नॉर्थ डीएमसीः सबसे बड़ा निगम… कुछ आईएएस की लॉबिंग… जूनियर अफसरों का रहमोकरम

-बड़ी जिम्मेदारियां संभाल रहे ट्रेनी और अनुभवहीन अधिकारी
-लगातार खस्ता हालत की ओर बढ़ रहा उत्तरी दिल्ली निगम
-कैडर से एसी, एडीसी की नियुक्ति और मिला डीसी का चार्ज

हीरेन्द्र सिंह राठौड़/ नई दिल्ली
कहावत है कि ‘‘एक नन्हीं सी जान और इतना सारा काम’’, कुछ इसी तरह की स्थिति फिलहाल उत्तरी दिल्ली नगर निगम की बनी हुई है। लेकिन इस कहावत का इस खबर से कोई लेना देना नहीं है। एक ओर कोरोना की महामारी के चलते देशभर के लोग लॉकडाउन झेलने के लिए मजबूर हैं। दूसरी ओर उत्तरी दिल्ली नगर निगम की हालत लगातार खस्ता होती जा रही है। उत्तरी दिल्ली नगर निगम में लॉबिंग के चलते नेतृत्व की कमान अनुभवहीन हाथों में पहुंच गई है और हालात लगातार बिगड़ते जा रहे हैं। उत्तरी दिल्ली नगर निगम अब ज्यादातर ट्रेनी और जूनियर अधिकारियों के रहमोकरम पर चल रहा है। पूर्व आयुक्त वर्षा जोशी ने प्रतिनियुक्ति (डेपुटेशन) पर आए अपने ऐसे कई चहेते जूनियर अधिकारियों को नॉर्थ डीएमसी में की-पोस्ट पर बैठा दिया है, जो या तो ट्रेनी हैं या फिर अनुभवहीन हैं।

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नॉर्थ डीएमसी में क्षमता से ज्यादा पदभार संभालने वाले अधिकारी आजकल चर्चा का विषय बने हुए हैं। यही कारण है कि उत्तरी दिल्ली नगर निगम दिल्ली के दूसरे नगर निगमों से लगातार पिछड़ता जा रहा है। ऐसे अधिकारियों में तीन महिला अधिकारियों के नाम भी शामिल हैं। की-पोस्ट्स वाले अधिकारियों में केशवपुरम जोन की उपायुक्त इरा सिंघल, करोलबाग जोन की उपायुक्त आकृति सागर, सिटी-एसपी जोन की उपायुक्त वेदिता रेड्डी के अलावा डायरेक्टर पर्सनल गोपाल के नाम बताए जा रहे हैं।

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केशवपुरम जोन
केशवपुरम जोन की उपायुक्त इरा सिंघल जो कि 2015 बैच की आईएएस हैं, आजकल सबसे ज्यादा चर्चा में हैं। वह अपने मूल कैडर में ट्रेनी और एसी स्तर की अधिकारी हैं, नगर निगम में डेपुटेशन पर आई हैं, इसलिए उत्तरी दिल्ली नगर निगम में उनका स्तर एडीसी का है। लेकिन पूर्व निगम आयुक्त वर्षा जोशी ने उन्हें केशवपुरम जोन का उपायुक्त बनाकर डीसी का रेंक दे दिया था। इसके साथ ही उनके पास निदेशक समुदाय सेवा विभाग, डीसी एडवर्टिजमेंट (विज्ञापन) और लाभकारी परियाजना विभाग (आरपी सेल) की जिम्मेदारी भी इन्हीं के पास है। इन सभी विभागों को नगर निगम में मलाईदार कहा जाता है। इसके अलावा हाल ही में इन्हें प्रेस एंड इनफॉरर्मेशन विभाग का निदेशक नियुक्त किया गया है।

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करोलबाग जोन
करोलबाग जोन की उपायुक्त आकृति सागर 2016 बैच की आईएएस हैं। आकृति को भी यह जिम्मेदारी पूर्व निगम आयुक्त वर्षा जोशी ने ही दी थी। उनके पास भी उत्तरी दिल्ली नगर निगम की कई अहम जिम्मेदारियां हैं। आकृति पूर्व आयुक्त वर्षा जोशी की इतनी खास थीं कि आयुक्त ने उन्हें अपना ओएसडी बना रखा था। उनके पास जोन और आयुक्त कार्यालय के अलावा डीसी लेंड एंड स्टेट की भी जिम्मेदारी है।

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सिटी-सदर-पहाड़गंज जोन
सिटी सदर-पहाड़गंज जोन की निगम उपायुक्त वेदिता रेड्डी 2015 बैच की आईएएस हैं। वेदिता को भी पूर्व निगम आयुक्त वर्षा जोशी ने ही अन्य लोगों की तरह नियमों से ज्यादा प्रमोशन देते हुए जोन का उपायुक्त बनाया था। उनके पास डीसी सिटी-सदर-पहाड़गंज जोन के अलावा डीसी सेंट्रल लाइसेंसिंग विभाग, डीसी फैक्ट्री लाइसेंसिंग और शिक्षा विभाग के निदेश पद की जिम्मेदारी है। ज्ञात हो कि वेदिता के जोन उपायुक्त के पद पर रहते हुए ही अनाज मंडी, सदर बाजार में भीषण अग्निकांड हुआ था।

