सोनिया गांधी के बयान के विरोध में उतरे मीडिया संगठन

-सोनिया ने दी पीएम मोदी को मीडिया के विज्ञापन रोकने की सलाह
-मीडिया संगठनों ने जताई कांग्रेस अध्यक्ष के पत्र पर नाराजगी

टीम एटूजैड/ नई दिल्ली
पत्रकारों के कई राष्ट्रीय संगठनों ने अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी की अध्यक्ष सोनिया गांधी के विचारों पर असंतोष जताया है। श्रीमती गांधी ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को सलाह दी है कि करोविड-19 से लड़ने के लिए ज्यादा फंड की जरूरत है। इसलिए सरकार और सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनियों की ओर से जारी किए जाने वाले विज्ञापनों पर रोक लगा देनी चाहिए।
पीएम मोदी ने कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी सहित कई दलों के नेताओं से खुद फोन करके कोरोना की महामारी से बचने के लिए सुझाव मांगे थे। इसके बाद ही कांग्रेस अध्यक्ष ने पीएम को पत्र लिखकर इस तरह का सुझाव दिया है। प्रेस एसोसिएशन, इंडियन जर्नलिस्ट यूनियन, नेशनल यूनियन ऑफ जर्नलिस्ट्स और वर्किंग न्यूज कैमरामैन एसोसिएशन ने एक संयुक्त बयान में कहा कि अगर ऐसा किया गया तो इस महत्वपूर्ण घड़ी में मीडिया की भूमिका को कमतर आंकना होगा। श्रीमति गांधी की ओर से ऐसी सलाह दिया जाना मीडिया पर आघातपूर्ण है।
इस बयान में मीडिया संगठनों ने इस सलाह को पूरी तरह से अदूरदर्शी और तर्कहीन बताया है। इनका कहना है कि इस महामारी की वजह से मीडिया इंडस्ट्री विशेषकर प्रिंट मीडिया पर काफी आर्थिक दबाव आ गया है और इसके चलते बहुत से समाचार पत्रों ने अपना प्रकाशन बंद कर दिया है। प्रेस एसोसिएशन के अध्यक्ष जयशंकर गुप्त और महासचिव सी के नायक, इंडियन जर्नलिस्ट्स यूनियन के अध्यक्ष के श्रीनिवास रेड्डी और महासचिव बलविंदर सिंह जम्मू, नेशनल यूनियन ऑफ जर्नलिस्ट्स (इंडिया) के अध्यक्ष रास बिहारी और महासचिव प्रसन्ना मोहंती, वर्किंग न्यूज कैमरामैन एसोसिएशन के अध्यक्ष एस एन सिन्हा और महासचिव संदीप शंकर की ओर से जारी किय गया है।
संयुक्त बयान में कहा गया है कि इस संकट की वजह से देश में अनेक पत्रकार अपनी नौकरियां गंवा बैठे हैं। इस घड़ी में मीडिया को दिए जाने वाले विज्ञापन रोकने से यह इंडस्ट्री पूरी तरह से खत्म हो जाएगी। कोविड-19 से लड़ने के लिए मीडियाकर्मी अगली पंक्ति में रहकर संघर्ष कर रहे हैं। आगे भी इसकी बहुत जरूरत है। मीडिया संगठनों ने कहा कि वर्तमान परिदृश्य में फेक न्यूज बहुत बढ़ गई है।
इस समय लोग वास्तविक, सही और जिम्मेदार खबरें चाहते हैं। इस स्थिति के लिए मुख्यधारा का मीडिया ही उचित जवाब है। देश के चारों शीर्ष पत्रकार संगठनों ने मांग की है कि देश हित में संकट के इस दौर में मीडिया इंडस्ट्री की मदद की जाए। सरकार की ओर से प्रिंट, इलेक्ट्रॉनिक और समाचारों से जुड़ी सोशल मीडिया इकाईयों को समर्थन दिया जाए। किसी भी हाल में मीडिया के विज्ञापन नहीं रोके जाने चाहिए। वास्तव में छोटे समाचार पत्रों को तो सरकार की ओर से विशेष पैकेज दिया जाना चाहिए।