-जिन नेताओं को टिकट नहीं देना चाहता था प्रदेश नेतृत्व, वही लोग जीते
-जीते हुए लोगों के बजाय दूसरे नेताओं को लड़ाना चाहता था तिवारी गुट
हीरेन्द्र सिंह राठौड़/ नई दिल्ली
दिल्ली विधानसभा चुनाव में बीजेपी को करारी हार मिली है। राष्ट्रीय नेताओं के दिल्ली में डेरा डालने के बावजूद पार्टी दो अंकों का आंकड़ा तक नहीं छू पाई। यमुनापार ने बीजेपी की थोड़ी इज्जत बचाकर रखी है। पूर्वी और उत्तरपूर्वी दिल्ली से पार्टी को 6 सीटों पर जीत हासिल हुई है। लेकिन यह सभी उम्मीदवार वह हैं जिन्हें प्रदेश अध्यक्ष मनोज तिवारी का गुट टिकट देने के पक्ष में नहीं था। प्रदेश नेतृत्व के साथ मोहन सिंह बिष्ट और ओपी शर्मा का विरोध तो कई बार पहले भी सामने आ चुका है।
बीजेपी के टिकट पर उत्तर पूर्वी लोकसभा क्षेत्र के करावल नगर से मोहन सिंह बिष्ट, रोहताश नगर से जितेंद्र महाजन, घोंडा से अजय महावर ने जीत हासिल की है। पूर्वी दिल्ली के विश्वास नगर से ओम प्रकाश शर्मा, लक्ष्मी नगर से अभय वर्मा और गांधी नगर से अनिल बाजपेई ने बाजी मारी है। सूत्रों का कहना है कि इनमें से पांच उम्मीदवार मनोज तिवारी के पसंद के नहीं हैं। तिवारी किसी न किसी बहाने मोहन सिंह बिष्ट, जितेंद्र महाजन, अजय महावर, अभय वर्मा और ओपी शर्मा के नामों पर विरोध जताते रहे।
सूत्रों का कहना है कि पूर्वांचल के कई नेताओं ने तो प्रचार के लिए करावल नगर विधानसभा क्षेत्र में अपना समय देने के साथ अपनी बैठकें रद्द करवा दी थीं। तिवारी गुट करावल नगर से आप के पूर्व विधायक कपिल मिश्रा को चुनाव मैदान में उतारना चाहता था। इसके लिए कपिल मिश्रा को लंबे समय से पार्टी में आगे बढ़ाया जा रहा था। लेकिन मोहन सिंह बिष्ट ने इलाके में रहकर लोगों के साथ व्यवहार बनाए रखा।
सूत्रों का यह भी कहना है कि करावल नगर, घोंडा, रोहताश नगर, विश्वास नगर, लक्ष्मी नगर आदि इलाकों से तिवारी गुट के कई नेता चुनाव प्रचार के दौरान गायब रहे। जो नेता बात-बात में तिवारी के साथ फोटो खिंचवाते नजर आते रहे, वही चुनाव के दौरान इलाके में बीजेपी नेताओं को हराने में जुटे रहे। इसके बावजूद उन्हीं नेताओं ने विधानसभा चुनाव में जीत हासिल की और अंततः पार्टी की इज्जत बचाई।
बुरी तरह से हारे… तिवारी के सितारे
प्रदेश बीजेपी अध्यक्ष मनोज तिवारी की अपनी पसंद के उम्मीदवार पार्टी के लिए सिरदर्द साबित हुए। तिवारी की सिफारिश पर जिन्हें टिकट दिया गया वह बुरी तरह से हार गए। पार्टी से जुड़े सूत्र बताते हैं कि दिल्ली कैंट से मनीष सिंह, महरौली से कुसुम खत्री, रिठाला से मनीष चौधरी, मॉडल टाउन से कपिल मिश्रा और मालवीय नगर से शैलेंद्र सिंह मोंटी को मनोज तिवारी की सिफारिश पर ही टिकट दिया गया था। लेकिन यह सभी उम्मीदवार बुरी तरह से चुनाव हार गए।
मनीष को नहीं मिले प्रपोजर
प्रदेश नेतृत्व के टिकट बंटवारे को लेकर बीजेपी कार्यकर्ताओं ने पहले ही कई इलाकों में विरोध जताया था। मनमानी का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि पूर्वांचल मोर्चा के अध्यक्ष मनीष सिंह को दिल्ली कैंट से चुनाव लड़या गया। जबकि इस सीट से मनीष को कोई लेना-देना ही नहीं था। सूत्र बताते हैं कि मनीष सिंह के नाम की घोषणा होने के बाद उन्हें दिल्ली कैंट सीट से स्थानीय प्रस्तावक और अनुमोदक तक नहीं मिले थे। फिर प्रदेश कार्यालय से संगठन महामंत्री के आदेश पर कुछ नेताओं को मनीष के साथ लगाया गया। तब जाकर उनका नामांकन हो पाया था।