ईकॉमर्स कंपनियों को झटका… गैर जरूरी वस्तुओं की सप्लाई पर रोक

-केंद्रीय गृह मंत्रालय ने लगाई रोक, ट्वीट के जरिए आदेश
-लॉकडाउन के दौरान केवल जरूरी वस्तुओं की होगी सप्लाई

टीम एटूजैड/ नई दिल्ली
दिल्ली सहित देशभर के व्यापारियों का विरोध असरदार साबित हुआ है। कोरोना महामारी के दौरान अपने कारोबार को फैलाने का सपना संजो रही ईकॉमर्स कंपनियों को बड़ा झटका लगा है। केंद्र की मोदी सरकार ने रविवार को स्पष्ट कर दिया कि लॉकडाउन के दौरान ईकॉमर्स कंपनियों को गैरजरूरी वस्तुएं सप्लाई करने की मंजूरी नहीं दी जाएगी। गृह मंत्रालय ने रविवार को एक आदेश जारी किया है कि कोई भी ऑनलाइन कारोबार करने वाली इैकॉमर्स कंपनी लॉकडाउन के दौरान गैरजरूरी वस्तुओं की सप्लाई नहीं कर सकेगी।
सरकार ने स्पष्ट कर दिया है कि गैर जरूरी वस्तुओं की बिक्री केवल लॉकडाउन खत्म होने के बाद ही की जा सकेगी। इससे पहले केंद्र सरकार ने ई-कॉमर्स कंपनियों को 20 अप्रैल से गैर जरूरी वस्तुओं की बिक्री को मंजूरी दे दी थी। बता दें कि लॉकडाउन की वजह से अपना कारोबार बंद कर सोशल डिस्टेंसिंग के तहत अपने घरों में बंद बैठे व्यापारियों ने मोदी सरकार के इस फैसले पर कड़ा ऐतराज जताया था। कन्फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स, फेडरेशन ऑफ सदर बाजार ट्रेडर्स एसोसिएशन, कन्फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया रिटेल ट्रेडर्स, फोरम ऑफ दिल्ली ट्रेड एसोसिएशंस सहित कई व्यापारी संगठनों मोदी सरकार से मांग की थी कि ई-कॉमर्स कंपनियों को लॉकडाउन के दौरान गैर जरूरी वस्तुओं की सप्लाई की छूट नहीं दी जानी चाहिए।
केंद्रीय गृह मंत्रालय ने रविवार को ट्वीट किया कि लॉकडाउन के दौरान ई-कॉमर्स कंपनियों द्वारा गैर-जरूरी वस्तुओं की बिक्री पर लगी रोक बरकरार रहेगी। केंद्रीय गृह सचिव अजय भल्ला ने इस बारे में आदेश जारी किया है। संशोधित दिशानिर्देशों से ई-कॉमर्स कंपनियों द्वारा गैरजरूरी उत्पादों की बिक्री को हटा दिया गया है। आदेश में कहा गया है कि ई-कॉमर्स कंपनियों से संबंधित प्रावधान जिसमें उनके वाहनों को आवश्यक अनुमति के साथ आवाजाही की अनुमति दी गई थी, को दिशानिर्देशों से हटाया जा रहा है।
सोमवार से शुरू होनी वस्तुओं की ऑनलाइन खरीदारी
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 14 अप्रैल को लॉकडाउन को 3 मई तक बढ़ाने की घोषणा की थी। उन्होंने अपने भाषण में गैर जरूरी वस्तुओं की खरीदारी से संबंधित राहत देने का संकेत भी दिया था। अगले दिन जारी दिशानिर्देशों में कहा गया था कि 20 अप्रैल से मोबाइल फोन, टीवी, लैपटॉप जैसे इलेक्ट्रॉनिक उत्पाद ई-कॉमर्स कंपनियों के मंच पर 20 अप्रैल से उपलब्ध होंगे। हालांकि इन सामानों की डिलिवरी करने वाले वाहनों को सड़कों पर चलाने के बारे में संबंधित प्राधिकरण से मंजूरी लेनी होगी। लेकिन अब सरकार ने इस तरह के व्यापारी पर पूरी तरह से रोक लगा दी है।
व्यापारी नेताओं ने किया स्वागत
राजधानी दिल्ली सहित देशभर के बड़े व्यापारी नेताओं ने मोदी सरकार के इस कदम का स्वागत किया है। कैट महासचिव प्रवीन खंडेलवाल, फेडरेशन ऑफ सदर बाजार ट्रेडर्स एसोसिएशन के प्रधान राकेश यादव, वरिष्ठ व्यापारी नेता पवन कुमार, राजेंद्र शर्मा, रमेश बजाज, विजय बुद्धिराजा, संदीप खंडेलवाल, कंवल कुमार बल्ली, परमजीत सिंह पम्मा, संजीव अराड़ा एवं सतेंद्र चौहान ने कहा कि दिल्ली सहित देशभर के व्यापारी लॉकडाउन के दौरान अपने घरों पर बैठे हैं। वह अपने कर्मचारियों का वेतन घर बैठे दे रहे हैं। बिजली, पानी और दूसरे खर्च भी उठा रहे हैं। जबकि उनका व्यापार पूरी तरह से बंद है। यदि ईकॉमर्स कंपनियों को गैरजरूरी वस्तुएं सप्लाई करने की इजाजत दे दी जाती तो दुकान पर बैठने वाले व्यापारियों को इसका भारी नुकसान उठाना पड़ता। व्यापारी नेताओं ने कहा कि मोदी सरकार ने व्यापारियों की बात मानकर उन्हें राहत दी है। देश का व्यापारी वर्ग कोरोना संकट के समय में केंद्र सरकार के साथ है।
25 मार्च से देशभर में ठप है कारोबार
बता दें कि केंद्र सरकार ने बुधवार 15 अप्रैल को दिशानिर्देश जारी किए थे। इनमें जरूरी और गैर-जरूरी जिंसों (वस्तुओं) के बारे में स्पष्ट नहीं किया गया था। देशभर में 25 मार्च से व्यापार पूरी तरह से ठप है। सरकार के इस कदम को औद्योगिक और वाणिज्यिक गतिविधियों को शुरू करने के प्रयास के रूप में देखा जा रहा था। लेकिन केवल ईकॉमर्स कंपनियों को व्यापार की अनुमति देने से दुकानदार व्यापारियों का कारोबार भविष्य के लिए ठप हो जाता। माना जा रहा है कि मोदी सरकार की समझ में आ गया है कि इस तरह से खुदरा व्यापार पर ईकॉमर्स कंपनियों का एकाधिकार हो जाता, जिससे बाजारों में बैठने वाले उद्यमियों को इसका खामियाजा चुकाना होता।