-तीनों राज्यों में स्थानीय मुद्दों के बजाय राष्ट्रीय है भाजपा का एजेंडा
-गृहमंत्री अमित शाह ने की महाराष्ट्र की राजधानी मुंबई से शुरूआत
हीरेन्द्र राठौड़/ नई दिल्ली-मुंबई
भारतीय जनता पार्टी ने हरियाणा, महाराष्ट्र और झारखंड के विधानसभा चुनाव में अनुच्छेद 370 को अपना चुनावी मुद्द बनाने का फैसला किया है। तीन में से दो राज्यों में चुनावी कार्यक्रम की घोषणा हो चुकी है। माना जा रहा है कि जल्दी ही चुनाव आयोग झारखंड में चुनाव कार्यक्रम की घोषणा कर सकता है। पार्टी से जुड़े सूत्रों का कहना है कि बीजेपी तीनों राज्यों में स्थानीय मुद्दों पर ध्यान देने के बजाय राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय मुद्दों पर फोकस करेगी। दरअसल तीनों ही राज्यों में अभी भाजपा की ही सरकार है। अतः पार्टी का शीर्ष नेतृत्व नहीं चाहता कि उसे एंटी इनकंबेंसी का सामना करना पड़े। इसलिए तीनों राज्यों में पहले से ही मुद्दों की धारा बदल दी जाए।
सूत्र बताते हैं कि पिछले दिनों पार्टी के शीर्ष नेताओं की बैठक हुई थी। इस बैठक में बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह, कार्यकारी अध्यक्ष जेपी नड्डा, संगठन महामंत्री बीएल संतोष और चार राज्यों के चुनाव प्रभारी शामिल हुए थे। इसी बैठक में तय किया गया कि पार्टी इस चुनाव में अनुच्छेद 370 के मुद्दे को भुनाएगी। इसके बाद तीनों राज्यों के कार्यकर्ताओं को आदेश दिया गया है कि वह घर-घर जाकर मोदी सरकार के इस कदम का प्रचार करें।
भाजपा अध्यक्ष अमित शाह और कार्यकारी अध्यक्ष जेपी नड्डा ने रविवार 22 सितंबर से इसका शंखनाद कर दिया। जेपी नड्डा ने बेंगलुरू में प्रबुद्ध जनों की सभा को संबोधित किया। वहीं अमित शाह ने मुंबई के सायन में आयोजित ब्याख्यानमाला में इसी मुद्दे पर लोगों को संबोधित किया। अमित शाह ने कहा कि जम्मू-कश्मीर से धारा 370 और 35 (ए) के हटने से प्रदेश के विकास के द्वार खुल गए हैं। हम जम्मू-कश्मीर के विकास और वहां के निवासियों के उत्थान के लिए कटिबद्ध हैं। भारतीय जनता पार्टी ने 1 सितंबर से 30 सितंबर के बीच इसके लिए विशेष अभियान शुरू किया है।
भाजपा अध्यक्ष अमित शाह ने कहा कि महाराष्ट्र और हरियाणा में पूर्ण बहुमत की सरकार बनना तय है। कांग्रेस और एनसीपी भले अलग-अलग राग अलापें लेकिन महाराष्ट्र में एनडीए सरकार तीन चौथाई से ज्यादा बहुमत प्राप्त करेगी। जिस तरह केंद्र में मोदी सरकार और प्रदेश में देवेन्द्र सरकार पांच साल चली हैं। उससे महाराष्ट्र की जनता भाजपा में अपनी आशाओं, आकांक्षाओं और सपनों को साकार होता हुआ देख रही है।
अमित शाह ने कहा कि आज हम गर्व से कह सकते हैं कि जम्मू-कश्मीर हिंदुस्तान का अभिन्न अंग है। क्योंकि अब धारा 370 और 35 (ए) अस्तित्व में नहीं है। एक देश में एक विधान, एक प्रधान और एक निशान के नारे को लेकर जन संघ और भारतीय जनता पार्टी के कई कार्यकर्ताओं ने अपना सर्वोच्च बलिदान दिया है। पहले जम्मू-कश्मीर जाने के लिए भारतीय नागरिकों को भी परमिट लेना पड़ता था। जम्मू-कश्मीर को हिंदुस्तान से जोड़ने के लिए हमारे प्रथम अध्यक्ष डॉ श्यामा प्रसाद मुखर्जी जम्मू-कश्मीर गए थे। लेकिन उन्हें शेख अब्दुल्ला सरकार ने जेल में डाल दिया था। जेल में ही उनकी रहस्यमय परिस्थितियों में मृत्यु हो गई थी।
अमित शाह ने कहा कि कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गाँधी कहते हैं कि धारा 370 एक राजनीतिक मुद्दा है। वह आज राजनीति में आये हैं लेकिन हमारी तीन-तीन पीढ़ियों ने जम्मू-कश्मीर को भारत के साथ अक्षुण्ण रखने के लिए बलिदान दिया है। हम हमेशा इसके लिए आंदोलनरत रहे। यह राजनीतिक मुद्दा कतई नहीं है। शाह ने कहा कि कांग्रेस पार्टी के लिए जम्मू-कश्मीर में धारा 370 और 35 (ए) को रखना राजनीतिक मुद्दा था। जबकि भाजपा के लिए यह भारत मां को अखंड बनाने का संकल्प है। यही हमारे प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जी का भी संकल्प है। राहुल गाँधी को इसमें राजनीति दिखती है। जबकि हमें धारा 370 और 35 (ए) हटाने में देशभक्ति दिखाई देती है। भाजपा और कांग्रेस में यही फर्क है।
