-गुरूवार से प्रकृति पूजा के छठ पर्व की शुरूआत
-आस्था व धूमधाम के साथ मनाया जा रहा छठ पर्व
टीम एटूजेड/ नई दिल्ली
गुरूवार 31 अक्टूबर से देश भर में आस्था के महापर्व छठ की शुरुआत हो गई। प्रकृति पूजा के इस महापर्व की शुरूआत गुरूवार को नहाय-खाय के साथ हुई। छठ व्रतियों ने नहाने के बाद भगवान सूर्य की उपासना की और अर्घ्य देने के बाद खाना खाया। बता दें कि नहाय-खाय के खाने में साधारण नमक का प्रयोग नहीं किया जाता। चार दिन तक चलने वाले इस व्रत को लेकर तैयारियां शुरू हो चुकी है। देश भर के सभी बड़े शहरों में तैयारियां पूरी हो चुकी हैं। बिहार, छत्तीसगढ़, पश्चिम बंगाल के कुछ हिस्सों के साथ पूर्वी उत्तर प्रदेश में छठ पर्व को बड़ी आस्था और विश्वास के साथ मनाया जाता है। इन स्थानों से निकल कर देश व विदेशों के विभिन्न हिस्सों में बसे लोग अपनी-अपनी जगह इस महापर्व को धूमधाम के साथ मनाते हैं।
शुक्रवार को खरना का त्योहारः
शुक्रवार 1 नवबंर को दूसरे दिन खरना का त्योहार मनाया जाएगा। इस दिन शाम के समय गुड़ वाली खीर का प्रसाद बनाकर सूर्य देव को भोग लगाया जाता है। सूर्य देव को भोग लगाने के बाद प्रसाद को लोगों को बांटा जाता है।
शनिवार को दिया जाएगा अस्ताचलगामी सूर्य को अर्घ्यः
छठी मैया की पूजा में तीसरे दिन अस्ताचलगामी सूर्य को अर्घ्य दिया जाता है। इस दिन महिलाएं शाम के समय नदी, तलाब या छठ पूजा के लिए बनाए गए घाट पर जल में खड़े होकर सूर्य भगवान को अर्घ्य देती हैं। इस दिन की पूजा में ढ़लते सूर्य भगवान को अर्ध्य दिया जाता है।
उगते सूर्य की पूजा के साथ पूजा संपन्नः
छठ पूजा के चौथे दिन यानी रविवार को उगते सूर्य को अर्घ्य दिया जाएगा। इस दिन छठ व्रती महिलाएं सूर्य उगने से पूर्व ही नदी, तालाब या छठ घाट पर पानी में खड़ी हो जाती हैं। उगते सूर्य को अर्ध्य दिया जाता है। सूर्य की उपासना के पश्चात कुछ खाकर व्रता खोला जाता है और इसकी के साथ प्रकृति उपासना की छठ मैया की पूजा संपन्न होती है।
याद रखें महत्वपूर्ण दिनः
31 अक्टूबरः नहाय-खाय
1 नवंबरः खरना
2 नवंबरः संध्या का अर्घ्य
3 नवंबरः सुबह का अर्घ्य