नींव निर्माताओं के सहयोग से संवर रहा देश का भविष्यः डॉ नीरज

-उत्तर पूर्वी जिला उप शिक्षा निदेशक डॉ. नीरज के साथ साक्षात्कार

‘‘बच्चे देश का भविष्य होते हैं और उनका भविष्य संवारना नींव निर्माताओं के हाथ में है। यही नींव निर्माता 10 वीं तक के छात्रों का भविष्य सुधार रहे हैं।’’ यह कहना है दिल्ली के उत्तर पूर्वी जिले की उप शिक्षा निदेशक डॉ. नीरज का। उन्होंने एटूजैड न्यूज की टीम के साथ साक्षात्कार में शिक्षा के क्षेत्र में हुए सुधारों पर बात कीः”

प्रश्नः उत्तर पूर्वी जिला में शिक्षा में सुधार के लिए आपने क्या कदम उठाए हैं?
उत्तरः  जिला में उप शिक्षा निदेशक पद का कार्यभार संभालने के बाद हमने 10 वीं कक्षा तक के छात्रों को पढ़ाने वालों पर ध्यान दिया। क्योंकि वही नींव निर्माता हैं। ऐसे शिक्षकों के साथ हमने प्रत्यक्ष बात की। इससे मानसिक हिचकिचाहट और जड़ता को दूर किया जा सकता है। यह भी पता लगाया जा सकता है कि अन्य दूसरी बाधाएं क्या हैं? 2018 के नवंबर महीने में हमने 4 दिन का लगातार 8 सेशन बुलाकर लगभग 2400 शिक्षकों से बात की और शिक्षण के तरीके और विधियां आपस में शेयर कीं। इससे न केवल परीक्षा के परिणाम बेहतर हुए हैं, बल्कि विद्यालयों के वातावरण में भी गुणात्मक सुधार हुआ है। इसके साथ ही हमने एक न्यूनतम सहायता कार्यक्रम शुरू किया। इसके तहत हमने विभाग के अलावा स्वयं जिला सतर पर एक सपोर्ट मेटिरियल तैयार कराया। जिसे पढ़कर ऐसे बच्चे भी पास हो सकें जो पढ़ाई में बेहद कमजोर होते हैं।
प्रश्नः शिक्षा व्यवस्था के सुधार में विद्यालयों में पढ़ाने वाले शिक्षकों की भागीदारी किस प्रकार की रही?
उत्तरः शिक्षा सुधार कार्यक्रमों में शिक्षकों की महत्वपूर्ण भूमिका रही। सभी विद्यालयों में सपोर्ट मेटिरियल वितरित कराया गया और इसके मुताबिक हर कक्षा में प्र्रेक्टिस कराई गई। हमारे शिक्षकों ने इसमें पूरा सहयोग दिया है और उनकी सक्रिय भागीदारी रही है।
प्रश्नः उत्तर पूर्वी जिला के परीक्षा परिणामों के बारे में आप क्या कहेंगी?
उत्तरः पिछले वर्ष की तुलना में 10 वीं के परीक्षा परिणामों में 4.6 फीसदी और 12 वीं के परीक्षा परिणामों में 5.93 फीसदी की बढ़ोतरी हुई है। इसके लिए मैं अपने सभी शिक्षकों, बच्चों व अभिभावकों को बधाई देती हूं। 10 वीं कक्षा का स्तर सबसे ज्यादा उथल पुथल भरा रहा है। किस साल बोर्ड होगा और किस साल नहीं होगा पता ही नहीं होता। एनडीपी की नीति और पढ़ाई के लिए सबसे ज्यादा बच्चों का नगर निगम के विद्यालयों से आना दिल्ली सरकार के विद्यालयों की सबसे बड़ी समस्या है। नगर निगम के विद्यालय हमारे कार्यक्षेत्र से बाहर हैं। यह कारण हैं कि 10 वीं के परीक्षा परिणामों को स्थिर दिशा में जाने से रो रहे हैं।
प्रश्नः आपने उत्तर पूर्वी जिला का कार्यभार कब संभाला और क्या उपलब्धियां रहीं?
