शिवराज सिंह चौहान बन सकते हैं मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री

-विधायक दल का नेता चुनने के लिए बीजेपी दिल्ली से भेजेगी पर्यवेक्षक

टीम एटूजैड/ नई दिल्ली
मध्य प्रदेश में एक बार भारतीय जनता पार्टी की शिवराज सरकार की वापसी होगी। 15 साल राज्य के मुख्यमंत्री रहे शिवराज सिंह चौहान एक बार फिर मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री पद की बागडोर संभालेंगे। सूत्रों की मानें तो बीजपी के केंद्रीय नेतृत्व ने एक बार फिर शिवराज सिंह चौहान के हाथों में राज्य की बागडोर सोंपने का फैसला कर लिया है। बीजेपी केंद्रीय नेतृत्व की ओर से दिल्ली से दो पर्यवेक्षक भोपाल भेजे जा रहे हैं। यह पर्यवेक्षक बीजेपी विधायक दल की बैठक लेंगे। इस बैठक में ही विधायक दल के नेता का चुनाव होगा।
मुख्यमंत्री कमलनाथ के इस्तीफे के बाद बीजेपी विधायकों के बीच हलचल तेज हो गई। विधानसभा परिसर में ही बीजेपी विधायकों ने पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान का स्वागत किया और विक्ट्री चिन्ह बनाकर अपनी खुशी जताई। इससे पहले कांग्रेस के 22 विधायकों ने इस्तीफा दे दिया था। जिनमें से 6 विधायकों का इस्तीफा स्पीकर ने स्वीकार कर लिया था और 16 विधायकों का इस्तीफा स्वीकार नहीं किया गया था। बीजेपी ने सरकार से सदन में बहुमत साबित करने की मांग की थी, लेकिन मांग को दरकिनार करते हुए स्पीकर ने 26 मार्च तक सदन को स्थगित कर दिया था।
इसके बाद बीजेपी की ओर से पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की गई थी। बीजेपी ने तुरंत फ्लोर टेस्ट की मांग की गई थी। सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को स्पीकर को फटकार लगाई थी और 16 बागी विधायकों के इस्तीफे ना स्वीकारने का कारण पूछा। सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार 20 मार्च को शाम 5 बजे तक फ्लोर टेस्ट कराने का आदेश दिया था। इसके बाद स्पीकार ने सभी 16 विधायकों का इस्तीफा स्वीकार कर लिया था।
बता दें कि कांग्रेस के बागी विधायकों का इस्तीफा स्वीकार होने के बाद कमलनाथ सरकार अल्पमत में आ गई थी। इसके बाद मुख्यमंत्री कमलनाथ ने बिना विधानसभा की बैठक बुलाए शुक्रवार को अपना इस्तीफा दे दिया।
जनता ने महसूस किया राज्य हुआ तबाह
कमलनाथ के इस्तीफे के बाद पूर्व मुख्यमंत्री और बीजेपी के वरिष्ठ नेता शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि कमलनाथ राज्य के मुख्यमंत्री नहीं थे। कमलनाथ के आसपास दिग्विजय सिंह काम कर रहे थे। उन्हीं की वजह से राज्य के हालात बिगड़े थे। राज्य की जनता ने महसूस किया कि राज्य कमलनाथ सरकार के कार्यकाल के दौरान तबाह हुआ है।
ज्योतिरादित्य सिंधिया के पाला बदलने से गई कमलनाथ सरकार
कांग्रेंस के पूर्व नेता ज्योतिरादित्य सिंधिया के पाला बदलकर बीजेपी में आ जाने से मध्य प्रदेश में कांग्रेस की कमलनाथ सरकार गिर गई। पूर्व केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया पिछले सवा साल से अपनी पार्टी कांग्रेस में अलग थलग महसूस करते आ रहे थे। विधानसभा चुनाव के बाद ज्योतिरादित्य सिंधिया ने राज्य के मुख्यमंत्री पद के लिए दावा किया था, लेकिन कांग्रेस शीर्ष नेतृत्व ने उनकी मांग नहीं मानी। इसके बाद ज्योतिरादित्य सिंधिया ने प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष का पद मांगा तो पार्टी ने उन्हें इसके लिए भी मना कर दिया। हालात तब और बिगड़ गए जब राज्य की 3 राज्यसभा सीटों को भरे जाने के लिए भी पार्टी ने उनके नाम पर विचार नहीं किया। इसके बाद ज्योतिरादित्य सिंधिया और उनके समर्थक 22 विधायकों ने कांग्रेस से बगावत कर दी। इस तरह मध्य प्रदेश में भारतीय जनता पार्टी की सरकार बनाने की पटकथा लिखी गई।