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निगम मुख्यालय
नियमों को ताक पर रखकर डीसी का स्तर दिए जाने वाले अधिकारियों में चौथा नाम गोपाल का है। निगम के दस्तावेजों में इनका नाम गोपाल है हालांकि पूरा नाम गोपाल अग्रवाल बताया जाता है। बताया जा रहा है कि गोपाल भी पूर्व निगम आयुक्त वर्षा जोशी के खास कृपापात्र रहे हैं। उनके पास केंद्रीय स्थापना विभाग यानी निदेशक कार्मिक पद की जिम्मेदारी है। गोपाल अपने मूल कैडर में एसी स्तर के अधिकारी हैं। लेकिन जब कोई व्यक्ति डेपुटेशन पर दूसरे विभाग में जाता है तो उसे एक लेबल ऊपर के स्तर पर पदोन्नति दी जाती है। इस तरह से वह यहो एडीसी स्तर के अधिकारी हैं। लेकिन उत्तरी दिल्ली नगर निगम में इन्हें डीसी स्तर का ओहदा दिया गया है। गोपाल के पास अतिरिक्त उपायुक्त (मुख्यालय) में सहायक आयुक्त की जिम्मेदारी भी दी गई है। एटूजैड न्यूज ने इस मामले में गोपाल से बात की लेकिन उन्होंने प्रेस एवं सूचना विभाग की निदेशक से बात करने के बाद कोई जानकारी देने की बात कही।
तीन जोन के डीसी को नहीं समझा जिम्मेदारी के योग्य
उत्तर पूर्वी दिल्ली की पूर्व आयुक्त वर्षा जोशी की निगम विरोधी सोच और निगम में तैनात कुछ खास लोगों की लॉबिंग का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि उत्तरी दिल्ली के छह जोन उपायुक्तों में से जूनियर लेबल के केवल तीन उपायुक्तों को ही निगम हेड क्वार्टर्स में अहम जिम्मेदारियां दी गई हैं। नरेला जोन के उपायुक्त मिलिंद महादेव डुंबरे 2006 बैच के आईपीएस हैं हैं और वरिष्ठ पुलिस अधिकारी हैं, इन तीनों ही उपायुक्तों से बहुत ज्यादा अनुभव रखते हैं। लेकिन लॉबिंग के चलते वर्षा जोशी ने उन्हें कोई अतिरिक्त जिम्मेदारी देने की जरूरत नहीं समझी।
2012 बैच के आईएएस को भी नहीं माना भरोसेमंद
उत्तरी दिल्ली नगर निगम में कुछ साल पहले प्रतिनियुक्ति (डेपुटेशन) पर आए चुनिंदा अधिकारियों की लॉबिंग का हाल यह है कि निगम के सारे मलाईदार पद तीन-चार लोगों में बांट लिए गए। रोहिणी जोन के उपायुक्त आरव गोपीकृष्ण 2012 बैच के आईएएस अधिकारी हैं। पूर्व आयुक्त वर्षा जोशी ने उन्हें भी इस लायक नहीं समझा कि हेडक्वार्टर में कोई अतिरिक्त जिम्मेदारी दी सके। जबकि प्रतिनियुक्ति पर आए ट्रेनी स्तर के अधिकारियों को मलाईदार पद बांट दिए गए। दो-तीन महीने पहले तक सिविल लाइंस के उपायुक्त रहे पंकज सिंह को भी हेडक्वार्टर में कोई जिम्मेदारी देने लायक नहीं समझा गया। जबकि केशवपुरम, करोलबाग और सिटी-सदर-पहाड़गंज जोन के उपायुक्तों पर वर्षा जोशी ने जाते-जाते भी अपनी कृपा बनाए रखी।
लॉबिंग से बर्बाद हो रहा उत्तरी दिल्ली नगर निगमः पंवार

सुरजीत सिंह पंवार

उत्तरी दिल्ली नगर निगम में प्रतिपक्ष के नेता सुरजीत सिंह पंवार का कहना है कि हाल ही में डेपुटेशन पर आए नए-नए अधिकारियों की लॉबिंग की वजह से उत्तरी दिल्ली नगर निगम का सत्यानाश हो रहा है। यह सभी मलाई काटने के चक्कल में लगे हुए हैं। आपस में ही सारी की-पोस्ट बांट रखी हैं। यह अधिकारी पूरे दिन बैठे रहते हैं, कोई काम नहीं करते और दूसरों के पदों को हथियाने की इनकी भूख अब भी शांत नहीं हो रही है। लॉकडाउन के दौरान इन अधिकारियों ने मिलकर गलत फैसले लिए हैं। ऐसा नहीं चलने दिया जाएगा। आयुष विभाग और लाभकारी विभागों में घोटाले की बातें सामने आ रही हैं। जो काम एक व्यक्ति करता था उसकी जगह पर तीन लोगों को भर्ती करने की तैयारी की जा रही है। सत्ता पक्ष के नेता निगम की बिगड़ती स्थिति को संभाल नहीं पा रहे हैं। यह कतई बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।
या तो मनमानी बंद होगी या फिर जाना होगा वापसः जय प्रकाश

