-बीजेपी के दो और कांग्रेस का एक उम्मीदवार राज्यसभा के लिए चुनना तय
-सरकार जाने से पूर्व कांग्रेस के दो और बीजेपी के पास एक का था समीकरण
टीम एटूजैड/ भोपाल
आलाकमान द्वारा समय रहते सही निर्णय नहीं ले पाना कांग्रेस को भारी पड़ा है। मध्य प्रदेश में कांग्रेस की सरकार तो चली ही गई, अब राज्यसभा की केवल एक सीट पर ही उसे संतुष्ट होना पड़ेगा। 26 मार्च को राज्यसभा के लिए मतदान होना है। ऐसे में किसी भी उम्मीदवार के लिए प्रथम वरीयता के लिए 52 वोट की जरूरत होगी।
ऐसी स्थिति में आंकड़े भारतीय जनता पार्टी के पक्ष में दिखाई दे रहे हैं। फिलहाल मध्य प्रदेश से राज्यसभा की 3 सीट खाली हुई हैं। यह सीटें बीजेपी के सत्यनारायण जटिया और प्रभात झा व कांग्रेस के दिग्विजय सिंह का कार्यकाल पूरा होने की वजह से खाली हुई हैं। इनमें से एक बार फिर बीजेपी के खाते में दो सीट जाती दिख रही हैं और कांग्रेस को महज एक सीट से ही संतोष करना होगा।
बीजेपी ने कांग्रेस से आए ज्योतिरादित्य सिंधिया और सुमेर सिंह सोलंकी को अपना उम्मीदवार बनाया है। जकि कांग्रेस ने दिग्विजय सिंह और फूल िंसह बरैया को मैदान में उतारा है। बीजेपी के ज्योतिरादित्य सिंधिया और कांग्रेस के दिग्विजय सिंह की सीट आसानी से निकल जाएगी। लेकिन कांग्रेस के दूसरे उम्मीदवार फूल सिंह बरैया की सीट फंसती नजर आ रही है। कारण है कि कांग्रेस के प्रथम वरीयता में 52 वोट जाने के बाद इतने वोट नहीं बच पाएंगे कि फूल सिंह बरैया की सीट भी निकाल पाए।
दूसरी ओर बीजेपी के पास प्रथम वरीयता में ज्योतिरादित्य सिंधिया को वोट देने के बावजूद उसके पास पर्याप्त संख्या में वोट होंगे, जिससे सुमेर सिंह सोलंकी की सीट आसानी से निकल सकती है। कांग्रेस के पास कुल 92 विधायक हैं। निर्दलीय और सपा व बसपा के विधायक मिलाकर उसके पास 99 वोट हैं। जबकि फिलहाल बीजेपी के पास 106 विधायकों का आंकड़ा है।
राज्य में सियासी उठापटक से पहले कांग्रेस के पास 114 विधायक थे, तब राज्यसभा के लिए एक सीट पर प्रथम वरीयता के लिए 58 वोट की जरूरत थी। लेकिन कांग्रेस के 16 विधायकों और 6 मंत्रियों के इस्तीफों के बाद 230 विधायकों वाली मध्य प्रदेश विधानसभा में कुल 206 विधायक रह गए हैं। 2 विधयकों के निधन के चलते दो सीट पहले से ही खाली हैं।
संघ कार्यकर्ता सोलंकी को मिलेगा फायदा
माना जा रहा है कि बीजेपी अपने दोनों उम्मीदवारों को राज्यसभा में आसानी से भेज सकती है। हाल ही में मध्य प्रदेष में हुए सियासी बवाल का फायदा सुमेर सिंह सोलंकी को मिलने जा रहा है। राज्य के बड़वानी जिले में असिस्टेंट प्रोफेसर पद पर तैनात रहे सोलंकी पर हाल ही में कांग्रेस उम्मीदवार बरैया ने आरोप लगाया था कि उन्होंने सरकारी पद पर रहते हुए नामांकन दाखिल किया है। हालांकि रिटर्निंग ऑफिसर ने उनके इस आरोप को खारिज कर दिया था।
कांग्रेस को भारी पड़ी बगावत
समय रहते राज्य कांग्रेस में हुई बगावत को नहीं रोक पाना कांग्रेस को भारी पड़ा है। पार्टी आलाकमान लंबे समय से राज्य में चल रही पार्टी की अंदरूनी बगावत को हल्के में लेती आ रही थी। ज्योतिरादित्य सिंधिया ने कई बार अपने बगावती तेवर दिखाए थे। लेकिन हर बार कांग्रेस आलाकमान ने उनकी अनदेखी करते हुए कमलनाथ का साथ दिया। इसी का नतीजा है कि अब न तो राज्य में कांग्रेस की सरकार बची है और नाही राज्यसभा में एक से ज्यादा नेता जा पा रहे हैं।