यूपी में पत्रकारों पर एफआईआर… एनयूजे ने उठाई आवाज

-उत्तर प्रदेश सरकार ने किया देशद्रोह कानून का दुरूपयोग
-पत्रकारों के खिलाफ सरकार का उत्पीड़न बर्दाश्त नहींः एनयूजे

टीम एटूजैड/ नई दिल्ली
नेशनल यूनियन ऑफ जर्नलिस्ट्स (इंडिया) ने उत्तर प्रदेश में पत्रकारों के खिलाफ राज्य सरकार द्वारा एफआईआर दर्ज किए जाने पर विरोध जताया है। एनयूजे ने कहा है कि खबरें लिखने वाले पत्रकारों के खिलाफ देशद्रोह कानून के साथ-साथ आपदा प्रबंधन अधिनियम का दुरुपयोग करके पत्रकारों को डराया-धमकाया और उनका उत्पीड़न किया जा रहा है। देश के शीर्ष पत्रकार संगठन ने राज्य सरकारों और खास तौर पर अपनी कमजोरियों को छिपाने के लिए पत्रकारों के खिलाफ बिना कारण बदले की भावना से इस तरह की कार्रवाई करने वाले अधिकारियों की मनमानी पर गंभीर चिंता व्यक्त की है।

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नेशनल यूनियन ऑफ जर्नलिस्ट्स ने उत्तर प्रदेश सरकार से मांग की है कि पत्रकार के खिलाफ दर्ज कराई गई एफआईआर को तुरंत वापस लिया जाए। एनयूजे अध्यक्ष रासबिहारी और महासचिव प्रसन्ना मोहंती ने कहा कि पत्रकार अपनी जान को जोखिम में डालकर कोरोना के भयंकर दौर में रिपोर्टिंग कर रहे हैं।

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एनयूजे अध्यक्ष रास बिहारी और महासचिव प्रसन्ना मोहंती ने बयान में कहा कि उत्तर प्रदेश की राज्य सरकार द्वारा गलत आरोप लगाकर पत्रकारिता को अपराधीकरण साबित करने की कोशिश की जा रही है। राज्य सरकार की यह कोशिश स्वीकार्य नहीं है। उन्होंने कहा कि सरकार और पुलिस को पहचानना चाहिए कि मीडिया किसी भी लोकतंत्र में शासन संरचना का अभिन्न अंग है। हमारी मांग है कि प्रेस की स्वतंत्रता को बरकरार रखने के लिए केंद्र और राज्य सरकारें कानून का दुरूपयोग करना बंद करें।

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पत्रकारों के शीर्ष संगठन एनयूजेआई के पत्रकार नेताओं ने कहा कि पत्रकारों ने सरकार की कमियों को उजागर किया है इसलिए लॉकडाउन लागू होने के बाद से उत्तर प्रदेश, हिमाचल प्रदेश, गुजरात, तमिलनाडु, मध्य प्रदेश और अंडमान व निकोबार में पत्रकारों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई हैं।

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दिल्ली जर्नलिस्ट्स एसोसिएशन के सचिव हीरेन्द्र सिंह राठौड़ ने कहा कि पत्रकारों की वजह से ही सही खबरें लोगों के सामने आ रही हैं। खबरों के संकलन के दौरान सरकार और प्रशासन व अधिकारियों की ओर से बरती जा रही लापरवाही भी लोगों के सामने आ रही हैं। साशन-प्रशासन की कमियां सामने आने से सरकार को उन्हें सुधारने में मदद मिलती है। लेकिन साशन और प्रशासन की कमजोरियों को छिपाने के लिए पत्रकारों को डरा-धमका कर चुप कराना गलत है। उन्होंने मांग की कि उत्तर प्रदेश सरकार को एक पत्रकार के खिलाफ दर्ज कराई गई एफआईआर को तुरंत वापस लेना चाहिए।

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बता दें कि कोरोना महामारी के दौरान होमगार्ड्स के जवान किस तरह से परेशानियां झेल रहे हैं? यह खबर उत्तर प्रदेश के एक समाचार पत्र/न्यूज पोर्टल ‘मीडिया ब्रेक’ ने चला दी थी। इस खबर से नाराज होकर स्थानीय शासन ने संपादक आशीष अवस्थी के खिलाफ एफआईआर दर्ज करा दी है। हालांकि प्रेस काउंसिल ऑफ इंडिया ने इसका संज्ञान लेते हुए राज्य सरकार को नोटिस जारी किया है। दूसरी ओर यूपी के सीतापुर में महोली क्षेत्र के रिपोर्ट महेंद्र सक्सेना ने जब इलाके में क्वारंटाइन क्षेत्र में क्वारंटाइन किए गए लोगों को फफूंदी लगा चावल बांटने की रिपोर्ट छापी तो प्रशासन ने इसके जिम्मेदार लोगों को कटघरे में खड़ा करने के बजाय पत्रकार के खिलाफ ही हरिजन एक्ट के तहत मामला दर्ज करा दिया गया है।