उत्तरः मैंने अक्टूबर 2018 में उत्तर पूर्वी जिला का उप शिक्षा निदेशक का कार्यभार संभाला था। कुछ समय को छोड़ दें तो करीब 25 साल तक यह जिला मेरा कर्मभूमि रहा है। 1993 में सी-1, यमुना विहार के विद्यालय में अंग्रेजी प्रवक्ता के रूप में मेरी नियुक्ति हुई थी। 14 साल इस पद पर शिक्षण कार्य करने के पश्चात बी-2 के विद्यालय में यूपीएससी के द्वारा प्रत्यक्ष सलेक्शन के जरिए मैंने प्रधानाचार्य के पद का कार्यभार संभाला और 6 साल तक इस पद पर कार्यरत रही। इस कार्यकाल के दौरान इस विद्यालय में साइंस स्ट्रीम लाई गई। इसका फायदा यह हुआ कि इस विद्यालय के बच्चों को विज्ञान स्ट्रीम के लिए दूसरे विद्यालयों का रूख नहीं करना पड़ा। हमारी दूसरी उपलब्धि यह रही कि इस विद्यालय का 12 वीं का परीक्षा परिणाम 78 फीसदी रहा वह 2012 में बढ़कर 93 फीसदी तक पहुंच गया। तीसरी उपलब्धि यह रही कि हमारे साथ विद्यालय के सभी शिक्षक और अभिभावक एक परिवार की तरह जुड़े रहे।
प्रश्नः इस क्षेत्र से जुड़े और क्या अनुभव रहे?
उत्तरः दो साल तक मैंने इसी जिला में कोर्ट केस का कार्यभार संभाला। यह अनुभव अपने आप में विलक्षण रहा। एक प्रशासक के रूप में न्याय के मंदिर में आना-जाना और न्याय की लड़ाई में भागीदारी ने बहुत कुछ सिखाया।
प्रश्नः उप शिक्षा निदेशक के रूप में कैसा अनुभव रहा?
उत्तरः उत्तर पूर्वी जिला मं 130 सरकारी विद्यालय, 302 प्राइवेट विद्यालय और 7 एडेड विद्यालय हैं। इन विद्यालयों में करीब 5 लाख छात्र पढ़ते हैं, जो कि दिल्ली का करीब 20 फीसदी है। अक्टूबर 2018 में मैंने कार्यभार संभाला था। तब से अब तक कई विद्यालयों की नई इमारतें बनी हैं। प्रशिक्षण कार्यक्रम चलाए जा रहे हैं। लेकिन बौद्धिक वातावरण में बदलाव लाने की बहुत जरूरत है, जो कि अभी नहीं हो पाया है। मेरा मानना है कि इस बदलाव को केवल परीक्षा के नजरिए से न देखा जाए तो सही होगा। परीक्षा परिणाम तो बौद्धिक वातावरण में बदलाव के साथ स्वयं ही सुधर जाएंगे। मैंने देखा है कि कही न कहीं मानसिक बाधाएं हैं, जड़ता है जो ज्ञान को शिक्षकों से बच्चों तक पहुंचने में रोक रही है।
प्रश्नः शिक्षा में गुणात्मक सुधार के लिए विभाग की अन्य कोई योजना?
उत्तरः सबसे पहली प्राथमिकता तो यही है कि उत्तर पूर्वी जिले के बच्चों को कोई जगह खेलकूद के लिए मिले। जिसमें खेलकूद से संबंधित सभी सुविधाएं मौजूद हों, जो कि यहां अभी उपलब्ध नहीं हैं। दूसरे यहां के विद्यालयों में हिंसा जैसे कि सेक्सुअल एब्यूज, ड्रग्स एब्यूज आदि को लेकर है जिसके लिए डाल्सा के साथ मिलकर काम करने की योजना है।
प्रश्नः ईडब्लूएस कोटे में गरीब बच्चों के एडमिशन के लिए क्या कदम उठाए गए हैं?
उत्तरः हमें अभी तक जो विवरण दिया जाता था वह केवल विद्यालयों की ओर से दिया जाता था। लेकिन अब हमने पहल की है कि सकूल जो विवरण देगा वह अभिभावक के हस्ताक्षर के बाद हमें देगा। ताकि कोई विद्यालय झूठा आंकड़ा पेश नहीं कर सके। सुरक्षा के लिहाज से निर्धारित मानकों के अनुसार प्राइवेट विद्यालयों के भवनों की ऑडिट किए जाने की योजना है।