। लेकिन एक बार फिर से कांग्रेस विधायकों ने मुख्यमंत्री और मुख्य सचिव के खिलाफ आवाज उठानी शुरू कर दी है। मामले को गरम होता देख पूर्व कैबिनेट मंत्री नवजोत सिंह सिद्धू भी इस मामले में कूद पड़े हैं।
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नवजोत ने दागा सियासी तीर
नवजोत सिंह सिद्धू ने अपने यूट्यूब चैनल पर एक वीडियो अपलोड किया है। इसमें उन्होंने कहा है कि ’एक ब्यूरोक्रेट हाथ की तीसरी उंगली की तरह होता है। अगर वो उंगली कट जाए तो हाथ बेकार हो जाता है।’ उन्होंने कहा कि ’प्रभावी गर्वनेंस के लिए, सरकार चलाने के लिए पूरी मशीनरी का परफेक्ट मिक्स होना चाहिए। सिद्धू ने कहा कि स्वार्थ के चक्कर में सरकारी मशीनरी को बर्बाद नहीं करना चाहिए। बता दें कि सिद्धू ने इस पूरे मामले को ही नया सियासी मोड़ देने की कोशिश की है।
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कैप्टन विरोधी गुटबाजी तेज
गौरतलब है कि कांग्रेस विधायक परगट सिंह पूर्व हॉकी खिलाड़ी हैं और नवजोत सिंह सिद्धू के नजदीकी दोस्त हैं। सिद्धू ने ही उन्हें कांग्रेस पार्टी में शामिल करवा कर टिकट दिलवाया था। फिलहाल वह जालंधर कैंट विधानसभा क्षेत्र से विधायक हैं। दूसरी ओर फतेह जंग सिंह बाजवा कांग्रेस के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष प्रताप सिंह बाजवा के छोटे भाई हैं। प्रताप सिंह बाजवा और अमरिंदर के बीच पहले से ही छत्तीस का आंकड़ा रहा है।
दो साल बाद होने हैं विधानसभा चुनाव
पंजाब में दो साल बाद विधानसभा चुनाव होने हैं। ऐसे में परगट सिंह, सहित फतेह सिंह बाजवा और हरजोत कमल के विरोधी तेवर कैप्टन अमरिंदर सिंह के लिए बड़ी चुनौती साबित हो सकते हैं। जिस तरह से राज्य में आम आदमी पार्टी अपने पैर पसार रही है। ऐसे में कांग्रेस के अंदर की गुटबाजी उसे आने वाले विधानसभा चुनाव में भारी पड़ सकती है। परगट सिंह और नवजोत सिंह सिद्धू के समर्थन में अब कांग्रेस के दूसरे विधायक भी आने लगे हैं। ऐसे में आने वाले दिनों में पंजाब कांग्रेस में घमासान और तेज होने के आसार हैं।