कांग्रेस में बवाल… आलाकमान पर उठे सवाल

-चोपड़ा और पीसी चाको के इस्तीफे मंजूरी, पार्टी ने गोहिल को थमाई पार्टी की कार्यवाहक कमान
-दिल्ली विधानसभा चुनाव में कांग्रेस की करारी हार पर पार्टी में ही सुलगने लगी विद्रोह की चिंगारी
-पूर्व राष्ट्रपति की बेटी शर्मिष्ठा मुखर्जी ने उठाए पार्टी नेतृत्व पर सवाल, किए कई ट्वीट पर ट्वीट

हीरेन्द्र सिंह राठौड़/ नई दिल्ली
दिल्ली विधानसभा चुनाव में करारी हार के बाद कांग्रेस पार्टी में विद्रोह की चिंगारी तेजी से सुलगने लगी है। प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष सुभाष चोपड़ा और प्रदेश प्रभारी पीसी चाको को इस्तीफा देना पड़ गया। खास बात है कि पार्टी आलाकमान ने दोनों का इस्तीफा मंजूर कर लिया है और शकित सिंह गोहिल को कार्यवाहक बतौर पार्टी की जिम्मेदारी सोंपी गई है। दिल्ली कांग्रेस के नेताओं ने ही सुभाष चोपड़ा, पीसी चाको और पिछले पांच-छह साल से पार्टी की जिम्मेदारी संभालने वाले नेताओं पर मनमानी का आरोप लगाया है।
प्रदेश कांग्रेस में ज्यादातर नेता पार्टी के फैसलों और प्रदेश के नेताओं के वजूद पर सवाल उठा रहे हैं। कांग्रेस ने जिस तरह से 2020 का दिल्ली विधानसभा चुनाव लड़ा है, उसको लेकर दिल्ली में खुद कांग्रेस का वजूद खत्म हो गया है। इस विधानसभा चुनाव में कांग्रेस की अब तक की सबसे ज्यादा शर्मनाक स्थिति रही। 2015 के दिल्ली विधापनसभा चुनाव में 9.7 फीसदी वोट हासिल करने वाली कांग्रेस इस चुनाव में केवल 4.26 फीसदी वोट ही हासिल कर पाई।
करारी हार के बाद कांग्रेस के वरिष्ठ नेता पी चिदंबरम ने ट्वीट करते हुए केजरीवाल और आम आदमी पार्टी की जीत पर खुशी जताई। दूसरी ओर प्रदेश प्रभारी पीसी चाको के ऊपर भी पार्टी के अंदर से ही गंभीर आरोप लगाए गए हैं।
पार्टी की हार पर शर्मिष्ठा मुखर्जी ने खड़े किए सवाल
इस बीच पार्टी के भीतर की अंदरूनी कलह सामने आई है। पूर्व राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी की बेटी शर्मिष्ठा मुखर्जी ने एक ट्वीट के जरिए दिल्ली में पार्टी की हार पर जमकर सवाल खड़े किए हैं। शर्मिष्ठा ने इसके लिए पार्टी आला कमान को भी जिम्मेदार ठहराया। इसके साथ ही राज्य स्तर पर एकता की कमी को भी उन्होंने हार की वजह बताया है।
’आत्मनिरीक्षण हो चुका अब एक्शन का वक्त है’
कांग्रेस की वरिष्ठ नेता शर्मिष्ठा मुखर्जी ने ट्वीट करते हुए कहा कि हमने दिल्ली में एक बार फिर नाश कर दिया है। आत्मनिरीक्षण बहुत हो चुका अब एक्शन का वक्त है। टॉप लेवल पर निर्णय लेने में हुई देरी और रणनीति की कमी और राज्य स्तर पर एकता की कमी, निरुत्साही कार्यकर्ताओं के साथ ही जमीनी आधार पर कनेक्टिविटी न होना सभी फैक्टर रहे। जो हार का कारण बने। सिस्टम का हिस्सा होने पर मैं भी अपने हिस्से की जिम्मेदारी लेती हूं।
सुरक्षित स्थान से निकल कर करें काम
शर्मिष्ठा मुखर्जी ने एक अन्य ट्वीट में कहा कि भाजपा विभाजनकारी राजनीति करती है, केजरीवाल स्मार्ट राजनीति खेल रहे हैं और हम क्या कर रहे हैं? क्या हम ईमानदारी से कह सकते हैं कि हमने अपना काम सही से किया? हम कांग्रेस पर कब्जा करने में व्यस्त हैं, जबकि अन्य दल भारत पर कब्जा कर रहे हैं। अगर हमें और सरवाइव करना है तो हमें अपनी सुरक्षित जगहों से निकलकर काम करना होगा।
बेटे-बेटियों ने कराई फजीहत
दिल्ली विधानसभा चुनाव में कांग्रेस आलाकमान और दिल्ली के नेताओं की चुनाव से बेरूखी दिखी। पार्टी नेताओं के बेटे-बेटियों ने ही कांग्रेस की फजीहत करवा दी। प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष सुभाष चोपड़ा अपनी परंपरागत सीट कालकाजी से अपनी बेटी शिवानी चोपड़ा की जमानत तक नहीं बचा सके। वहीं मॉडल टाउन सीट से कांग्रेस नेता कंवर करन सिंह अपनी परंपरागत सीट से ही बेटी आकांक्षा ओला की जमानत नहीं बचा सके। रोहताश नगर से स्वर्गीय रामबाबू शर्मा के पुत्री विपिन शर्मा भी अपनी जमानत नहीं बचा सके।
70 में 67 उम्मीदवारों की जमानत जब्त
दिल्ली में कांग्रेस की खस्ता हालत का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि पार्टी के 70 में से 67 उम्मीदवार अपनी जमानत तक नहीं बचा सके। बता दें कि 2019 के लोकसभा चुनाव में चांदनी चौक, बल्ली मारान, मटिया महल, ओखला और सीलमपुर सीटों पर कांग्रेस ने वोटों के मामले जीत हासिल की थी। लेकिन विधानसभा चुनाव में इन पांच सीटों पर भी पार्टी के उम्मीदवारों की जमानत जब्त हो गई। कांग्रेस ने 70 में से 4 सीट राष्ट्रीय जनता दल को दी थीं। इन चारों पर नेताओं की जमानत जब्त हो गई। इसके साथ ही पार्टी की ओर से सीधे तौर पर उतारे गए 66 उम्मीदवारों में से 63 की जमानत जब्त हो गई। बादली से देवेन्द्र यादव, कस्तूरबा नगर से अभिषेक दत्त और गांधी नगर से अरविन्दर सिंह लवली ही अपनी जमानत बचा पाए।
अपनी सल्तनत बनाने में जुटे नेता
कांग्रेस के पूर्व सांसद संदीप दीक्षित ने प्रदेश कांग्रेस के नेताओं के ऊपर गंभीर आरोप लगाए हैं। उन्होंने कहा कि पिछले तीन-चार साल से जिन नेताओं के पास पार्टी की कमान रही, वह पार्टी को खड़ा करने के बजाय अपनी सल्तनत बनाने में जुटे रहे। पार्टी के लिए कोई काम नहीं किया गया।