सोनिया के सामने चुनौती… कांग्रेस की यह ‘फूट’ है बड़ी!

-पीएम मोदी के कामकाज को लेकर कांग्रेस नेताओं में फूट
-कांग्रेस को बांधे रखना सोनिया के लिए बनी बड़ी चुनौती

हीरेन्द्र सिंह/ नई दिल्ली
2019 के लोकसभा चुनाव में करारी हार के बाद कांग्रेस पार्टी में नेताओं की एकजुटता बनाए रखना बड़ी चुनौती बन गया है। कांग्रेस के वरिष्ठ नेताओं के बीच बार-बार तालमेल का अभाव सामने आ रहा है। एक ही मुद्दे पर पार्टी नेतृत्व और दूसरे नेताओं की अलग अलग राय होने की वजह से पिछले कुछ दिनों में कांग्रेस पार्टी की जबरदस्त किरकिरी हुई है। पार्टी अध्यक्ष सोनिया गांधी अपनी दूसरी पारी में पार्टी के नेताओं को संगठित रख पाने में असफल नजर आ रही हैं। राजनीतिक विश्लेषकों कहना है कि कांग्रेस में दूरदर्शिता के अभाव के चलते पार्टी नेतृत्व प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और भारतीय जनता पार्टी की रणनीति का सामना कर पाने में पूरी तरह से असफल है। यही कारण है कि पार्टी नेतृत्व के विचारों से कांग्रेस के दूसरे वरिष्ठ नेताओं के विचार मेल नहीं खा रहे हैं। पार्टी नेतृत्व की मोदी विरोधी विचारधारा के खिलाफ अब कांग्रेस के नेताओं में ही फूट पड़ गई है। कांग्रेस के नेता अब खुलकर पार्टी नेतृत्व के विचारों से अलग अपने विचार खुलकर रख रहे हैं।
गलत है खलनायक की तरह पेश करना
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता जयराम रमेश ने एक कार्यक्रम में कहा कि हर वक्त पीएम मोदी को ’खलनायक’ की तरह पेश करने से कुछ हासिल नहीं होगा। उन्होंने कहा कि मोदी ऐसी भाषा में बात करते हैं, जो लोगों को उनसे जोड़ती है। जब तक हम यह नहीं मान लेते हैं कि वह ऐसे काम कर रहे हैं, जिन्हें जनता सराह रही है और जिन्हें पहले नहीं किया गया है, तब तक हम उनका सामना कर पाने में समर्थ नहीं हो पाएंगे। रमेश ने कहा कि मोदी को हमेशा गलत या बुरा कहने से हम उनका मुकाबला नहीं कर पाएंगे। वक्त आ गया है कि अब हम 2014 से 2019 के बीच मोदी द्वारा किए गए काम को समझें, जिसकी वजह से वह मतदाताओं के 30 प्रतिशत से अधिक वोट से वापस सत्ता में लौटे।
मोदी के पक्ष में दूसरे वरिष्ठ कांग्रेसी नेता अभिषेक मनु सिंघवी ने भी जयराम रमेश का समर्थन किया। सिंघवी ने अपने ट्वीट में कहा कि मैंने हमेशा कहा है कि मोदी को बुरा कहना गलत है। सिर्फ इसलिए नहीं कि वह देश के प्रधानमंत्री हैं। बल्कि ऐसा करके विपक्ष वास्तव में एक तरह से उनकी मदद करता है। काम हमेशा अच्छा, बुरा या सामान्य होता है। उसका मूल्यांकन व्यक्ति के आधार पर नहीं, बल्कि मुद्दों के आधार पर किया जाना चाहिए। निश्चित रूप से उज्जवला योजना अन्य अच्छे कामों में से एक है।
वहीं कांग्रेस नेता शशि थरूर भी खुलकर सामने आ गए। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को बुरा कहना गलत है। थरूर ने अपने ट्वीट में कहा कि मैं छह साल से दलील दे रहा हूं कि यदि नरेंद्र मोदी कोई सही काम करते हैं या सही बात कहते हैं तब उनकी सराहना की जानी चाहिए। ताकि जब वह कुछ गलत करें, और हम उनकी आलोचना करें तब उसकी विश्वसनीयता रहे।
कांग्रेस में बढ़े मतभेद
कई दूसरे कांग्रेसी नेताओं ने जयराम, सिंघवी और शशि थरूर के बयानों पर आपत्ति जताई है। कांग्रेस कार्यसमिति सदस्य कुमारी शैलजा ने कहा कि मैं यह समझने में असमर्थ हूं कि ऐसी क्या चीज है जिसने जयराम रमेश को यह बयान देने के लिए प्रेरित किया है। वह भी ऐसे समय में जबकि हर बात के लिए जवाहर लाल नेहरू को जिम्मेदार ठहराया जा रहा है। वहीं राज्यसभा में कांग्रेस के उपनेता आनंद शर्मा ने कहा कि प्रधानमंत्री और सरकार के काम की आलोचना करना विपक्ष का कर्त्तव्य है। इसे खलनायक की तरह पेश करना नहीं कहा जा सकता। बिना आलोचना के लोकतंत्र नहीं हो सकता। विपक्ष से यह उम्मीद नहीं की जानी चाहिए कि वह सरकार के किसी भी काम की तारीफ करेगा।
अनुच्छेद 370 पर भी दो फाड़ रही कांग्रेस
कांग्रेस पार्टी के कई बड़े नेताओं ने पार्टी लाइन से हटकर केंद्र सरकार द्वारा अनुच्छेद 370 को हटाए जाने का समर्थन किया था। पार्टी के वरिष्ठ नेता ज्योतिरादित्य सिंधिया ने कहा था कि यह राष्ट्रहित में लिया गया निर्णय है। उनसे पहले दीपेंद्र हुड्डा, मिलिंद देवड़ा, अनिल शास्त्री, रंजीत रंजन और अदिति सिंह ने भी कांग्रेस आलाकमान के फैसले से हटकर मोदी सरकार के इस कदम को सही बताया था।