17 दिन के सियासी ड्रामे के बाद कमलनाथ का इस्तीफा

-कमलनाथ ने उपलब्धियों के भाषण में16 बार लिया भाजपा का नाम
-विधानसभा के बाहर ही गिरी 15 महीने पुरानी कमलनाथ सरकार

टीम एटूजैड/ भोपाल
17 दिन तक चले सियासी ड्रामे के बाद मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री कमलनाथ ने इस्तीफा दे दिया। कमलनाथ शुक्रवार भोपाल में साढ़े 12 बजे मीडिया के सामने आए। वह करीब 25 मिनट बोले और इस दौरान उन्होंने अपनी 15 माह पुरानी सरकार की 20 उपलब्धियां गिनाईं। कमलनाथ ने अपने वक्तव्य के दौरान 16 बार कहा कि ‘‘बीजेपी को हमारे काम रास नहीं आए।’’.
भारतीय जनता पार्टी और कांग्रेस के बीच जारी सियासी घमासान की लड़ाई सुप्रीम कोर्ट तक पहुंच गई थी। सुप्रीम कोर्ट ने ने गुरूवार को शुक्रवार शाम 5 बजे तक कमलनाथ सरकार को फ्लोर टेस्ट कराने का आदेश दिया था। लेकिन कमलनाथ विधानसभा में फ्लोर टेस्ट तक नहीं गए और उन्होंने विधानसभा के बाहर ही अपना स्तीफा दे दिया। कमलनाथ ने कहा कि भाजपा सोचती है कि वह मेरे प्रदेश को हराकर जीत सकती है। लेकिन वह न तो मेरे प्रदेश को हरा सकती है और नाही मेरे हौसले को हरा सकती है।
कमलनाथ की प्रेस वार्ता से पूर्व विधानसभा अध्यक्ष एनपी प्रजापति ने भाजपा विधायक शरद कोल का इस्तीफा मंजूर कर लिया। बताया जा रहा है कि कोल ने 6 मार्च को ही इस्तीफा दे दिया था। शुक्रवार को स्पीकर ने उस इस्तीफे पर फैसला लिया। दूसरी ओर बीजेपी ने दावा किया है कि कोल ने इस्तीफा नहीं दिया है।
कमलनाथ ने लगाए कुछ इस तरह के आरोप
भाजपा करती रही साजिश
11 दिसंबर 2018 को मध्यप्रदेश विधानसभा का परिणाम आया था। मेरे 40 साल के राजनीतिक जीवन में मैंने हमेशा विकास में विश्वास रखा है। बीजेपी को 15 साल मिले। मुझे 15 महीने मिले। ढाई महीने लोकसभा चुनाव और आचार संहिता में गए। प्रदेश का हर नागरिक गवाह है कि भाजपा को प्रदेशहित में किए गए मेरे काम रास नहीं आए। बौखलाहट में वे मेरे खिलाफ साजिश रचते रहे। आप सब जानते हैं कि महीनेभर में जब हमारी सरकार बनी थी तो हर 15 दिन में भाजपा नेता कहते थे कि ये सरकार पंद्रह दिन-महीने भर की सरकार है।
खेला गया प्रलोभन का खेल
कमलनाथ ने कहा कि आज हमारे 22 विधायकों को प्रलोभन देकर बंधक बनाने का काम किया है। करोड़ों रुपए खर्चकर प्रलोभन का खेल खेला गया है। आज पूरा प्रदेश इसका गवाह है। एक महाराज और उनके द्वारा प्रोत्साहित 22 लोभियों के साथ मिलकर बीजेपी ने लोकतंत्र की हत्या की है। प्रदेश की जनता के साथ धोखा करने वाले इन लोभियों और बागियों को जनता कभी माफ नहीं करेगी।
सरकार को अस्थिर किया गया
कमलनाथ ने आरोप लगाया कि पिछले 15 महीने में हमने कई बार विधानसभा में बहुमत साबित किया। हमने जब यह बहुमत साबित किया तो उन्होंने इसे बर्दाश्त नहीं किया। मेरी सरकार को अस्थिर कर प्रदेश की जनता के साथ विश्वासघात किया गया। भाजपा को चिंता है कि प्रदेश नई दिशा में चल रहा है। वो लगे रहे कि वे मेरी सरकार को अस्थिर कैसे किया जाए। 15 महीनों में हमने तीन लाख किसानों का कर्ज माफ किया। दूसरे चरण में साढ़े सात लाख किसानों के कर्ज माफ करने की प्रक्रिया हुई।
भाजपा को रास नहीं आए हमारे काम
