एक यात्रा और 1,28,493 आत्माओं को मिली शांति

-दिल्ली से हरिद्वार तक निकाली अस्थि कलश यात्रा
-दिल्ली से हरिद्वार तक शोभा यात्रा का भव्य स्वागत
-लावारिश अस्थियों का गंगा में किया गया विसर्जन

टीम एटूजेड/नई दिल्ली
श्री देवोत्थान सेवा समिति ने विभिन्न शमशान घाटों से एकत्रित लावारिस अस्थियों को लेकर दिल्ली से हरिद्वार तक शोभा यात्रा निकाल। इसके पश्चात हरिद्वार के सती घाट पर इन अस्थियों का विधिविधान के साथ विसर्जन किया गया। दिल्ली से हरिद्वार तक शोभा यात्रा का विभिन्न स्थानों पर स्वागत किया गया। शुक्रवार 20 सितंबर को आईटीओ स्थित शहीद पार्क से इस यात्रा की शुरूआत की गई। इस मौके पर समिति के अध्यक्ष अनिल नरेंद्र व कालिका पीठ के पीठाधीश्वर महंत सेरेंद्र नाथ अवधूत और विभिन्न गणमान्य लोग मौजूद रहे।
दिल्ली से हरिद्वार के बीच विभिन्न स्थानों पर ढोल-गाड़ों और गाजे-बाजे के साथ यात्रा का स्वागत किया गया। दिल्ली में ही करीब आधा दर्जन स्थानों पर यात्रा का बड़े स्तर पर स्वागत किया गया। इसके पश्चात गाजियाबाद, मोदी नगर, मेरठ और रूड़की आदि शहरों में शोभा यात्रा का भव्य स्वागत हुआ। जगह जगह शोभा यात्रा में शामिल लोगों के लिए अलग अलग तरह के जलपान की व्यवस्था की गई थी। लोगों ने जगह जगह शोभा यात्रा को रोक कर पितरों की अस्थियों को पुष्प अर्पित कर अपनी श्रद्धांजलि अर्पित की। जगह जगह स्वागत और सत्कार के साथ चलते हुए शुक्रवार की सांय यात्रा रूड़की पहुंची।
रूड़की में कई संगठनों के प्रतिनिधियों ने सामूहिक रूप से यात्रा का स्वागत किया। विश्व हिंदू परिषद और सनातन हिंदू वाहिनी और कई अन्य संगठनों के लोगों ने इस मौके पर पितरों की अस्थियों को पुष्प अर्पित कर अपनी श्रद्धांजलि भेंट की। इस मौके पर उपस्थित लोगों को देवोत्थान सेवा समिति के अध्यक्ष व वीर अर्जुन समूह के संपादक अनिल नरेंद्र ने संबोधित किया।
यात्रा 20 सितंबर शुक्रवार की रात्रि करीब 8 बजे हरिद्वार पहुंची। रात्रि विश्राम के बाद 21 सितंबर शनिवार की सुबह एक बार फिर लावारिश पितरों की अस्थियों के साथ शोभा यात्रा की शुरूआत हुई और बैंड बाजों के साथ भारी संख्या में लोग इसमें शामिल हुए।
हिंदू सनातन संस्कृति में संस्कार बेहद महत्व रखते हैं। इनसान को जन्म से लेकर मृत्यु तक विभिन्न संस्कारों को पूरा करना होता है। मृत्यु के पश्चात किसी भी पवित्र नदी या प्राकृतिक जल स्रोत में अस्थियों का विसर्जन और तर्पण भी इसी का महत्वपूर्ण हिस्सा हैं। बताया जाता है कि इसके बिना आत्मा को शांति और सद्गति नहीं मिलती। लेकिन कुछ लोग ऐसे भी होते हैं, जिनकी अस्थियों को पवित्र जल में विसर्जित करने वाला कोई नहीं होता। दिल्ली की श्री देवोत्थान सेवा समिति इसी पुंण्य कार्य में लगी है। देश विदेश के विभिन्न शमशान घाटों से पहले लावारिस अस्थियों को दिल्ली में एकत्र किया जाता है। इसके पश्चात दिल्ली से हरिद्वार तक धूमधाम के साथ उन अस्थियों की शोभायात्रा निकाली जाती र्है।
श्री देवोत्थान सेवा समिति बीते 17 साल से यह पुनीत कार्य करती आ रही है। इस साल 18 वीं बार समिति द्वारा लावारिस अस्थियों का पवित्र गंगा में विसर्जन किया गया। अब तक 1 लाख 28 हजार 493 हुतात्माओं की अस्थियों का विसर्जन विधि विधान के साथ पवित्र गंगा में किया जा चुका है। इस बार दिल्ली से इस यात्रा में करीब 400 लोग शामिल हुए। बीच बीच में और भी लोग जुड़ते गए और काफिला बढ़ता गया।
समिति के महामंत्री विजय शर्मा के मुताबिक विभिन्न शमशान घाटों से अस्थियों के संग्रह में इस बार किरनदीप कौर, नमन शर्मा, रिदम कुमार और उत्कर्ष कुमार जैसे चार युवाओं का महत्पूर्ण योगदान रहा। इस दौरान हरिद्वार शहर में जगह शोभा यात्रा का स्वागत किया गया। हरिद्वार के भूपत वाला से यह शोभा यात्रा पूरे गाजे-बाजे के साथ 8 हजार से ज्यादा अस्थियों को लेकर कनखल के सती घाट के लिए रवाना हुई।
शोभा यात्रा में समिति के अध्यक्ष अनिल नरेंद्र, महामंत्री विजय शर्मा, कालिका पीठ के पीठाधीश्वर पंडित सुरेंद्र नाथ अवधूत, समाजसेवी टीटू ओबेरॉय, कई विभागों के वरिष्ठ अधिकारी, वरिष्ठ पत्रकार, विभिन्न सामाजिक संगठनों के पदाधिकारी व गणमान्य लोग भारी संख्या में शामिल हुए। इस बार की खास बात यह रही कि गंगा में विसर्जन के लिए सिंगापुर और दुबई से भी अस्थियों को मंगाया गया था। कनखल के सती घाट पहुंचने पर इन अस्थियों को पूरी श्रद्धा और सम्मान के साथा शोभा यात्रा के रथ से उतारा गया।
अस्थियों को अपने कंधों पर उठाए हुए पूरे श्रद्धा भाव के साथ लोग आगे बढ़ते रहे। साथ ही हर हर महादेव, बम बम भोले व राम-राम के उद्घौश के साथ विसर्जन स्थल तक पहुंचे। बता दें कि इस बार इस पुनीत कार्य के लिए प्लास्टिक की थैलियों का प्रयोग नहीं किया गया।
अस्थियों के सती घाट पर पहुंचने के साथ ही स्वस्तिवाचन के साथ अस्थि विसर्जन की शुरूआत पूरे विधिविधान के साथ हुई। कनखल के सती घाट पर अस्थियों के विसर्जन के पश्चात सभी लोग हरि की पौड़ी पर पहुंचे। यहां सभी ने सामूहिक रूप से मां गंगा की पवित्र धारा में स्नान किया और समस्त विश्व के कल्याण की कामना के साथ अस्थि विसर्जन की यात्रा का यह पर्व संपन्न हुआ।