पांच साल में 60 फीसदी बढ़ी डिफॉल्टर्स की संख्या

-सरकार ने वसूले 7,600 करोड़ रूपये
-लोकसभा में दी वित्तमंत्री ने जानकारी

प्रीती चौहान/ नई दिल्ली
बीते पांच साल में जानबूझ कर लोन नहीं चुकाने वालों की संख्या बढ़कर 60 फीसदी तक पहुंच गई है। यह खुलासा एक सवाल के जवाब में वित्तमंत्री निर्मला सीतारमन ने लोकसभा में किया। वित्त वर्ष 2014-15 के अंत में देश में विलफुल डिफॉल्टर्स की संख्या 5,349 थी, जो कि वित्त वर्ष 2018-19 के अंत में बढ़कर 8,582 तक पहुंच गई। वित्त मंत्री ने सदन को बताया कि इन विलफुल डिफॉल्टर्स से 7,600 करोड़ रुपये की वसूली भी की जा चुकी है।
सीतारमण ने बताया कि विलफुल डिफॉल्टर ’ऐसे व्यक्ति को कहते हैं जिसके पास लोन चुकाने का संसाधन तो होता है, लेकिन वह जानूबूझ कर नहीं चुकाता और कर्ज में हासिल पैसे को कहीं और इस्तेमाल करता है। उन्होंने बताया कि सिक्यूरिटाइजेशन ऐंड रीकंस्ट्रक्शन ऑफ फाइनेंशियल एसेट्स ऐंड इनफोर्समेंट ऑफ सिक्यूरिटी इंट्रेस्ट एक्ट, 2002 के प्रावधानों के तहत 6,251 मामलों में कार्रवाई की गई।
इसके तहत ही 31 मार्च 2019 तक सार्वजनिक बैंकों ने 8,121 मामलों में कर्ज वसूली के लिए मामला दायर किया है। रिजर्व बैंक के निर्देश के मुताबिक 2,915 मामलों में एफआईआर दर्ज कराए गए हैं। अघोषित संपत्ति के 380 मामलों में ब्लैक मनी एक्ट के तहत नोटिस भेजे गए हैं। इसमें करीब 12,260 करोड़ रुपये की आय और एसेट शामिल हैं।

डिफाल्टर्स को नहीं मिलेगा लोनः
वित्त मंत्री ने सदन को बताया कि दंडात्मक कार्रवाई के तहत विलफुल डिफॉल्टर को अब बैंक या वित्तीय संस्थाओं से कोई लोन या सुविधा नहीं दी जाती। उनकी कंपनियों को 5 साल तक कोई नया वेंचर शुरू करने से भी रोक दिया गया है। भारतीय प्रतिभूति विनिमय बोर्ड के नियमों के मुताबिक विलफुल डिफॉल्टर लोगों और कंपनियों को पूंजी बाजार से फंड जुटाने से भी रोक दिया गया है।

एनपीए में आई गिरावटः
वित्त मंत्री ने बताया कि सरकार की रणनीति की वजह से सार्वजनिक बैंकों की गैर निष्पादित परिसंपत्ति यानी एनपीए में गिरावट आई है। मार्च 2018 के 8.95 लाख करोड़ रुपये के मुकाबले मार्च 2019 में एनपीए घटकर 8.06 लाख करोड़ रुपये रह गया है। हालांकि मार्च 2016 में बैंकों का एनपीए 2.79 लाख करोड़ रुपये ही था। सीतारमण ने बताया कि एनपीए के मोर्चे पर अच्छी खबर यह है कि वित्त वर्ष 2015-16 से 2018-19 के बीच सार्वजनिक बैंकों ने 3.59 लाख करोड़ रुपये की वसूली की है। पिछले वित्त वर्ष में ही 1.23 लाख करोड़ रुपये की वसूली की गई है।