बिल्डर वाली गाड़ीः मेयर अवतार सिंह के पक्ष में सक्रिय हुआ ‘जागरूक’ माफिया

-उत्तरी दिल्ली निगम में आयुक्त वर्षा जोशी के खिलाफ शुरू हुई लॉबिंग
-मेयर के बचाव में आया ‘जागरूक’ माफिया, आयुक्त के खिलाफ एसएमएस

‘जागरूक’ माफिया द्वारा भेजे गए मैसेज का भाग-1

हीरेंद्र सिंह राठौड़ / नई दिल्ली
उत्तरी दिल्ली के ‘बीजेपी महापौर के पास बिल्डर वाली गाड़ी’ मामले में बवाल बढ़ता जा रहा है। भारतीय जनता पार्टी में ही महापौर के खिलाफ आवाज उठने लगी है। पार्टी नेताओं का कहना है कि आने वाले समय में विधानसभा चुनाव हैं, ऐसे में महापौर का यह कारनामा पार्टी के लिए मुश्किल खड़ी कर सकता है। दूसरी ओर उत्तरी दिल्ली नगर निगम में निगम आयुक्त वर्षा जोशी के खिलाफ लॉबिंग तेज जो गई है। निगम में बड़े स्तर पर चल रहे भ्रष्टाचार का ठीकरा अब निगम आयुक्त के सिर फोड़ने की कोशिश की जा रही है।
बता दें कि उत्तरी दिल्ली नगर निगम में ‘बिल्डर, नेता, भ्रष्ट अधिकारियों और कुछ दलाल’ के गठजोड़ ने कुछ बड़ी-बड़ी परियोजनाओं पर कब्जा कर रखा है। यह परियोजनाएं अभी अटकी पड़ी हैं। इन्हीं में से कुछ परियोजनाओं में शामिल माफिया ने इस गठजोड़ में शामिल लोगों को महंगी गाड़ियों और कुछ दूसरी चीजों से उपकृत किया गया है।
महापौर के बचाव में सक्रिय हुआ ‘जागरूक’ माफिया
मंगलवार को जैसे ही ‘बीजेपी महापौर के पास बिल्डर वाली गाड़ी’ की खबर सामने आई। आनन-फानन में मेयर के बचाव में यह माफिया ‘जागरूक’ के नाम से सक्रिय हो गया। बता दें कि ‘‘आईजी जागरूक’ नाम की आईडी से ज्यादातर पत्रकारों, बीजेपी से जुड़े लोगों और निगम कर्मियों के मोबाइल पर इस आशय के एसएमएस भेजे गए, जिनमें महापौर

‘जागरूक’ माफिया द्वारा भेजे गए मैसेज का भाग-2

को निर्दोष और निगम आयुक्त को दोषी साबित करने की कोशिश की गई। इस मैसेज में सीआरवी के साथ बीएमडब्लू गाड़ियों का जिक्र भी किया गया है। हालांकि इस मैसेज में बीएमडब्लू गाड़ियों का नंबर क्या है और यह किसके पास हैं, इसका खुलासा नहीं किया गया। बताया जा रहा है कि इस अधूरे मैसेज का मकसद निगम आयुक्त व दूसरे आला अधिकारियों पर दबाव बढ़ाना है। मैसेज में निगम आयुक्त वर्षा जोशी की ईमानदारी पर सवाल उठाए गए हैं।
माफिया के निशाने पर निगम आयुक्त
निगम पार्षदों के बाद अब नगर निगम में सक्रिय माफिया उत्तरी दिल्ली की आयुक्त वर्षा जोशी के खिलाफ हमलावर हो गया है। पार्षदों की शिकायत है कि निगम आयुक्त उन्हें मिलने का समय नहीं देतीं। दूसरी ओर निगम के कुछ अधिकारी आयुक्त से इसलिए नाराज हैं कि उन्होंने इन अधिकारियों की ‘मनमानी वाले’ पर कतर दिए हैं। खास तौर पर इंजीरियरिंग विभाग, उपायुक्त और अतिरिक्त उपायुक्त स्तर के कुछ अधिकारियों में उनके खिलाफ नाराजगी है।
बंद हुआ दलाल माफिया का धंधाः
वर्षा जोशी के उत्तरी दिल्ली का निगम आयुक्त बनने के बाद से यहां काबिज ट्रांसफर-पोस्टिंग माफिया का भी धंधा बंद हो गया है। अधिकारियों पर अंकुश लगने और धधां बंद होने के बाद से ही ‘नेताओं, अधिकारियों, बिल्डर और दलालों के गठजोड़ वाला माफिया’ निगम आयुक्त से नाराज है। अब यही माफिया ‘जागरूक’ के नाम से निगम आयुक्त के सिर बिल्डर माफिया से मिलीभगत का ठीकरा फोड़ने की कोशिश में है।

