उदित राज, मुरली व उटवाल… मुफ्त के सरकारी बंगलों पर सवाल

-कोर्ट की फटकार, 11 पूर्व सांसदों से सरकारी बंगले खाली कराने का फरमान
-दिल्ली के 576 सरकारी बंगलों पर पूर्व नौकरशाहों-पूर्व सांसदों का अवैध कब्जा

टीम एटूजैड/ नई दिल्ली
राजधानी के पॉश इलाकों में 576 सरकारी बंगलों पर पूर्व नौकरशाहों और पूर्व सांसदों का कब्जा है। दिल्ली उच्च न्यायालय ने इन आवासों में सेवानिवृत्त अधिकारियों और पूर्व सांसदों के गैरकानूनी रूप से रहने पर आवास मंत्रालय को फटकार लगाई है। कोर्ट ने केंद्र को इन बंगलों को दो सप्ताह के भीतर खाली कराने का निर्देश दिया है। दिल्ली उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश डीएन पटेल और न्यायमूर्ति सी हरिशंकर की पीठ ने कई वर्षों से सरकारी आवासों पर चल रहे अवैध कब्जे को साजिश बताया है। खास बात है कि अवैध रूप से सरकारी बंगलों पर कब्जा करने वालों में कांग्रेस नेता उदित राज, तेलगू देशम पार्टी के नेता मुरली मोहन मांगती और बीजेपी नेता मनोहर उंटवाल के नाम भी शामिल हैं। कोर्ट में दाखिल की गई रिपोर्ट के मुताबिक कुल 11 पूर्व सांसदों ने सरकारी बंगलों पर अवैध रूप से कब्जा किया हुआ है।
आश्चर्य की बात है कि इनमें से कई लोग तो एक दशक से भी ज्यादा समय से इन सरकारी बंगलों में अवैध रूप से रह रहे हैं। ऐसे लोगों की ओर अब तक 96 लाख रूपये बकाया हो गया है। पीठ ने सरकार को अवैध रूप से रहने वालों की ओर बकाया चल रही लाखों रूपये की वसूली का आदेश दिया है। पीठ ने सरकार को लताड़ लगाते हुए कहा कि यदि कोई सरकारी आवासों में तय समय से अधिक रह रहा है तो आपको उन्हें खाली करवाने के लिए पंचवर्षीय योजना की जरूरत नहीं है। पीठ ने सवाल किया कि बकाया की वसूली के लिए क्या आपने उन्हें नोटिस भेजे हैं? करीब 600 सरकारी आवास खाली नहीं हुए हैं। कुछ तो अवधि पूरी हो जाने के बाद 1998 से वहां रह रहे हैं। उनमें से हर एक पर लाखों रुपए बकाया हैं। आपने आवास खाली क्यों नहीं करवाए? बकाया वसूली के नोटिस जारी क्यों नहीं किए?
अधिकारियों के खिलाफ होगी एफआईआर!
कोर्ट ने आवास मंत्रालय के अधिकारियों को चेतावनी दी है कि यदि मुफ्तखोरों से सरकारी बंगले खाली नहीं कराए गए तो अधिकारियों के खिलाफ एफआईआर भी दर्ज कराई जा सकती है। पीठ ने कहा कि लोग टैक्स दे रहे हैं और आप अवैध कब्जा करने वालों को सालों से मुफ्त में बंगला, बिजली और पानी दे रहे हैं। यह कुछ और नहीं बल्कि आपकी अक्षमता है। आपके अधिकारियों का यह रवैया साजिश के समान है।
11 पूर्व सांसदों का अवैध कब्जा
मंत्रालय की ओर से कोर्ट में हलफनामा दाखिल करते हुएबताया गया कि 11 सरकारी आवासों पर पूर्व सांसदों ने अवैध कब्जा कर रखा है। इनकी ओर कुल बकाया करीब 35 लाख रुपए बनता है। 565 आवासों पर सेवानिवृत्त अधिकारियों और नौकरशाहों का कब्जा है। हलफनामे में भाजपा के पूर्व सांसद एवं कांग्रेस के नेता डॉ उदित राज, तेदेपा के पूर्व सांसद मुरली मोहन मांगती और पूर्व भाजपा सांसद मनोहर उटवाल का नाम शामिल हैं।
आवास मंत्रालय के सचिव पर 10 हजार का जुर्माना
कोर्ट ने आवास मंत्रालय के सचिव पर 10,000 रुपए का जुर्माना लगाया है।कोर्ट ने अधिकारियों को निर्देश दिया है कि सरकारी आवास को खाली कराने के खिलाफ किसी अदालत या न्यायाधिकरण द्वारा रोक लगाई जाती है तभी ऐसे आदेश का पालन किया जाए। नहीं तो सरकारी बंगलों को तुरंत खाली कराए जाए।
27 को होगी अगली सुनवाई
सरकारी बंगलों पर अवैध कब्जों के मामले में अब अगली सुनवाई 27 फरवरी को होगी। दिल्ली हाई कोर्ट ने 17 जनवरी को केंद्र सरकार से पूछा था कि ऐसे कितने सरकारी बंगले हैं, जिन पर पूर्व सांसदों, विधायकों या नौकरशाहों का कब्जा है। ऐसे मामलों में कितने लंबे समय से कब्जा चला आ रहा है। अदालत ने यह निर्देश एक जनहित याचिका की सुनवाई के दौरान दिया, जिसमें दावा किया गया था कि पूर्व सांसदों, विधायकों और नौकरशाहों ने कई सरकारी आवासों पर अवैध रूप से कब्जा कर रखा है।