370ः भारत से जम्मू-कश्मीर को अलग करने की थी शाजिश!

-ऐतिहासिक झूठ है जम्मू-कश्मीर को स्पेशल स्टेटस देने की बातः नड्डा
-संविधान के खिलाफ था नेहरू व शेख अब्दुल्ला के बीच ‘दिल्ली अकॉर्ड’: जेपी
-राज्य विधानसभा चुनावों में अनुच्छेद 370 भी है भाजपा का हथियार

टीम एटूजेड/बेंगलुरू
आने वाले कई राज्यों के विधानसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी अनुच्छेद 370 के मुद्दे को हथियार की तरह इस्तेमाल करने जा रही है। पार्टी के राष्ट्रीय कार्यकारी अध्यक्ष जगत प्रकाश नड्डा ने रविवार को अपने इरादे स्पष्ट कर दिए। उन्होंने बेंगलुरू में आयोजित बुद्धिजीवी सम्मेलन में ‘एक देश-एक संविधान’ विषय की गोष्ठी को संबोधित किया। उन्होंने कहा कि अनुच्छेद 370 के द्वारा जम्मू कश्मीर को स्पेशल स्टेटस दिए जाने की बात कहा जाना ऐतिहासिक झूठ है। पूर्व प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू और शेख अब्दुल्ला के बीच हुआ ‘दिल्ली अकॉर्ड’ देश के संविधान के मूल सिद्धांतों के खिलाफ था। अब मोदी सरकार ने अनुच्छेद 370 को हटाया है। इसके बाद पूरी जानकारी देश के जन-जन तक पहुंचाने के लिए 1 सितंबर से 30 सितंबर तक भारतीय जनता पार्टी द्वारा विशेष अभियान चलाया जा रहा है। इसके लिए देश के अलग अलग हिस्सों में कार्यक्रम आयोजित किए जा रहे हैं। नड्डा ने रविवार को पूर्व क्रिकेटर राहुल द्रविण और पद्मश्री चंद्रशेखर कंबार से मुलाकात की।
आंबेडकर ने की थी खिलाफत
जेपी नड्डा ने कहा कि यह गलत कहा जा रहा है कि अनुच्छेद 370 के द्वारा जम्मू कश्मीर राज्य को स्पेशल स्टेटस दिया गया है। यह एक ऐतिहासिक झूठ था। जबकि संविधान निर्माता बाबा साहब आंबेडकर ने धारा 370 की खिलाफत की थी। उनका मानना था कि भारत जम्मू-कश्मीर की सीमाओं की रक्षा तो करे, उसका भरण पोषण तो करे, कनेक्टिविटी और डिफेंस की देखभाल तो करे, लेकिन भारतीय नागरिकों को जम्मू-कश्मीर में अधिकार न मिलें, यह अमान्य है और इसका समर्थन नहीं किया जा सकता। इसके बाद धारा 370 को शामिल कराने की जिम्मेदारी गोपाल अयंगर को सोंपी गई थी। उन्होंने भी संविधान सभा में कहा था कि अनुच्छेद 370 का प्रावधान अस्थायी होगा और इसे चरणबद्ध तरीके से हटज्ञ दिया जाएगा। इसके साथ ही भारतीय संविधान को पूरी तरह से जम्मू-कश्मीर में लागू कर दिया जाएगा।
शेख अब्दुल्ला के दबाव में कराए थे विरोधियों के फार्म रिजेक्ट
भाजपा के कार्यकारी अध्यक्ष जेपी नड्डा ने कहा कि 1951 में जब पीपुल्स रिप्रिजेंटेशन एक्ट को जम्मू कश्मीर में पूरी तरह से लागू नहीं किया गया था। पहली बार जम्मू कश्मीर में विधानसभा चुनाव हो रहे थे तो शेख अब्दुल्ला के दबाव में प्रजा परिषद के सभी उम्मीदवारों के फार्म को रिजेक्ट कर दिया गया था। शेख अब्दुल्ला की पार्टी के 73 उम्मीदवार बिना चुनाव लड़े ही चुन कर विधानसभा पहुंच गए थे। दो अन्य उम्मीदवारों के फार्म को रिजेक्ट करने के बाद उनका दोबारा से चुनाव कराया गया। इस तरह से 75 के 75 विधायक एक ही पार्टी के चुनकर विधानसभा में आ गए थे।
दंभ का असर… जम्मू-कश्मीर हुआ भारत से बेअसर
शेख अब्दुल्ला की पार्टी 75 विधायक चुनकर आने के बाद अब्दुल्ला ने जम्मू-कश्मीर विधानसभा को संविधान सभा और संप्रभु निकाय कहना शुरू कर दिया था। इसके खिलाफ 1951 से 1954 तक आंदोलन चला। हजारों लोग गिरफ्तार किए गए। बहुत से लोग आंदोलन में शहीद हुए। डॉ श्यामा प्रसाद मुखर्जी ने देश की एकता और अखंडता के लिए अपना सर्वस्व बलिदान कर दिया। इसके बाद पंडित नेहरू और शेख अब्दुल्ला ने ‘दिल्ली अकॉर्ड’ कर लिया। यह समझौता भ्ज्ञारतीय संविधान के मूल सिद्धांतों के खिलाफ था। यह समझौता असंवैधानिक था और इस पर कोई हस्ताक्षर भी नहीं किए गए थे।
‘दिल्ली अकॉर्ड’ में लिया अलग संविधान का फैसला
पंडित नेहरू और शेख अब्दुल्ला के बीच हुए ‘दिल्ली अकॉर्ड’ के तहत जम्मू कश्मीर को अलग संविधान की छूट दी गई थी। इसके तहत फैसला लिया गया था कि भारत की संसद के द्वारा पारित किसी भी कानून को जम्मू-कश्मीर विधानसभा से भी पारित कराना होगा। जब तक ऐसा नहीं किया जाएगा, तब तक वह कानून जम्मू कश्मीर में लागू नहीं होगा। इसी के चलते देश में दो प्रधान, दे निशान और दो संविधान की नींव पड़ी थी।
क्लॉज 1डी के जरिए राष्ट्रपति को मिला अधिकार
अनुच्छेद 370 की धारा 1 डी के तहत भारत के राष्ट्रपति को यह अधिकार दिया गया था कि वह कभी भी इन प्रावधानों को खत्म कर सकते हैं। अनुच्छेद 370 और धारा 35 ए के चलते जम्मू-कश्मीर में अलगाववाद और आतंकवाद के साथ भ्रष्टाचार चरम सीमा पर पहुंच गया था।
370 के जरिए रची गई देश तोड़ने की साजिश
भाजपा के कार्यकारी अध्यक्ष जेपी नड्डा ने आरोप लगाय कि अनुच्छेद 370 के जरिए देश को तोड़ने की साजिश रची गई थी। इन अनुच्छेदों को हटाने का फैसला देशहित में हुआ है। मोदी सरकार के इस कदम से देश की अवाम खुश है। अब पूरा देश एक साथ तरक्की के रास्ते पर आगे बढ़ सकेगा।