ममता, पवार और सीपीआई को चुनाव आयोग का झटका

-टीएमसी, एनसीपी और सीपीआई अब नहीं रहीं राष्ट्रीय पार्टी!
-चुनाव आयोग का फैसला, चुनाव में सिमटा तीनों दलों का जनाधार
-बीते चुनावों के नतीजों के आधार पर भेजा चुनाव आयोग ने नोटिस

टीम एटूजैड/नई दिल्ली
तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी), राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) और कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ इंडिया (सीपीआई) केे लिए बुरी खबर है। तीनों ही दलों के लगातार खिसकते जनाधार की वजह से तीनों पार्टियों का राष्ट्रीय पार्टी होने का तमगा छिन गया है। बुधवार को तीनों पार्टियों पर चुनाव आयोग ने अपना फैसला सुनाया। पिछले दिनों चुनाव आयोग ने तीनों पार्टियों को कारण बताओ नोटिस जारी कर पूछा था कि इनके प्रदर्शन के आधार पर क्यों न इनका राष्ट्रीय पार्टी का दर्जा खत्म कर दिया जाए।
दूसरे राज्यों में चुनाव निशान पर संकट!
निर्वाचन प्रतीक (आरक्षण और आवंटन) आदेश, 1968 के मुताबिक किसी भी राजनीतिक पार्टी को राष्ट्रीय पार्टी का दर्जा तभी मिलता है जब उसके उम्मीदवार लोकसभा या विधानसभा चुनाव में चार या अधिक राज्यों में कम से कम छह फीसदी वोट हासिल करें। ऐसी पार्टी के लोकसभा में भी कम से कम चार सांसद होने चाहिए। साथ ही कुल लोकसभा सीटों की कम से कम दो प्रतिशत सीट होनी चाहिए और इसके उम्मीदवार कम से कम तीन राज्यों से आने चाहिए। ऐसे में तीनों ही राजनीतिक दलों के अब दूसरे राज्यों में चुनाव लड़ने पर चुनाव निशान पर संकट आ गया है।
ये हैं मौजूदा समय में राष्ट्रीय पार्टी
मौजूदा समय में ऑल इंडिया तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी), भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी), बहुजन समाज पार्टी (बीएसपी), कम्युनिस्ट पार्टी आॅफ इंडिया (सीपीआई), माक्र्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा), अखिल भारतीय कांग्रेस (आईएनसी), राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) और नेशनल पीपल्स पार्टी ऑफ मेघायल को राष्ट्रीय पार्टी का दर्जा प्राप्त है। 2019 में हुए लोकसभा चुनाव में एनसीपी, तृणमूल कांग्रेस, भाकपा का प्रदर्शन इस कसौटी पर अच्छा नहीं माना जा रहा है। इसलिए इन पर राष्ट्रीय दर्जा खत्म होने का खतरा आया है।