स्थायी समिति अध्यक्ष जय प्रकाश

निगम में डेपुटेशन पर आए अधिकारियों की मनमानी लॉकडाउन के दौरान ज्यादा देखने में आई है। एक ओर हमारे नेता और पार्टी के लोग कोरोना संकट से जूझ रहे लोगों की मदद कर रहे हैं दूसरी ओर कई अनुभवहीन अधिकारियों की नजर नगर निगम के कामकाज से ज्यादा बड़ी पोस्ट हथियाने पर है। निगम की हालत लगातार खराब हो रही है। कर्मचारियों की सेलरी देने के लिए यह अधिकारी कोई प्रयास नहीं कर रहे हैं। राजस्व बढ़ाने के लिए इनके पास कोई दूरदृष्टि नहीं है। कोरोना से लड़ाई में निगमकर्मी मिलकर प्रयास कर रहे हैं, लेकिन कुछ अधिकारी उनका सहयोग करने के बजाय उन्हें परेशान कर रहे हैं। हमें इस तरह की शिकायतें कर्मचारियों और दूसरे अधिकारियों की ओर से मिल रही हैं। हमारा सब बातों पर ध्यान है। इन अधिकारियों को या तो अपनी मनमानी बंद करनी होगी या फिर वापस जाना होगा।
मनमानी बंद करें लॉबिंग में शामिल अधिकारीः महापौर
उत्तरी दिल्ली के महापौर अवतार सिंह ने कहा कि  देश और दिल्ली कोरोना की महामारी से जूझ रही है। हम लोग रात-दिन एक करके दिल्ली वालों की मदद कर रहे हैं। जरूरतमंदों तक जरूरी सामान पहुंचा रहे हैं। लेकिन नगर निगम के कुछ अधिकारियों को इसमें कोई सहयोग नहीं मिल रहा। दो-चार साल के अनुभव वालों को बड़े पदों पर बैठा दिया गया है, यह लोग चलते हुए काम में भी अड़ंगा लगा रहे हैं। लॉकडाउन के बाद आयुष विभाग के अस्पताल खोलने से पहले इस विभाग के डायरेक्टर को हटा दिया गया, जबकि इस विभाग की हालत अब तो और ज्यादा खराब हो गई है। पिछले दो महीनों में इन लोगों ने बहुत गलत फैसले लिए हैं, इन्हें बदलवाना पड़ेगा।
अनुभवहीनों के बजाय वरिष्ठों को मिले जिम्मेदारीः आप

आम आदमी पार्टी के प्रवक्ता हरीश अवस्थी

आम आदमी पार्टी के प्रवक्ता हरीश अवस्थी ने कहा कि पूर्व आयुक्त वर्षा जोशी ने उत्तरी दिल्ली नगर निगम को बाकी दोनों निगमों से पीछे धकेल दिया था। बड़े पदों पर बैठे अनुभवहीन और ट्रेनी स्तर के अधिकारियों को तुरंत हटाया जाना चाहिए। वैसे भी नगर निगम के नियमों के मुताबिक उपायुक्त के पद पर कम से कम 10 साल अनुभवी व्यक्तियों को ही बैठाया जाना चाहिए। निगम में लॉबिंग को खत्म किया जाना चाहिए और पदों को सभी लोगों में बांटा जाना चाहिए। ताकि सभी लोग अपनी जिम्मेदारी सही ढंग से निभा सकें। इन अधिकारियों ने तो पिछले दिनों में निगम के कई पुराने अधिकारियों को तो बिना किसी कमी के ही हटाकर अपना कब्जा जमा लिया है। निगम के कई ऐसे विभाग हैं जहां विभागाध्यक्षों को रिटायरमेंट से पहले कभी नहीं हटाया गया। लेकिन इन अधिकारियों ने इन नियमों को भी कोई ध्यान नहीं रखा। अब यह अधिकारी इन जिम्मेदारियों को भी सही ढंग से नहीं निभा पा रहे।
अधिकारियों की चुप्पीः
एटूजैड न्यूज ने उत्तरी दिल्ली नगर निगम के संबंधित अधिकारियों से उनका पक्ष जानने की कोशिश की। लेकिन किसी अधिकारी ने इस संबंध में कुछ भी कहना उचित नहीं समझा। यदि किसी अधिकारी की ओर से कोई स्पष्टीकरण आता है तो उसे भी खबर में स्थान दिया जाएगा।