-बिना काम किया निजी कंपनी को भट्टियों के मेंटेनेंस का भुगतान
-कभी चली ही नहीं निगम के सीएनजी शवदाह गृह की 6 में 4 भट्टियां
-स्वास्थ्य विभाग खस्ता हालः जूनियर अफसरों ने जूनियर्स को बना रखा मुखिया
टीम एटूजैड/ नई दिल्ली
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आश्चर्य की बात तो यह है कि निगम में तैनात ‘लॉबिंग गुट’ के जूनियर अधिकारी लॉकडाउन के दौरान अपनी पसंद की ट्रांसफर-पोस्टिंग में लगे रहे। इसके चलते कोरोना से लड़ने में नॉर्थ डीएमसी लगातार पिछड़ता चला गया। स्वास्थ्य विभाग की जिम्मेदारी संभाल रहे अतिरिक्त आयुक्त संदीप जे जैक्स ने कभी सीएनजी शवदाह गृहों का दौरा करना तक जरूरी नहीं समझा। आरोप है कि जोन उपायुक्तों से लेकर मुख्यालय के आला अधिकारी तक अपने एसी कार्यालयों में बैठकर केवल ट्रांसफर-पोस्टिंग के जरिए जूनियर और दागियों को निगम के शीर्ष पदों पर बैठाने में जुटे हैं। निगम के कामकाज पर उनका बिलकुल ध्यान नहीं है।
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उत्तरी दिल्ली नगर निगम के पास पहले सह यक व्यवस्था थी कि कोरोना संकट के दौरान भी समस्या का आसानी से सामना किया जा सकता था। निगम के पास पहले से 6 भट्टियां यानी प्लेटफार्म तैयार थे। लेकिन उनका उपयोग करने के बजाय निगम का पैसा बरबाद करने के लिए नई भट्टियां बनावाना शरू कर दिया, जो कि अगले दो से ढाई महीने तक तैयार हो पाएंगी। बताया जा रहा है कि इसकी पूरी जिम्मेदारी एमएचओ डॉक्टर अशोक रावत के हाथों में है।
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बता दें कि नगर निगम ने सीएनजी शवदाह गृह की 6 भट्टियों के निर्माण और मेंटेनेंस का काम एक निजी कंपनी को दिया था। इसी कंपनी को इन सभी भट्टियों का 10 साल तक मेंटेनेंस करना था। लेकिन कभी 2 से ज्यादा भट्टियां चली ही नहीं। बाकी की 4 भट्टियां हमेशा बंद पड़ी रहीं और उनका कभी मेंटेनेंस नहीं किया गया। पूर्व के अधिकारियों ने एक-दो बार निजी कंपनी को पत्र लिखकर निजी कंपनी को अपना काम पूरा करने के लिए कहा। लेकिन इसके बाद यह जिम्मेदारी एमएचओ काम देख रहे डॉक्टर अशोक रावत के पास आ गई।
न मेंटेनेंस कराई, न ब्लैक लिस्ट किया
डॉक्टर अशोक रावत ने इस कंपनी को न तो कभी कोई नोटिस जारी किया और ना ही इसे काम नहीं करने के मामले में ब्लैक लिस्ट किया। सूत्रों का कहना है कि यह कंपनी मुंबई की है और बाली नामक व्यक्ति इस कंपनी का प्रतिनिधित्व करता है। यदि इन अधिकारियों ने समय पर ध्यान दिया होता तो पहले से बनी सभी सीएनजी भट्टियों का उपयोग कोरोना महामारी के दौरान किया जा सकता था। लेकिन अब निगम पर नया बोझ डालने के लिए अधिकारियों ने नई भट्टियों का निर्माण शुरू करा दिया है।
एक ही व्यक्ति कर रहा सारे काम
बात सीएनजी शवदाह गृह की हो या फिर सैनेटाइजेशन के लिए हाइड्रो क्लोराइड की खरीदारी की। लेकिन उत्तरी दिल्ली नगर निगम में सारे काम एक ही व्यक्ति करता है। यह बात अलग है कि बिलिंग अलग अलग कंपनियों की होती है। ऐसे कई दस्तावेज एटूजैड न्यूज के पास मौजूद हैं। बताया जा रहा है कि नई सीएनजी भट्टियां बनाने का काम भी इसी व्यक्ति को दिया गया है।
जूनियर अधिकारी को बनाया एडीशनल एमएचओ का बॉस
यह स्थिति केवल उत्तरी दिल्ली नगर निगम में ही हो सकती है, जहां जूनियर अधिकारी अपने सीनियर्स के बॉस बने बैठे हैं। नगर निगम में एडीशनल एमएचओ डॉक्टर प्रमोद वर्मा एमएचओ लेवल के अधिकारी हैं और डॉक्टर अशोक रावत सीएमओ लेवल के हैं। नगर निगम की ओर से जारी सूची में भी डॉक्टर रावत का नाम अपने मातहत से चार पायदान नीचे है। इसके बावजूद उन्हें निगम के वर्तमान शीर्ष अधिकारियों ने एमएचओ की कुर्सी दे रखी है। ऐसे में डॉक्टर रावत की खासियतों पर सवाल उठना स्वाभाविक हैं।
आप ने लगाया भ्रष्टाचार का आरोप
आम आदमी पार्टी के नेता और उत्तरी दिल्ली नगर निगम में नेता प्रतिपक्ष सुरजीत पंवार ने कहा कि बीजेपी नेता निगम को संभाल नहीं पा रहे हैं। इसलिए यहां के अधिकारी मनमानी पर उतारू हैं। एमएचओ के पद पर जिस जूनियर अधिकारी को बैठाया गया है उसके बारे में पूरे निगम में भ्रष्चार की चर्चाएं आम हैं। यह वही अधिकारी है जिसकी वजह से कई बार कोर्ट में नगर निगम को जुर्माना भरना पड़ा है। केवल यही नहीं डॉक्टर अशोक रावत के खिलाफ करोलबाग के अर्पित होटल मामले में विजीलेंस जांच चल रही है। ऐसे व्यक्ति पर निगम के शीर्ष अधिकारियों की मेहरबानी का अंदाजा आसानी से लगाया जा सकता है। जो अधिकारी निगम को नुकसान पहुंचा रहा है, ऐसे अधिकारी को तुरंत उसके पद से हटाया जाना चाहिए।