-पंजाब, हरियाणा में ट्रेनें रोककर जताया कोर्ट की र्कारवाई पर विरोध
-शहरी विकास मंत्री हरदेव पुरी बोलेः तलाशी जा रही मंदिर की जमीन
टीम एटूजैड/ नई दिल्ली
राजधनी के तुगलकाबाद इलाके में संत रविदास के एक पुराने मंदिर को तोड़े जाने के विरोध की आग पंजाब, हरियाणा और जम्मू-कश्मीर तक पहुंच गई है। सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद इस मंदिर को हटाए जाने की कार्रवाई के बाद बवाल खड़ा हो गया है। पंजाब और हरियाणा के कुछ हिस्सों में मंगलवार को बंद का आह्वान किया गया था। इन राज्यों में दलित समुदाय के लोग मंदिर तोड़े जाने का विरोध कर रहे हैं। जम्मू में प्रदर्शनकारियों ने तावी नदी के पुल पर आवाजाही रोक कर विरोध प्रदर्शन किया।
विरोध बढ़ता देख पंजाब के सीएम अमरिंदर सिंह ने इस मामले में पीएम नरेंद्र मोदी से हस्तक्षेप की मांग की है। दूसरी ओर केंद्र सरकार भी मामले के समाधान के लिए सक्रिय हो गई है। बता दें कि सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद दिल्ली डिवेलपमेंट अथॉरिटी (डीडीए) ने यहां मौजूद ढांचे को हटा दिया था। इस दौरान सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को सख्त आदेश दिया कि इस मुद्दे का राजनीतिकरण नहीं किया जाए। सर्वोच्च अदालत ने कहा कि आदेश नहीं मानने वालों के खिलाफ अवमानना का केस चलाया जाएगा।
पंजाब में दिखा विरोध का बड़ा असर
प्रशासनिक अधिकारियों के मुताबिक प्रदर्शनकारियों ने जालंधर-दिल्ली राष्ट्रीय राजमार्ग सहित कुछ मार्गों को बाधित किया जिसके कारण भारी जाम लग गया। कई स्थानों पर समुदाय के लोगों ने विरोध मार्च निकाले, धरना दिया, पुतले जलाए और सड़कों पर जलते हुए टायर रखे। फगवाड़ा से रेलवे अधिकारियों के हवाले से कहा गया कि कुछ प्रदर्शनकारी फगवाड़ा के निकट चहेड़ू और जालंधर के बीच पटरियों पर बैठ गए जिसके कारण कुछ ट्रेनों के मार्ग में परिवर्तन करना पड़ा और कुछ ट्रेनों को रद्द करना पड़ा। प्रभावित ट्रेनों में मुंबई जाने वाली दादर एक्सप्रेस शामिल है जो जालंधर छावनी रेलवे स्टेशन पर बाधित हुई। दिल्ली जाने वाली पठानकोट-दिल्ली एक्सप्रेस को मंगलवार को करतारपुर में एहतियातन रोका गया। हरियाणा के रोपड़ और करनाल में भी विरोध प्रदर्शन हुए हैं।
सुप्रीम कोर्ट ने दी अवमानना की सख्त चेतावनी
मुद्दे का राजनीतिकरण नहीं करेंः एससी
सुनवाई के दौरान बेंच ने कहा कि एक बार जब आदेश दिया जा चुका है तो इस तरह की गतिविधियां नहीं की जा सकतीं। मुद्दे का राजनीतिकरण नहीं किया जा सकता। हम अवमानना शुरू करेंगे। पीठ ने कहा कि वह शीर्ष अदालत के आदेश की आलोचना को बर्दाश्त नहीं कर सकते। डीडीए की तरफ से पेश वकील ने कोर्ट को बताया कि शीर्ष अदालत के आदेश के अनुसार ढांचे को हटा दिया गया है।
हरकत में आई केंद्र सरकार
मामला बढ़ता देख केंद्र सरकार भी इस मामले पर हरकत में आ गई है। केंद्रीय शहरी विकास और आवास मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने कहा है कि सरकार इस समस्या के समाधान के लिए प्रतिबद्ध है। दिल्ली के उप राज्यपाल अनिल बैजल से मुलाकात करने के बाद पुरी ने ट्विटर के जरिए यह जानकारी दी है। उन्होंने लिखा कि डीडीए के उपाध्यक्ष और हम मिलकर इस समस्या का समाधान करने को प्रतिबद्ध हैं। हम वैकल्पिक जगह तलाश रहे हैं जहां मंदिर को स्थापित किया जा सके। हमने प्रभावित पार्टियों को इस मामले में कोर्ट से आगे अपील करने की सलाह भी दी है।
सियासी दांवपेंच शुरू
मामले को लेकर पंजाब में विपक्ष के नेता हरपालसिंह चीमा के नेतृत्व में एक प्रतिनिधिमंडल ने केंद्रीय मंत्री हरदीप सिंह पुरी से मुलाकात की। चीमा ने केंद्र की भाजपा के नेतृत्व वाली एनडीए सरकार पर हमला किया। रविदास को मानने वाले इस घटना के बाद प्रदर्शन की तैयारी करने में जुटे हैं। दिल्ली के एससी /एसटी कल्याम मंत्री राजेंद्र पाल गौतम ने कहा कि 16 अगस्त की बैठक में प्रदर्शन का रूपरेखा तय की जाएगी।
कुछ इस तरह बताया जा रहा मंदिर का इतिहास
1 मार्च 1509ः दिल्ली के तत्कालीन सुल्तान सिंकदर लोधी ने जमीन का एक टुकड़ा रविदास को दान किया था।
1509ः रविदास के समर्थकों द्वारा जमीन पर एक तालाब और एक आश्रम बनाया गया।
1949-1954ः समर्थकों ने गुरु रविदास जयंती समारोह समिति के अंतर्गत वहां एक मंदिर का निर्माण कराया।
1959ः तत्कालीन रेल मंत्री बाबू जगजीवन राम ने इस मंदिर का उद्घाटन किया था।
9 अगस्त 2019ः सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि गुरु रविदास जयंती समारोह समिति ने शीर्ष अदालत के आदेश के बावजूद जंगली इलाके को खाली नहीं करके गंभीर उल्लंघन किया है। गुरु रविदास जयंती समारोह समिति बनाम यूनियन ऑफ इंडिया के बीच सुप्रीम कोर्ट में केस में सर्वोच्च अदालत ने डीडीए से 10 अगस्त तक वहां से निर्माण को हटाने का आदेश दिया था।
10 अगस्त 2019ः डीडीए ने निर्माण को हटा दिया।
12 अगस्त 2019ः दिल्ली के समाज कल्याण मंत्री राजेंद्र पाल गौतम ने प्रधानमंत्री को लिखे पत्र में कहा है कि देश में करोड़ों लोग संत रविदास में आस्था रखते हैं और लोगों की आस्था का ध्यान रखते हुए यहां मंदिर को पुनः स्थापित कराया जाना चाहिए।