दिल्ली दंगों में पुलिस के हत्थे चढ़ा जामिया का पूर्व छात्र सिफा

-उत्तर-पूर्वी दिल्ली दंगों में सामने आ रहे ज्यादा पढ़ी मुस्लिम महिलाओं के नाम
-किरोड़ीमल कॉलेज की पूर्व छात्रा गुलफिसा फातिमा भी दंगों के लिए जिम्मेदार!

टीम एटूजैड/ नई दिल्ली
उत्तर पूर्वी दिल्ली में हुए दंगों के मामले में एक खास मजहब का नया चेहरा सामने आया है। दिल्ली पुलिस ने दंगे भड़काने के आरोप में जामिया की एलुमनाई एसोसिएशन के अध्यक्ष सिफा उर-रहमान को गिरफ्तार किया है। इसी मामले में किरोड़ीमल कॉलेज की पूर्व छात्रा गुलफिसा फातिमा भी दिल्ली पुलिस के हत्थे चढ़ी है। चोंकाने वाली बात यह है कि उत्तर पूर्वी दिल्ली में फरवरी महीने में हुए दंगों में एक खास मजहब की ज्यादा पढ़ी लिखी महिलाओं के नाम सामने आ रहे हैं।
दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल ने सोमवार को जामिया के पूर्व छात्र सिफा उर-रहमान को गिरफ्तार कर लिया है। दिल्ली पुलिस दंगों के संबंध में सबूत जुटाने और दूसरे लोगों के शामिल होने के बारे में उसके साथ पूछताछ कर रही है। इसके साथ ही दिल्ली दंगों की साजिश में नामी-गिरामी यूनिवर्सिटीज और कॉलेजों में पढ़ चुके कई लोग गिरफ्तार हो रहे हैं। सिफा के खिलाफ दिल्ली पुलिस ने (गैर-कानूनी गतिविधियां रोकथाम कानून) यूएपीए के तहत मामला दर्ज किया है।

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बता दें कि स्पेशल सेल की टीम किरोड़ीमल कॉलेज की पूर्व छात्रा गुलफिसा फातिमा को भी दंगों की साजिश रचने के मामले में गिरफ्तार कर चुकी है। फातिमा पर भी यूएपीए एक्ट के तहत केस दर्ज है। इससे पहले स्पेशल सेल ने जामिया कॉर्डिनेशन कमेटी की मीडिया प्रभारी सफुरा जर्गर को इन्हीं धाराओं में गिरफ्तार किया था। जरगर तीन महीने की गर्भवती भी है।
इन लोगों के अलावा पुलिस ने जामिया के मीरान हैदर, जूएनयू के पूर्व छात्र उमर खालिद, दानिश, कांगेस की पूर्व पार्षद इशरत जहां और कांग्रेस कार्यकर्ता खालिद सैफी को भी दंगो की साजिश रचने के मामले में गिरफ्तार किया है। इन सभी पर यूएपीए एक्ट के तहत कार्रवाई की गई है। बता दें कि सफुरा जरगर ने अपने प्रेग्नेंट होने का हवाला देकर खुद की जमानत के लिए अर्जी लगाई थी, लेकिन उसे अदालत ने खारिज कर दिया है।

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दंगे, गैर-कानूनी गतिविधियां और आर्म्स एक्ट में एफआईआर
क्राइम ब्रांच के एक आला अधिकारी के मुताबिक सभी आरोपियों के खिलाफ गैर कानूनी गतिविधियां रोकथाम कानून के साथ आईपीसी की धारा 147 (दंगा करना), 148 (घातक हथियारों के साथ दंगों में शामिल होना), 149 (गैर-कानूनी रूप से इकट्ठा होना या लोगों को इकट्ठा करना), 186 (सरकारी अधिकारी के काम में बाधा डालने), 353 (सरकारी कर्मचारी पर हमला करने), 332 (जानबूझ कर सरकारी कर्मचारी को नुकसान पहुंचाने), 307 (हत्या का प्रयास), 149 (गलत नीयत से उकसाने), 34 (अपराध को अंजाम देने के लिए लोगों के साथ इकट्ठा होने) और आर्म्स एक्ट की धाराएं लगाई गई हैं।
दंगों की आरोपी पढ़ी लिखी महिलाएं
किसी भी अपराध में शामिल पाए जाने पर अब तक एक खास मजहब के समर्थक उन लोगों को कम पढ़ा-लिखा कहकर उनका बचाव करते रहते थे। लेकिन उत्तर पूर्वी दिल्ली में हुए दंगों में एक नंगा सच सबके सामने आया है। दंगों की जांच दिल्ली पुलिस की विशेष शाखा कर रही है। दंगों के मामले में विशेष शाखा ने अब तक आप से निलंबित पार्षद ताहिर हुसैन, उमर खालिद, सफूरा जरगर, दानिश, सिफा उर-रहमान, कांग्रेस के कार्यकर्ता खालिद सैफी सहित कांग्रेस की पूर्व पार्षद इशरत जहां और गुलफिसा फातिमा को यूएपीए के साथ विभिन्न धाराओं में गिरफ्तार किया है। आश्चर्य की बात है कि इन 8 आरोपियों में से छह ज्यादा पढ़े लिखे लोग हैं। इससे भी बड़े आश्चर्य की बात है कि 8 में से तीन ज्यादा पढ़ी लिखी महिलाएं हैं।