-दिल्ली वालों ने नकारा बीजेपी का पूर्वांचली चेहरा
-पार्टी अध्यक्ष बनते ही नड्डा के हिस्से में पहली हार
-बीजेपी को भारी पड़ा मनोज तिवारी पर भरोसा
हीरेन्द्र सिंह राठौड़/ नई दिल्ली
‘सिर मुंडाते ही ओले पड़े’ जी हां जगत प्रकाश नड्डा के भारतीय जनता पार्टी का राष्ट्रीय अध्यक्ष बनते ही उनके हिस्से में पहली हार आई है। दिल्ली में ‘रिंकिया के पापा’ की कार्यप्रणाली नड्डा पर भारी पड़ी है। विधानसभा चुनाव के नतीजों ने यह भी स्पष्ट कर दिया है कि दिल्ली वालों को बीजेपी का पूर्वांचली चेहरा बिलकुल पसंद नहीं आया। खास बात यह रही कि बीजेपी और कांग्रेस की ओर से चुनाव के दौरान खेला गया पूर्वांचल कार्ड बेमानी साबित हुआ। जनता दल (यूनाइटेड) और राष्ट्रीय जनता दल की मौजूदगी भी दिल्ली वालों को नहीं भाई।
बीजेपी के एक वरिष्ठ नेता के मुताबिक बीजेपी को प्रदेश अध्यक्ष मनोज तिवारी के ऊपर भरोसा करना भारी पड़ा। सूत्रों के मुताबिक पार्टी के राष्ट्रीय नेतृत्व की मेहनत की वजह से बीजेपी के वोट शेयर में तो बढ़ोतरी हुई। लेकिन प्रदेश नेतृत्व की मनमानी और कार्यकर्ताओं के साथ बदसलूकी का असर रहा कि चुनाव में अरबों रूपये खर्च करने के बावजूद पार्टी की हालत नहीं सुधर पाई।
केवल पूर्वांचल के नेता बनकर रह गए तिवारी
पार्टी से जुड़े वरिष्ठ सूत्रों का कहना है कि भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय नेतृत्व ने मनोज तिवारी को दिल्ली की कमान इसलिए सोंपी थी कि वह दिल्ली में पार्टी को आगे बढ़ाएंगे। लेकिन तिवारी खुद को दिल्ली में एक सर्वमान्य नेता बनाकर पेश करने में नाकाम साबित हुए। वह दिल्ली बीजेपी का अध्यक्ष होते हुए भी केवल पूर्वांचली नेता के रूप में सिमट कर रह गए। उनके आवास से लेकर प्रदेश बीजेपी कार्यालय तक वह केवल पूर्वांचल के कुछ छुटभैये नेताओं के बीच ही घिरे रहे। इसका खामियाजा बीजेपी को दिल्ली विधानसभा चुनाव में भी भुगतना पड़ा।
नोटः दिल्ली में बीजेपी की करारी हार और इसके जिम्मेदार लोगों पर कुछ और खबरें, कुछ देर में।