सुनियोजित साजिश के तहत कराए गए उत्तर पूर्वी दिल्ली में दंगे

-बुद्धिजीवियों की रिपोर्ट से हुआ सनसनीखेज खुलासा
-दंगों की जांच एनआईए से कराने की सिफारिश

टीम एटूजैड/ नई दिल्ली
राजधानी के उत्तरपूर्वी दिल्ली इलाके में हुए दंगे पहले से सुनियोजित साजिश का हिस्सा थे। यह सनसनीखेज खुलासा बुद्धिजीवियों के एक समूह द्वारा दिल्ली हिंसा पर तैयार की गई एक रिपोर्ट से हुआ है। इस समूह ने अपनी रिपोर्ट में इन दंगों की जांच राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) से कराने की सिफारिश की है। इस रिपोर्ट में पीड़ितों के पुनर्वास की सिफारिश भी की गई है और केन्द्र सरकार से लोगों में विश्वास बहाली के कदम उठाने का भी आग्रह किया गया है।
ग्रुप ऑफ इंटेलेक्चुअल एंड एकेडेमीज (जीआईए) की रिपोर्ट दिल्ली में हुए हालिया दंगों पर ’दिल्ली रॉयट्स, 2020-रिपोर्ट फ्रॉम ग्राउंड जीरो’ में कहा गया है कि यह हिंसा एक शहरी नक्सल-जिहादी नेटवर्क का सबूत था। दंगे कराने के लिए पहले से सोची-समझी साजिश के तहत योजना बनाई गई थी। रिपोर्ट में कहा गया है कि ‘हिंसा के वामपंथी-जिहादी मॉडल’ के सबूत मिले हैं। जिन्हें दिल्ली में अंजाम दिया गया है और इसे अन्य स्थानों पर दोहराए जाने की भी कोशिश है।
रिपोर्ट में आगे कहा गया है कि दिल्ली के दंगे नरसंहार नहीं था। यह दिल्ली के विश्वविद्यालयों में काम कर रहे वामपंथी अर्बन नक्सल नेटवर्क द्वारा अल्पसंख्यकों के सुनियोजित और व्यवस्थित कट्टरपंथी विचारधारा का एक दुखद परिणाम है। इससे दोनों समुदायों को बहुत नुकसान हुआ है। रिपोर्ट में कहा गया है कि धरना स्थलों पर पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (पीएफआई) जैसे जिहादी संगठनों की मौजूदगी पाई गई है।
जीआईए साल 2015 में गठित एक ऐसा संगठन है, जिसमें पेशेवर महिलाओं, उद्यमियों, मीडिया के लोगों और सामाजिक न्याय और राष्ट्र-निर्माण के लिए प्रतिबद्ध शिक्षा के क्षेत्र में कार्यरत पेशेवर शामिल हैं। इसके सदस्यों में एडवोकेट मोनिका अरोड़ा, दिल्ली विश्वविद्यालय की सहायक प्रोफेसर प्रेरणा मलहोत्रा, सोनाली चितलकर, श्रुति मिश्रा और दिव्यांशा शर्मा शामिल हैं।
रिपोर्ट में आगे कहा गया है कि मुसलमानों की कट्टरपंथी सोच के कारण हिंसा हुई। सीएए के नाम पर हुए विरोध प्रदर्शनों में सभी धरना स्थलों पर महिलाओं को सबसे आगे रखा गया। जबकि पुरुषों ने महिलाओं की इस ढाल के पीछे से काम किया। आईएसआईएस इस प्रकार की क्रूर हत्याएं करता है। अतः इस हिंसा का संबंध राष्ट्रीय सीमा के पार से भी हो सकता है। खास बात यह रही कि हर गली में यह विशेष तौर पर कहा गया कि दंगाई बाहरी थे, जबकि जो सीसीटीवी फुटेज सामने आ रही हैं, उनके मुताबिक दंगाई उन्हीं इलाकों में रहने वाले निकल रहे हैं।
रिपोर्ट में सिफारिश की गई है कि दंगों के दौरान हिंसा की तीव्रता, क्रूरता और इसके पीछे की साजिश को देखते हुए घटना की जांच राष्ट्रीय जांच एजेंसी को सौंप दी जानी चाहिए। राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) द्वारा दिल्ली में 15 दिसंबर 2019 से अब तक हुई सभी घटनाओं की जांच की जानी चाहिए।