MP: बीजेपी का सिरदर्द बनेंगे कांग्रेस के बागी!

-भाजपाईयों के विरोध से माननीयों का सियासी कॅरियर दांव पर
-सिंधिया समर्थकों को चुनाव में चुकानी होगी स्वामीभक्ति की कीमत

हीरेंद्र सिंह राठौड़/ नई दिल्ली
मध्य प्रदेश में कांग्रेस में बगावत के चलते सत्ता परिवर्तन तो हो गया, लेकिन इस्तीफा देने वाले माननीय भारतीय जनता पार्टी के लिए सिरदर्द बन सकते हैं। दूसरी ओर बीजेपी नेताओं के जोड़तोड़ शुरू करने से छह मंत्रियों सहित 22 माननीयों के सियासी भविष्य पर सवालिया निशान लग गया है। पूर्व केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया के प्रति वफादारी दिखाने वाले इन माननीयों की राह में अब कांग्रेसियों के साथ भाजपाई भी रोड़े अटकाने की तैयारी में हैं।
मध्य प्रदेश में कमल नाथ की सरकार गिराने के एवज में बीजेपी ने पुरस्कार स्वरूप ज्योतिरादित्य सिंधिया को राज्यसभा भेजने का इंतजाम कर दिया है। संकेत हैं कि उन्हें केंद्र सरकार में मंत्री बनाया जाएगा। नफा-नुकसान की कसौटी पर अब सिंधिया के समर्थकों को सामना करना है। हालांकि सिंधिया को इसका अहसास है। यही कारण है कि सिंधिया अपने समर्थक पूर्व विधायकों को बेंगलुरु से भोपाल ले जाने से पहले बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा के पास दिल्ली लाए थे। नड्डा के हाथों उन्हें भगवा पटका पहनाकर बीजेपी में शामिल कराया गया था।
मध्य प्रदेश में जल्दी ही 24 विधानसभा सीटों पर उपचुनाव होना है। लेकिन पिछले चुनाव में इनसे हारे हुए बीजेपी के उम्मीदवार विरोधियों के साथ मिलकर अलग गुल खिला सकते हैं। क्योंकि उपचुनाव में टिकट की लडाई में बीजेपी जिसका टिकट काटेगी वह कांग्रेस के साथ मिलकर बगावत कर सकता है।
ऐसे नेताओं में सबसे बड़ा नाम ग्वालियर से पूर्व मंत्री जयभान सिंह पवैया का बताया जा रहा है। पिछले विधानसभा चुनाव में पवैया को कमल नाथ सरकार में मंत्री रहे प्रद्युमन सिंह तोमर ने हराया था। राम मंदिर आंदोलन के दौरान प्रमुख चेहरा रहे पवैया को सिंधिया का सबसे बड़ा विरोधी माना जाता है। अपने राजनीतिक भविष्य को दांव पर लगते देख वह कोई खेल कर सकते हैं।
कई दूसरे नेता बगावत की राह पर!
आने वाले उपचुनाव में टिकट हासिल करने से लेकर जीतने तक की चुनौती रहेगी। केवल पवैया ही नहीं बल्कि भाजपा में कई दिग्गज अपने हित में समीकरण साधेंगे। मुरैना सीट पर कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़े रघुराज सिंह कंषाना ने भाजपा सरकार के पूर्व मंत्री और सेवानिवृत्त आईपीएस अफसर रुस्तम सिंह को हराया था। हाटपीपल्या सीट पर भाजपा के दीपक जोशी को कांग्रेस के मनोज चौधरी और सुरखी सीट पर भाजपा के ही सुधीर यादव को गोविंद सिंह राजपूत ने हराया था। दीपक जोशी पूर्व मुख्यमंत्री स्वर्गीय कैलाश जोशी के पुत्र हैं। जबकि सुधीर यादव के पिता लक्ष्मीनारायण यादव सागर से सांसद रहे हैं।
कार्यकर्ताओं के भविष्य पर उठे सवाल
मध्य प्रदेश में पाटीदार समाज के बड़े नेता राधेश्याम को सुवासरा में हरदीप सिंह डंग और आदिवासी समाज के रामलाल रौतेला को पांच बार विधायक रहे बिसाहूलाल सिंह ने हरा दिया था। ज्यादातर विधानसभा सीटों पर इसी तरह की स्थिति है। पार्टी में अभी से यह सवाल उठने लगे है कि क्या कांग्रेस से आए पूर्व विधायकों को चुनाव लड़ाने के लिए बीजेपी अपने नेताओं और कार्यकर्ताओं के भविष्य को दांव पर लगाएगी।
बागी मंत्रियों को शपथ के कयास
कमल नाथ सरकार में मंत्री रह चुके सिंधिया समर्थक गोविंद सिंह राजपूत, महेंद्र सिंह सिसौदिया, प्रभुराम चौधरी, प्रद्युमन सिंह तोमर, तुलसीराम सिलावट और इमरती देवी को नई सरकार में शपथ दिलाई जा सकती है। इस तरह के कयास बीजेपी और कांग्रेस में लगाए जा रहे हैं। फिलहाल यह लोग किसी भी सदन के सदस्य नहीं हैं। ऐसे में इन्हें शपथ दिलाकर पहले मंत्री बनाया जाएगा और फिर उन्हें उपचुनाव में उतारने की तैयारी है। पार्टी में अंदरूनी घमासान से बचने के लिए बीजेपी ने माथापच्ची में जुट गए हैं।
वादा पूरा करेगी बीजेपीः विजयवर्गीय
मध्य प्रदेश में सियासी सवालों के बीच भाजपा के मुख्य प्रवक्ता दीपक विजयवर्गीय का कहना है कि पार्टी में कहीं कोई समस्या नहीं है। पार्टी ने कांग्रेस से आए पूर्व विधायकों से जो कमिटमेंट किया है, उसे पूरा किया जाएगा। बीजेपी में सभी कार्यकर्ता हैं और टिकट को लेकर कहीं विरोध नहीं होगा।