उत्तर-पूर्वी दिल्ली में मनोज तिवारी या शीला भारी!

-सीट पर है तीन प्रदेश अध्यक्षों के बीच है मुकाबला
-शीला दीक्षित के आने से दिलचस्प हुआ मुकाबला
-आप के दिलीप पांडे चुनाव में आजमा रहे हैं किस्मत
-मनोज तिवारी को झेलनी पड़ रही अपनों की नाराजगी

संजीव अरोड़ा/ नई दिल्ली
भारतीय जनता पार्टी भले ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नाम पर लोकसभा चुनाव लड़ रही हो। लेकिन उत्तर-पूर्वी दिल्ली सीट पर भाजपा प्रदेश अध्यक्ष और पार्टी उम्मीदवार मनोज तिवारी के लिए मुकाबला 2014 की तरह आसान नहीं रहा है। इस सीट पर कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष शीला दीक्षित के मैदान में आ जाने से सियासी मुकाबला दिलचस्प हो गया है। वहीं मनोज तिवारी को अपनों की नाराजगी का सामना भी करना पड़ रहा है। भाजपा और कांग्रेस ने नामांकन की तारीख खत्म होने से कुछ समय पहले ही अपने उम्मीदवारों के नाम घोषित किए हैं। जबकि आम आदमी पार्टी ने इस सीट पर भी कई महीने पहले से ही दिलीप पांडे का नाम घोषित कर दिया था। यही कारण है कि इस सीट पर आप मुखिया अरविंद केजरीवाल भी अब तक कई सभाएं कर चुके हैं।
बता दें कि उत्तर पूर्वी दिल्ली लोकसभा क्षेत्र की 10 में से बुराड़ी, तिमारपुर, सीलमपुर, घोंडा, करावल नगर, सीमापुरी, रोहताश नगर, बाबरपुर, गोकलपुरी जैसी 9 सीट आम आदमी पार्टी के पास हैं। केवल मुस्तफाबाद सीट से 2015 के विधानसभा चुनाव में भाजपा के जगदीश प्रधान ने जीत हासिल की थी। हालांकि करावल नगर सीट से आप के टिकट पर 2015 का विधानसभा चुनाव जीते कपिल मिश्रा अब केजरीवाल के साथ बगावत करके भाजपा के समर्थन में आ गए हैं। हालांकि इसका ज्यादा फायदा मनोज तिवारी को मिलता दिखाई नहीं दे रहा है। क्योंकि भाजपा और आम आदमी पार्टी के कार्यकर्ताओं में कपिल मिश्रा का विरोध हो रहा है। मिश्रा के पास अपने बहुत ज्यादा कार्यकर्ता नहीं हैं। दूसरी ओर शीला दीक्षित के मैदान में आ जाने से कांग्रेस कार्यकर्ताओं में भी जोश आ गया है। खास बात है कि करावल नगर-मुस्तफाबाद विधानसभा क्षेत्रों में शीला दीक्षित को शुरूआती समर्थन मिलता दिखाई दे रहा है।

प्रदेश अध्यक्षों के बीच घमासान से बनी हॉट सीटः
उत्तर पूर्वी दिल्ली लोकसभा सीट इसलिए भी हॉट सीट बन गई है कि यहां से भाजपा, कांग्रेस और आम आदमी पार्टी के प्रदेश अध्यक्षों के बीच सीधा मुकाबला है। मनोज तिवारी 30 नवंबर 2016 से भाजपा प्रदेश अध्यक्ष की कुर्सी पर हैं। जबकि शीला दीक्षित को कांग्रेस ने लोकसभा चुनाव से पहले ही प्रदेश अध्यक्ष की कुर्सी दी है। जबकि दिलीप पांडे आम आदमी पार्टी में दिल्ली प्रदेश के मुखिया के बतौर जिम्मेदारी संभालते रहे हैं। इसके चलते यह सीट राजधानी के तीनों ही प्रमुख दलों के लिए प्रतिष्ठा का सवाल बन गई है।

पार्टी कार्यकर्ताओं से तिवारी की बेरूखीः
मनोज तिवारी के प्रदेश अध्यक्ष बनने के बाद से ही पार्टी के ज्यादातर पुराने कार्यकर्ता अपने आपको उपेक्षित महसूस करते आ रहे हैं। इसका एक उदाहरण पूर्व विधायक मोहन सिंह बिष्ट भी हैं। बिष्ट 1998, 2003, 2008 और 2013 का विधानसभा चुनाव जीतते रहे हैं। वह 2015 का विधानसभा चुनाव आम आदमी पार्टी के कपिल मिश्रा से हार गए थे। मनोज तिवारी कैंप पिछले लंबे समय से कपिल मिश्रा को ज्यादा महत्व देता आ रहा है। इसके चलते मोहन सिंह बिष्ट क्षेत्र में ज्यादा सक्रिय नहीं दिखाई दिए।

संघ को करनी पड़ी मध्यस्थताः
लोकसभा चुनाव में मनोज तिवारी की संभावित हार को भांप राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ को मैदान में उतरना पड़ा है। प्रदेश संगठन महामंत्री सिद्धार्थन और संघ के प्रांत सह कार्रवाह दयानंद ने मोहन सिंह बिष्ट को तिवारी का साथ देने के लिए मनाया। हालांकि मौका भांप कर मनोज तिवारी भी मोहन सिंह बिष्ट के घर पहुंच गए और उन्हें गिले-सिकवे दूर करने के लिए कहा। भाजपाई सूत्रों का कहना है कि मनोज तिवारी के साथ लगे कुछ लोग नहीं चाहते कि मोहन सिंह बिष्ट को पार्टी में महत्व मिले। इसके चलते यह गुट तिवारी को मोहन सिंह बिष्ट के प्रति बरगलाता रहता है। इन लोगों ने 2015 के विधानसभा चुनाव में मोहन सिंह बिष्ट की खिलाफत करते हुए कपिल मिश्रा का साथ दिया था।

दूर होगी लोगों की नाराजगी!

