बीजेपी को भारी पड़ा लंगड़े घोड़ों पर दांव लगाना

-बुरी तरह से हारे तीसरी बार लड़े चारों उम्मीदवार
-पार्टी की इज्जत बचाने में नाकम रहे पार्षद प्रत्याशी

शक्ति सिंह/ नई दिल्ली
भारतीय जनता पार्टी के लिए पुराने नेता लंगड़े घोड़े साबित हुए। इंद्रप्रस्थ के सियासी संग्राम में ऐसे लंगड़े घोड़ों पर दांव लगाना पार्टी को भारी पड़ा। कई दौर के सर्वे कराने का दावा करने वाली बीजेपी ने बिना जमीनी हकीकत जाने अपने ज्यादातर पुराने नेताओं को टिकट पकड़ा दिए। यही कारण है कि ऐसे नेता सियासी लड़ाई में आम आदमी पार्टी के नेताओं का सामना नहीं कर पाए। ‘लीडरशिप डेवलपमेंट’ के नाम पर जिन पार्षदों को टिकट दिया गया, वह भी बुरी तरह से हार गए।
बीजेपी ने ऐसे चार नेताओं को दिल्ली विधानसभा चुनाव में उतारा था, जो 2013 और 2015 का चुनाव लगातार हार चुके थे। पार्टी के एक गुट ने शीर्ष नेतृत्व को सलाह दी थी कि इस बार चुनावी मैदान में ज्यादा से ज्यादा नए चेहरों पर दांव खेला जाए। लेकिन पार्टी नेतृत्व ने सभी मानकों को ताक पर रखते हुए 70 साल पार वाले नेताओं को भी टिकट थमा दिया।
चार नेताओं ने लगाई हार की हैटट्रिक
दिल्ली विधानसभा चुनाव में इस बार बीजेपी के चार नेताओं ने हार की हैटट्रिक लगाई है। मुंडका से सांसद प्रवेश वर्मा के चाचा मास्टर आजाद सिंह पहले ही 2013 और 2015 के विधानसभा चुनाव दो बार लगातार हार चुके थे। इस बार वह तीसरी बार लगातार विधानसभा चुनाव हारे हैं। इसी तरह चांदनी चौक सीट से सुमन गुप्ता भी 2013 और 2015 के विधानसभा चुनाव हार चुके थे। इस बार वह तीसरी बार चुनाव हारे हैं।
संगम विहार सीट बीजेपी ने समझौते के तहत जनता दल (यू) को दे दी थी। इस सीट से चुनाव लड़े एससीएल गुप्ता बीजेपी के टिकट पर पहले ही दो बार चुनाव हार चुके थे। इस बार वह तीसरी बार लगातार विधानसभा चुनाव हारे हैं। तिलक नगर सीट पर बीजेपी ने दो बार चुनाव हार चुके राजीव बब्बर को चुनाव लड़ाया था। बब्बर ने एक बार फिर चुनाव हारकर हार की हैटट्रिक बनाई है।
नहीं हुआ लीडरशिप डेवलपमेंट
भारतीय जनता पार्टी के कुछ निगम पार्षदों ने ‘लीडरशिप डेवलपमेंट’ के नाम पर पार्टी से टिकट मांगे थे। पार्टी के नेताओं की लीडरशिप तो डेवलप नहीं हो पाई, लेकिन जिन पार्षदों को टिकट दिया गया था, वह सब के सब हार गए। पार्टी ने रिठाला से मनीष चौधरी, सदर बाजार से जय प्रकाश जेपी, मादीपुर से कैलाश सांकला, उत्तम नगर से कृष्ण गहलोत और ग्रेटर कैलाश से शिखा राय को विधानसभा चुनाव में टिकट दिया गया था। लेकिन सभी पार्षदों ने पार्टी की नाक कटवा कर रख दी। खास बात है कि शिखा राय तो एक बार पहले भी विधानसभा चुनाव लड़कर हार चुकी हैं। उसके बाद उन्हें निगम का टिकट दिया गया था। सूत्रों का कहना है कि उन्हें जुगाड़ से टिकट लेना आता है, उन्हीं की वजह से कुछ और पार्षदों को भी टिकट मिल गया। बता दें कि बीजेपी ने निर्णय लिया था कि वह किसी भी पार्षद को टिकट नहीं देगी।