भाजपा अध्यक्ष ने कहा कि देश की आजादी के बाद 600 से अधिक रियासतों को भारत के साथ जोड़ने का बीड़ा सरदार वल्लभ भाई पटेल ने उठाया था। जबकि पंडित जवाहर लाल नेहरू ने जम्मू-कश्मीर का मसला हमेशा अपने पास रखा। परिणाम यह हुआ कि आज पूरे हिंदुस्तान में जम्मू-कश्मीर को छोड़ कर कहीं कोई भी समस्या नहीं है।
नेहरू की वजह से बना था पीओके
अमित शाह ने कहा कि जब 20 अक्टूबर 1947 को पाकिस्तान ने कबीलाई सेना की आड़ में जम्मू-कश्मीर पर हमला किया। तब जम्मू-कश्मीर के महाराजा ने भारत के साथ जुड़ने का प्रस्ताव रखा था। भारतीय सेना जीत के साथ पाकिस्तान में काफी अंदर तक पहुंच गई थी। लेकिन पंडित नेहरू के अचानक युद्ध विराम की घोषणा के चलते पाक अधिकृत कश्मीर को हिंदुस्तान के साथ जोड़ने का स्वप्न अधूरा रह गया। यदि पंडित नेहरू ने अचानक युद्ध विराम न किया होता तो पीओके का मुद्दा होता ही नहीं।
नेहरू ने की थी यूएन जाने की गलती
भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष ने कहा कि पंडित नेहरू जममू कश्मीर का मुद्दा चार्टर 35 के तहत संयुक्त राष्ट्र में ले गए थे। जिसके चलते जम्मू-कश्मीर एक विवादित क्षेत्र बन गया। सरदार पटेल की असामयिक मृत्यु के पश्चात् शेख अब्दुल्ला और पंडित नेहरू के बीच एक असंवैधानिक ‘दिल्ली समझौता’ हुआ। जिसके कारण धारा 370 और 35 (ए) की नींव पड़ी। इसके साथ जम्मू-कश्मीर में आतंकवाद, अलगाववाद और भ्रष्टाचार अपनी जड़ें गहरी करता चला गया। पाकिस्तान को जम्मू-कश्मीर को और अस्थिर करने का मौक़ा मिल गया।
40 हजार नागरिकों ने दी शहादत
अमित शाह ने कहा कि 90 के दशक में हजारों कश्मीरी पंडितों, सूफी संतों और सरदारों को जम्मू-कश्मीर से विस्थापित होना पड़ा। 1989 से अब तक 40 हजार नागरिक जम्मू-कश्मीर में शहीद हुए। कांग्रेस और एनसीपी को केवल सत्ता चाहिए। इसलिए उन्हें हमारे 40 हजार नागरिकों की शहादत की तकलीफ नहीं होती। मुझे विश्वास है कि कुछ समय बाद जम्मू-कश्मीर आतंकवाद से पूर्णतया मुक्त हो जाएगा।
महज 10 थाना क्षेत्रों में ही है प्रतिबंध
गृह मंत्री अमित शाह ने कहा कि धारा 370 और 35 (ए) हटने के पश्चात् जम्मू-कश्मीर में शांति है। अब महज 10 थाना क्षेत्रों में ही प्रतिबंध है। करी 99 फीसदी लैंडलाइन फोन काम कर रहे हैं। लगभग 67 फीसदी मोबाइल फोन भी अब काम करने लगे हैं। कर्फ्यू ख़त्म हो गया है, व्यापार शुरू हो गया है और जम्मू-कश्मीर के सेब भी जल्द ही बाजारों में दस्तक देंगे। राज्य में अब कमजोर वर्गों के लिए आरक्षण मिलने की शुरुआत हुई है। अब जम्मू-कश्मीर में एट्रोसिटीज एक्ट भी लागू होगा। सफाई कर्मचारी आयोग और मानवाधिकार आयोग का भी गठन होगा। प्रदेश में बाल विवाह का भी क़ानून होगा।
केंद्र ने दी 2.27 लाख करोड़ की धनराशि
पिछले कुछ वर्षों में केंद्र सरकार ने जम्मू-कश्मीर के विकास के लिए 2.27 लाख करोड़ रुपये की राशि दी। यदि यह पैसा भ्रष्टाचार की भेंट न चढ़ा होता तो जम्मू-कश्मीर के लोगों तक पहुंचता। राज्य में अनुच्छेद 370 और 35 (ए) जम्मू-कश्मीर की भाषा या संस्कृति को बचाने के लिए नहीं बल्कि तीन राजनीतिक घरानों के भ्रष्टाचार के लिए राजनैतिक कवच था।
थपथपाई फणनवीस की पीठ
अमित शाह ने मुख्यमंत्री देवेंद्र फणनवीस की पीठ थपथपाते हुए कहा कि हमारे सीएम फड़णवीस जी ने पांच वर्षों में भ्रष्टाचार विहीन शासन दिया है। विकास से परिपूर्ण शासन दिया है। महाराष्ट्र का गौरव बढ़ाया है। देश के नंबर वन प्रदेश के रूप में महाराष्ट्र को प्रतिष्ठित किया है। आज महाराष्ट्र शिक्षा के मामले में देश में तीसरे स्थान पर और निवेश के क्षेत्र में दूसरे स्थान पर है। विगत पांच वर्षों में महाराष्ट्र की कृषि विकास दर भी बढ़ी है।