पीएम मोदी के नाम पर भले ही पार्टी को कुछ लाभ मिल रहा हो। लेकिन भाजपा के मनोज तिवारी को लेकर लोगों में नाराजगी है। पार्टी कार्यकर्ताओं और लोगों में ज्यादा नाराजगी तो इस बात को लेकर है कि वह कभी अपना मोबाइल नहीं उठाते। क्षेत्र के मतदाता मोबाइल पर अपने सांसद से बात नहीं कर सकते। हाल ही में करावल नगर और मुस्तफाबाद इलाकों की समस्याओं को लेकर गए एक व्यापारियों के प्रतिनिधिमंडल को तो तिवारी ने अपने विधायक से मिलने के लिए कह दिया। जबकि स्थानीय विधायक आम आदमी पार्टी से हैं। ऐसे में नाराज मतदाताओं को मनाना पार्टी कार्यकर्ताओं के लिए भी आसान नहीं होगा।

2014 में 1.40 लाख से जीती थी भाजपाः
2014 के लोकसभा चुनाव में भाजपा के मनोज तिवारी को 5 लाख 96 हजार 125 वोट हासिल हुए थे। उन्होंने यह मुकाबला 1 लाख 40 हजार 84 वोट से जीता था। लेकिन इसके बाद एक साल से भी कम समय में हुए विधानसभा चुनाव में उनका जादू नहीं चल सका और 10 में से केवल एक मुस्तफाबाद सीट ही भाजपा जीत सकी। भाजपा ने बाकी की 9 विधानसभा सीट 2 लाख 74 हजार 151 वोट से हारी थीं। इस बार के लोकसभा चुनाव में हार के इस दोगुना अंतर को पाट पाना भाजपा के लिए आसान नहीं होगा। 2014 के लोकसभा चुनाव में भाजपा के मनोज तिवारी को 5,96,125 (45.23 फीसदी), आप के आनंद कुमार को 4,52,041 (34.30 फीसदी) और कांग्रेस के जेपी अग्रवाल को 2,14,792 ( 16.35 फीसदी) वोट हासिल हुए थे।

22.46 लाख मतदाता
उत्तर पूर्वी दिल्ली सीट पर इस बार 22 लाख, 46 हजार, 522 मतदाता हैं। इनमें से युवा मतदाताओं में 25,505 लड़के और 16,182 लड़कियां अप्रैल 2019 में ही मतदाता सूची में जुड़े हैं। इनमें 9,312 मतदाता सुरक्षा एजेंसियों से जुड़े हैं। लोकसभा क्षेत्र में कुल 2,147 बूथ पर वोट डाले जाएंगे। सीमापुरी और गोकलपुर विधानसभा क्षेत्र अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित हैं और सीलमपुर व मुस्तफाबाद विधानसभा क्षेत्र मुस्लिम बहुल मतदाताओं वाले इलाके हैं।

ये हैं उम्मीदवारः
उत्तर पूर्वी लोकसभा सीट पर कुल 24 उम्मीदवार अपनी किस्मत आजमा रहे हैं। भाजपा, कांग्रेस, आम आदमी पार्टी व कुछ पंजीकृत दल तो कुछ निर्दलीय उम्मीदवार भी मैदान में हैं। इनकी सूची निम्न प्रकार से है।
1. दिलीप पांडे, आम आदमी पार्टी
2. मनोज तिवारी, भाजपा
3. राजवीर सिंह, बहुजन समाज पार्टी
4. शीला दीक्षित, कांग्रेस
5. अजेय भाई, राइट टू रिकॉल पार्टी
6. अनुरूद्ध कुमार दुबे, भारत लोकसेवक पार्टी
7. अभिनव कुमार, संयुक्त विकास पार्टी
8. अमित कुमार शर्मा, सांझी विरासत पार्टी
9. जेके जैन, जयप्रकाश जनता दल
10. दान बहादुर यादव, भारतीय जनता दल (इंटीग्रेटिड)
11. डी. दुर्गा प्रसाद, चैलेंजर्स पार्टी
12. प्रदेश कुमार, सर्वोदय प्रभात पार्टी
13. महेंद्र पासवान, मजदूर किरायेदार विकास पार्टी
14. मुकेश, आपकी अपनी पाटी (पीपल्स)
15. मैनेजर चौरसिया, सोशलिस्ट यूनिटी सेंटर ऑफ इंडिया
16. मोहम्मद इरफान, भारत प्रभात पार्टी
17. सुनील विश्वकर्मा, अंबेडकर नेशनल कांग्रेस
18. मो. हसन, रिपब्लिकन पार्टी ऑफ इंडिया (ए)
19. मो. अकरम, निर्दलीय
20. अनिल कुमार यादव, निर्दलीय
21. अमरेंद्र कुमार, निर्दलीय
22. महफूज खान, निर्दलीय
23. योगेश स्वामी, निर्दलीय
24. एसएन सिंह, निर्दलीय