घटा मतदान… तो आप परेशान

-दिल्ली में 62.59 फीसदी हुआ मतदान
-सबसे ज्यादा बल्लीमारान में 71.6 फीसदी पड़े वोट
-दिल्ली केंट में सबसे कम 45.4 फीसदी हुआ मतदान
-2015 के चुनाव में हुआ था 67.47 फीसदी मतदान

टीम एटूजैड/ नई दिल्ली
दिल्ली विधानसभा चुनाव में शनिवार को 62.59 फीसदी वोट डाले गए। 2015 के मुकाबले इस बार करीब 5 फीसदी कम मतदान हुआ। इसके चलते आम आदमी पार्टी के नेता परेशान हो गए हैं। आप मुखिया अरविंद केजरीवाल से लेकर राज्यसभा सांसद संजय सिंह के मुंह पर हवाइयां उड़ी हुई हैं। यह हालत तो तब है जब सभी एग्जिट पोल्स में आम आदमी पार्टी भारी बहुमत के साथ सरकार बनाती नजर आ रही है।
आदत के मुताबिक जहां संजय सिंह ने ईवीएम (वोटिंग मशीनों) को लेकर सवाल उठाए तो मुख्यमी केजरीवाल ने चुनाव आयोग द्वारा रविवार को वोटिंग के आंकड़े जारी नहीं किए जाने पर ही सवाल खड़े कर दिए। दरअसल आम आदमी पार्टी के नेताओं की घबराहट इस बात को लेकर है कि विधानसभा चुनाव में इस बार 2015 में हुए चुनाव के मुकाबले मतदान करीब 5 फीसदी कम हुआ है। 2015 के विधानसभा चुनाव में 67.47 फीसदी मतदान हुआ था। बता दें कि इस बार से ज्यादा तो 2013 के विधानसभा चुनाव में वोट डाले गए थे। 2013 में दिल्ली में कुल 66.02 फीसदी मतदान किया गया था।
आम आदमी पार्टी के नेताओं को लग रहा है कि कम मतदान होने पर उनकी सत्ता चली जाएगी। एग्जिट पोल्स की कहानी कुछ भी हो लेकिन इस बार मुस्लिम बहुल मतदाताओं वाले मतदान केंद्रों को छोड़ दें तो आम आदमी पार्टी के लिए मतदान करने वालों में बहुत ज्यादा उत्साह नहीं देखा गया। ज्यादातर मतदाताओं ने चुप रहकर वोट डाले। खास बात यह रही कि इस बार 70 विधानसभा क्षेत्रों में से बल्लीमारान विधानसभा क्षेत्र में सबसे ज्यादा 71.6 फीसदी मतदान हुआ। पिछली बार की तरह दिल्ली कैंट में इस बार भी सबसे कम यानी 45.4 फीसदी वोट डाले गए।
कम मतदान से भयभीत आप
आम तौर पर ज्यादा मतदान सत्ता परिवर्तन का संकेत होता है। लेकिन दिल्ली में कम मतदान होने के बावजूद आम आदमी पार्टी भयभीत है। कारण है कि 2015 में आम आदमी पार्टी के पास जो एनआरआई और दूसरे राज्यों के कार्यकर्ता थे, वह इस बार मैदान में नहीं उतरे। यही कारण है कि आप को अपनी स्थिति का सही अंदाजा नहीं है। हालांकि विधानसभा चुनाव में इस बार यदि कांग्रेस कमजोर साबित होती है तो इसका सीधा लाभ आम आदमी पार्टी को मिलने जा रहा है।
1993 में हुआ था सबसे ज्यादा मतदान
साल 1993 के विधानसभा चुनाव में तब का सबसे ज्यादा यानी 61.75 फीसदी मतदान हुआ था। लेकिन साल 1998 में 48.99 फीसदी मतदान के बावजूद दिल्ली में सत्ता परिवर्तन हो गया था। कांग्रेस ने तब ऐसा रंग जमाया था कि बीजेपी अपने दम पर आज तक नहीं उतार पाई। साल 2003 और 2008 में मतदान का प्रतिशत लगातार बढ़ा लेकिन कांग्रेस सत्ता में काबिज रही।
20 साल बाद 2013 में टूटा 1993 का आंकड़ा
दिल्ली विधानसभा चुनावों के इतिहास में साल 2013 में 1993 के वोटों का आंकड़ा टूटा। इस बार दिल्ली में ऐतिहासिक 66.02 फीसदी मतदान हुआ। इसके साथ ही सत्ता परिवर्तन हुआ और किसी भी दल को स्पष्ट बहुमत नहीं मिला। लेकिन आम आदमी पार्टी ने सरकार बनाई। 2015 के विधानसभा चुनाव में 67.47 फीसदी मतदान हुआ और फिर से आम आदमी पार्टी की सरकार प्रचंड बहुमत के साथ बनी।
मतदान कम होने से बढ़ा आप का कनफ्यूजन
आम आदमी पार्टी के नेता इस बात को लेकर असमंजस में हैं कि उन्हें कम मतदान से फायदा हुआ है या नुकसान। खास बात है कि 2014 के लोकसभा चुनाव में दिल्ली में 65.10 फीसदी मतदान हुआ था और बीजेपी ने सातों सीट जीती थीं। पिछले साल 2019 के लोकसभा चुनाव में मतदान घटकर 60.60 फीसदी रह गया, इसके बावजूद बीजेपी सातों सीटों पर काबिज हुई। अब इसी बात को लेकर आप नेता समझ ही नहीं पा रहे हैं कि 2015 के मुकाबले करीब 5 फीसदी कम मतदान होने का उन्हें फायदा हुआ है या नुकसान।
वर्ष अनुसार पड़ें वोटों के प्रतिशत पर एक नजरः

विधानसभा चुनाव
साल                   प्रतिशत
2020-                62.59
2015-                67.47
2013-                66.02
2008-                57.60
2003-                53.42
1998-                48.99
1993-                61.75

लोकसभा चुनाव
साल                   प्रतिशत
2019-                60.60
2014-                65.10