कमलनाथ ने अगला आरोप लगाया कि प्रदेश की सड़कों पर घूम रही हमारी गो-माता के संरक्षण के लिए एक हजार गोशाला बनाने का फैसला किया। यह भाजपा को रास नहीं आया। प्रदेश की जनता को 100 यूनिट बिजली का फायदा प्रदेश के 1 करोड़ लोगों को हुआ। भाजपा को यह भी रास नहीं आया। कन्या विवाह में 28 हजार से बढ़कर 51 हजार रुपए की मदद की। भाजपा को यह भी रास नहीं आया। राम वनपथ गमन के निर्माण का संकल्प लिया। सीता माता का मंदिर श्रीलंका में बनाने का निर्णय लिया। यह भी भाजपा को रास नहीं आया।
उन्होंने कहा कि हमने ओंकारेश्वर मंदिर के विकास की योजना बनाई। यह भाजपा को रास नहीं आया। पुजारियों का मानदेय हमने तीन गुना बढ़ाया। यह भाजपा को रास नहीं आया। आदिवासी भाइयों के लिए काम किया। वहां स्कूल खोले। 15 महीने में हमने 400 वादे पूरे किए। भाजपा को यह रास नहीं आये। आरक्षण का प्रावधान किया। भाजपा को यह रास नहीं आया। आर्थिक रूप से सामान्य कमजोर वर्ग के लिए काम किया। यह भी रास नहीं आया। प्रदेश में निवेश विश्वास से आता है। हमने मध्यप्रदेश को ऐसा प्रदेश बनाया, जहां झूठी घोषणाएं नहीं थीं। 15 महीने में हमारी सरकार में किसी पर भी भ्रष्टाचार का आरोप नहीं लगा। हम विकास के पथ पर हमेशा रहेंगे। चुनौतियों का हम डटकर मुकाबला करेंगे। कर्तव्य पथ पर न रुकेंगे, न डिगेंगे।
हॉर्स ट्रेडिंग में किसने पैसा दिया, कल-परसों तक सामने आ जाएगा
कमलनाथ ने अगला आरोप लगाया कि भाजपा सोचती है कि वह मेरे प्रदेश को हराकर जीत सकती है। वह न मेरे प्रदेश को हरा सकती है और न मेरे हौसले को हरा सकती है। हमारे पास पद हो या नहीं हो, प्रदेश के हमारे नौजवान, पिछड़ा वर्ग और किसानों के हित के काम में हम लगे रहेंगे। 9 मार्च को 16 विधायकों को लेकर चले गए थे। किसने पैसा दिया, किसने दबाव डाला, यह समय के साथ सामने आ जाएगा। आज के बाद कल आता है, कल के बाद परसों भी आता है। परसों आएगा। जनता तय करेगी। मैंने यह तय किया है कि मैं राज्यपाल को अपना इस्तीफा देने जा रहा हूं और इसका कारण यह है कि जिन सिद्धांतों का पालन मैंने किया है।
बताया भाजपा का पलड़ा भारी
कांग्रेस के सभी 22 बागियों के इस्तीफे स्वीकार होने के बाद संख्या बल में भाजपा सबसे बड़ी पार्टी बन गई है। उसके 106 विधायक हैं। वहीं, कांग्रेस के पास स्पीकर समेत सिर्फ 92 विधायक रह गए हैं। कांग्रेस के पास निर्दलीय और बसपा-सपा के 7 विधायकों का भी समर्थन है। ऐसे में अगर फ्लोर टेस्ट होता तो कमलनाथ के लिए सरकार बचाना मुश्किल होगा।
कांग्रेस के 22 विधायकों के इस्तीफे के बाद विधानसभा की स्थिति
मध्यप्रदेश विधानसभा में कुल 230 सीट हैं। चुनाव के बाद 2 विधायकों का निधन हो जाने से यहां दो सीट खाली हो गई थीं। इसके बाद कुल 228 विधायकों के आधार पर सरकार चल रही थी। इसके बाद कांग्रेस के 22 विधायकों ने इस्तीफा दे दिया। उनके इस्तीफे मंजूर होने के बाद विधानसभा में कुल 206 विधायक रह गए हैं। सरकार बनाने के लिए कुल 104 विधायकों का बहुमत जरूरी है। जबकि बीजेपी के पास 107 विधायक हैं। सीधा मतलब है कि बीजेपी के पास फिलहाल बहुमत से 3 विधायक ज्यादा है। जबकि कांग्रेस के पास कुल 99 विधायक हैं। इनमें समाजवादी पार्टी और बहुजन समाज पार्टी के 7 विधायक भी शामिल हैं, जबकि कांग्रेस के अपने 92 विधायक हैं। यानी कांग्रेस के पास सरकार बनाने के लिए जरूरी बहुमत से 5 विधायक कम हैं।