मेयर बनने के बाद खरीदी गई नई गाड़ी
भाजपा नेताओं के एक गुट और ‘जागरूक’ माफिया की ओर से सफाई दी जा रही है कि महापौर अवतार सिंह को छोटी गाड़ी में बैठने में तकलीफ होती थी। इसलिए उन्होंने अपने लिए बड़ी गाड़ी की मांग की थी। यह भी कहा जा रहा है कि निगम अधिकारियों के पास पहले से ही दो सीआरवी गाड़ी थीं। बता दें कि अवतार सिंह को 29 अप्रैल 2019 को उत्तरी दिल्ली का महापौर चुना गया था। जबकि नई सीआरवी गाड़ी का पंजीकरण 7 मई 2019 को मै0 अंश बिल्डर्स प्राइवेट लिमिटेड के नाम से कराया गया था। बताया जा रहा है कि ऑन डिमांड इन गाड़ियों की खरीदारी की गई थी। यह तथ्य सामने आने के बाद से ‘जागरूक’ माफिया फिलहाल बैकफुट पर आ गया है।

अवतार सिंह पर पहले भी लगे उगाही और ब्लैकमेलिंग के आरोप
उत्तरी दिल्ली के महापौर अवतार सिंह के ऊपर इससे पहले उगाही और ब्लैकमेलिंग के आरोप लग चुके हैं। इस मामले में महापौर बनने से पहले अगस्त 2018 में कश्मीरी गेट पुलिस स्टेशन में (तत्कालीन पार्षद और अब मेयर भी) अवतार सिंह के खिलाफ ब्लैकमेलिंग और उगाही की शिकायत दर्ज कराई गई थी। शिकायतकर्ता ने कहा था कि पार्षद होने के कारण कुछ अन्य लोगों के जरिए अवतार सिंह इलाके में बनने वाले मकानों के लिए बिल्डरों से पैसे ऐंठते हैं। इस मामले की जांच करने वाले कश्मीरी गेट पुलिस स्टेशन के इंस्पेक्टर राजबीर सिंह ने इस केस को एंटी करप्शन ब्रांच और एमसीडी की विजिलेंस डिपार्टमेंट को भेजने की अनुशंसा की थी।
निगम आयुक्त पर मनमानी का आरोप
बता दें कि लंबे समय से उत्तरी दिल्ली की निगम आयुक्त वर्षा जोशी के ऊपर बीजेपी, आम आदमी पार्टी ओर कांग्रेस के पार्षद मनमानी का आरोप लगाते रहे हैं। कई बार यह आरोप सदन में भी लगाए जा चुके हैं। पार्षदों का आरोप है कि आयुक्त उन्हें मिलने का समय नहीं देतीं। पिछले दिनों एक पार्षद ने आयुक्त कार्यालय के बाहर कूड़ा फेंका था। हालांकि कई बैठकों में निगम आयुक्त ने अपना पक्ष भी रखा और पार्षदों को मिलने के लिए समय देने की बात भी कही। कई निगम अधिकारियों के साथ आयुक्त के झगड़े की खबरें भी सामने आती रही हैं।
दूसरी ओर नगर निगम की कवरेज करने वाले पत्रकारों में भी निगम आयुक्त के प्रति थोड़ी-बहुत नाराजगी है। कारण है कि आयुक्त केवल ट्विटर और वहाट्सएप ही सक्रिय रहती हैं।
हो चुकी है ‘अविश्वास प्रस्ताव’ लाने की कोशिश
उत्तरी दिल्ली नगर निगम में निगम आयुक्त वर्षा जोशी के खिलाफ एक बार अविश्वास प्रस्ताव लाने की कोशिश हो चुकी है। बताया जा रहा है कि ऐन मौके पर भाजपा के कुछ वरिष्ठ नेताओं को इसकी जानकारी हुई तो उन्होंने इस प्रस्ताव को लाने से मना कर दिया। अब यह माफिया महापौर को बिल्डर कंपनी द्वारा दी गई गाड़ी के मामले की आड़ में एक बार फिर से वर्षा जोशी पर दबाव बनाने की कोशिश में है। हालांकि नगर निगम के ज्यादातर अधिकारी, कर्मचारी और निगम पार्षदों में आयुक्त की कार्यप्रणाली को लेकर नाराजगी है।
महापौर, स्थायी समित अध्यक्ष करते तारीफः
नगर निगम में सक्रिय ‘जागरूक’ माफिया भले ही आयुक्त वर्षा जोशी को भ्रष्ट बताकर उनके खिलाफ कार्रवाई कराने की फिराक में हो। लेकिन महापौर, स्थायी समिति अध्यक्ष या नेता सदन ने उनके खिलाफ कभी कुछ नहीं कहा। इस मामले में जब भी इन नेताओं से बात की जाती है तो वह निगम आयुक्त की तारीफ ही करते नजर आते हैं।