शिवराज कैबिनेट का होगा विस्तार… 26 सदस्यों का होगा मंत्रिमंडल

-सिंधिया समर्थक 10 नेताओं के मंत्री बनने की उम्मीद
-आलोचनाओं के बीच भाजपा में शुरू हुई सुगबुगाहट

टीम एटूजैड/ नई दिल्ली-भोपाल
कोरोना संकट का असर केवल लोगों पर ही नहीं सरकारों पर भी पड़ा है। कोरोना की वजह से अब तक मध्य प्रदेश में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) सरकार के मंत्रिमंडल का गठन नहीं हो सका। लेकिन अब मध्य प्रदेश की शिवराज सरकार इस मामले में हरकत में आई है। माना जा रहा है कि मुख्यमंत्री इसी सप्ताह अपने मंत्रिमंडल का गठन करेंगे। बताया जा रहा है कि शिवराज सिंह के मंत्रिमंडल में 26 मंत्री होंगे। इसमें 10 सीट ज्योतिरादित्य सिंधिया के समर्थकों को दी जाएंगी।
मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के मंत्रिमंडल के इसी सप्ताह शपथ लेने के आसार हैं। मुख्यमंत्री ने सोमवार को इस बात के संकेत दिए कि लॉकडाउन का पहला दौर मंगलवार को समाप्त हो रहा है। अब पार्टी के वरिष्ठ नेताओं से बात करके मंत्रियों को शपथ दिलाई जा सकती है। कुल 26 नेताओं के मंत्री पद की शपथ लेने की उम्मीद है। बता दें कि ज्योतिरादित्य सिंधिया ने कांग्रेस छोड़कर 10 मार्च को भाजपा जॉइन की थी। उनके समर्थन में 22 विधायकों ने कांग्रेस से इस्तीफा दिया था। इनमें से 6 सिंधिया समर्थकों को कमलनाथ मंत्रिमंडल में भी मंत्री पद की जिम्मेदारी सौंपी गई थी।
20 मार्च को कमलनाथ सरकार के गिर गई थी और 23 मार्च को मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने शपथ ली थी। प्रदेश के इतिहास में ऐसा पहली बार हुआ है कि जब किसी मुख्यमंत्री ने बिना मंत्रिमंडल के इतने दिन तक सरकार की जिम्मेदारी संभाली है। दरअसल रविवार को पूर्व मुख्यमंत्री और कांग्रेस नेता कमलनाथ ने कोरोना के संकट के समय में राज्य में बिना स्वास्थ्य मंत्री के सरकार चलाने को लेकर भाजपा सरकार को घेरा थां
संभावित मंत्रियों में हैं इनके नाम
शिवराज मंत्रिमंडल में जिन लोगों को मंत्री बनाए जाने के कयास लगाए जा रहे हैं उनमें तुलसी सिलावट, इमरती देवी, प्रद्युम्न सिंह तोमर, महेंद्र सिंह सिसोदिया, प्रभुराम चौधरी, गोविंद सिंह राजपूत के अलावा कांग्रेस छोड़कर आए एंदल सिंह कंसाना, हरदीप सिंह डंग, राजवर्धन सिंह दत्ती गांव और बिसाहू लाल सिंह के नाम शामिल हें। सिंधिया के साथ कांग्रेस छोड़कर भाजपा में शामिल होने वाले बाकी अन्य 12 विधायकों को भी निगम मंडलों में एडजस्ट करने की बात कही जा रही है।
भाजपा में अंदरूनी नाराजगी का संकट
भाजपा मध्य प्रदेश में सरकार बनाने में तो सफल हो गई है, लेकिन अब अपनों को मनाना पार्टी के लिए सबसे बड़ी चुनौती है। मंत्रिमंडल में मुख्यमंत्री सहित 35 मंत्री रह सकते हैं। ऐसे में 26 नेता मंत्री पद की शपथ लेंगे। इनमें 10 सिंधिया समर्थकों को मंत्री बनाया जाना है। इसके बाद भाजपा को अपने दावेदारों में से 16 स्थानों के लिए विधायकों को चुनना है। यह 16 चेहरों का चयन ही पार्टी के लिए सबसे बड़ी चुनौती है। कारण है कि भाजपा में मंत्री बनने के लिए 2 दर्जन से ज्यादा दावेदार हैं। इसके साथ ही कई पुराने चेहरे भी इस बार मंत्री पद की दावेदारी की कतार में हैं। ऐसे में भाजपा के सामने अपनों को मनाना ज्यादा मुश्किल हो सकता है।
क्षेत्रीय संतुलन साधने की कोशिश
मध्य प्रदेश की शिवराज सरकार में मंत्रिमंडल के गठन में क्षेत्रीय समीकरणों को साधने की कोशिश की जाएगी। राज्य के सभी संभागों से मंत्री बनाने के साथ पार्टी को सामाजिक समीकरणों का ध्यान भी रखना है। मंत्रिमंडल में क्षत्रिय, ब्राह्मण, पिछड़े, अनुसूचित जाति और आदिवासी समाज को बराबर का प्रतिनिधित्व दिए जाने की कोशिश की जाएगी। लेकिन मंत्री पद की दावेदारी पार्टी के भौगोलिक समीकरणों पर भारी पड़ रही है। बता दें कि सागर जिले में ही गोपाल भार्गव व भूपेंद्र सिंह के साथ गोविंद सिंह राजपूत भी कैबिनेट में शामिल होने के लिए दावेदारी कर रहे हैं। वहीं रायसेन जिले से प्रभुराम चौधरी के साथ रामपाल सिंह भी मंत्री पद की दौड़ में शामिल हैं। लेकिन सीमित स्थान और कांग्रेस से आए नेताओं को अडजस्ट करने की वजह से शिवराज सिंह के सामने अपनों को मंत्रिमंडल में समाहित करना मुश्किल होगा।