-शाह की साजिश या विजयवर्गीय का विजय अभियान
-थोक के भाव भाजपा में शामिल हो रहे ममता के सारथी
इसे भाजपा अध्यक्ष अमित शाह की ‘साहसी साजिश’ कहें या पार्टी के राष्ट्रीय महामंत्री कैलाश विजयवर्गीय का ‘बंगाल विजय अभियान’ कि एक बार पश्चिम बंगाल में तृणमूल कांग्रेस के बिखरने का सिलसिला शुरू होने के बाद थमने का नाम नहीं ले रहा है। पश्चिम बंगाल में सत्ता के दम पर भले ही मुख्यमंत्री ममता बनर्जी भाजपा कार्यकर्ताओं के खिलाफ लाल सलाम बोल रही हों, लेकिन भाजपा लगातार दीदी के गढ़ में उनके कदमों के नीचे से जमीन खींचने में जुटी है। कई शहरों की नगर पालिका और निगमों में भाजपा सत्ता की स्थिति में आ गई है। माना जा रहा है कि आने वाले दिनों में पश्चिम बंगाल के कुछ और शहर भाजपा की गिरफ्त में आ सकते हैं। यदि राज्य में यही सिलसिला जारी रहा तो ममता बनर्जी के सामने आने वाले विधानसभा चुनाव में तृणमूल कांग्रेस का अस्तित्व बचाने का संकट खड़ा हो जाएगा।
लोकसभा चुनाव में 42 में 18 सीटों पर जीत के बाद पश्चिम बंगाल में भाजपा की बढ़त का अभियान लगातार जारी है। जून के आखिरी सप्ताह में तृणमूल के एक विधायक और 12 पार्षदों ने भाजपा का दामन थाम लिया। इनके साथ कांग्रेस प्रवक्ता प्रसेनजीत घोष भी भाजपा में शामिल हो गए। 24 जून को भाजपा में शामिल होने वालों में नौपारा विधानसभा सीट से तृणमूल कांग्रेस विधायक सुनील सिंह और पार्टी के 12 पार्षद दिल्ली में भाजपा में शामिल हुए थे। इससे पहले ममता बनर्जी की पार्टी के तीन विधायक और 50 से ज्यादा पार्षद टीएमसी छोड़कर भाजपा में शामिल हो चुके हैं।
लोकसभा चुनाव के प्रचार के दौरान पीएम मोदी ने बंगाल में एक रैली में कहा था कि चुनाव के नतीजों के बाद तृणमूल के 40 विधायक भाजपा में शामिल होंगे। पीएम मोदी ने कहा था कि ये विधायक लगातार उनके संपर्क में हैं। बता दें कि कैलाश विजयवर्गीय के इस अभियान में तृणमूल कांग्रेस छोड़कर आए वरिष्ठ नेता मुकुल रॉय और पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष दिलीप घोष ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।
पहली बार जिला परिषद पर कब्जाः
ममता सरकार पर नहीं असरः
लोकसभा चुनाव के नतीजों के बाद अब तक तृणमूल कांग्रेस के पांच विधायक अपनी पार्टी से बगावत कर भाजपा में शामिल हो चुके हैं। इनके अलावा कांग्रेस के एक और सीपीएम के एक विधायक भाजपा में शामिल हो चुके हैं। पश्चिम बंगाल विधानसभा में कुल 295 में से तृणमूल के 211 विधायक हैं। इनके अलावा कांग्रेस के 44, माकपा के 26 और भाजपा के 3 विधायक हैं। पांच विधायकों के जाने से ममता सरकार पर कोई खास प्रभाव नहीं पड़ेगा। बहुमत के लिए 148 सीटें जरूरी होती हैं। राज्य में अगले विधानसभा चुनाव 2021 में होने हैं।