-उत्तरी दिल्ली नगर निगम में बिल्डर लॉबी, नेताओं व अधिकारियों की मिलीभगत
-बिल्डर के नाम पंजीकृत गाड़ी से सरकारी काम कर रहे उत्तरी दिल्ली के महापौर
उत्तरी दिल्ली नगर निगम में नेताओं, बिल्डर लॉबी और निगम अधिकारियों की मिलीभगत का मामला सामने आया है। महापौर अवतार सिंह सरकारी तौर पर जिस गाड़ी का उपयोग कर रहे हैं, वह एक निजी बिल्डर कंपनी के नाम पर पंजीकृत है। केंद्र सरकार के वाहन एप से मिली जानकारी के मुताबिक महापौर की गाड़ी डीएल 14 सीई 4342 निजी बिल्डर कंपनी ‘‘अंश बिल्डर्स प्रा. लि.’’ के नाम से पंजीकृत है। एप पर उपलब्ध रिकॉर्ड के मुताबिक यह गाड़ी इसी साल मई महीने में खरीदी गई है। नियमानुसार किसी निजी गाड़ी पर महापौर का बोर्ड नहीं लगाया जा सकता। महापौर की गाड़ी बिल्डर के नाम पर पंजीकृत होने की बात सामने आने के बाद अब भारतीय जनता पार्टी विपक्ष के निशाने पर आ गई है।
बता दें कि उत्तरी और दक्षिणी दिल्ली नगर निगम के महापौर के पास पहले सियाज गाड़ियां थीं। लेकिन पिछले दिनों उत्तरी दिल्ली नगर निगम का महापौर बनने पर अवतार सिंह के पास होंडा की सीआरवी गाड़ी आ गई। बता दें कि सियाज गाड़ी की कीमत 7 से 9 लाख रूपये जबकि सीआरवी की कीमत 28 से 32 लाख रूपये के बीच है।
नगर निगम ने नहीं खरीदी गाड़ीः निगम आयुक्त
निगम आयुक्त वर्षा जोशी ने इस मामले में कहा कि इस गाड़ी को नगर निगम के खर्च से नहीं खरीदा गया। उन्होंने बताया कि यह प्रोजेक्ट की गाड़ी है।
सत्ता पक्ष ने बताया गलत काम
उत्तरी दिल्ली नगर निगम के महापौर द्वारा निजी बिल्डर कंपनी से गाड़ी लिए जाने का मामला लगातार तूल पकड़ता जा रहा है। नगर निगम में सत्ता पक्ष के नेताओं ने भी महापौर की इस कार्यप्रणाली को गलत बताया है। स्थायी समिति के अध्यक्ष जय प्रकाश जेपी ने कहा कि नगर निगम के पास जो भी साधन हैं हमें उन्हीं से काम चलाना है। हम नगर निगम की सत्ता में दिल्ली वालों की जनता की सेवा के लिए आए हैं। हमें निगम के सीमित संसाधानों से ही सेवा कार्य करना है।
विपक्ष ने दागे सवालः
उत्तरी दिल्ली नगर निगम में नेता विपक्ष (आम आदमी पार्टी) सुरजीत पंवार ने मिलीभगत का अंदेशा जताते हुए निगम के नेताओं और अधिकारियों की कार्यप्रणाली पर सवाल उठाए हैं। उन्होंने कहा कि अगर यह गाड़ी प्रोजेक्ट के नाम पर भी ली गई है, तो निगम के इंजीनियरों व अन्य अधिकारियों के लिए है। महापौर का इस गाड़ी का उपयोग करना और उस गाड़ी पर महापौर का बोर्ड लगवाना नियमों के विरूद्ध है। यह सीधे तौर पर उस निजी बिल्डर कंपनी से लाभ का मामला बनता है।
मेयर बनने से पूर्व स्कूटर पर घूमते थेः
आप नेता सुरजीत सिंह पंवार ने कहा कि महापौर बनने से पहले अवतार सिंह स्कूटर पर घूमा करते थे। अब उन्हें छोटी गाड़ी रास नहीं आ रही है। अब वह बिल्डर के नाम पर पंजीकृत गाड़ी में घूम रहे हैं। यह इस ओर इशारा करता है कि गाड़ी के बदले संबंधित व्यक्ति को कोई न कोई लाभ पहुंचाया गया है। अगर यह गाड़ी प्रोजेक्ट पर भी ली गई हैं तो संबंधित विभाग या अधिकारी के नाम से यह गाड़ी होनी चाहिए थी।
बिल्डर के नाम नहीं हो सकती प्रोजेक्ट की गाड़ी
सरकारी निकाय जब कोई काम किसी निजी ठेकेदार या कंपनी से कराता है तो उस प्रोजेक्ट के निरीक्षण व संबंधित कामों के लिए कुछ फंड पहले ही समझौते में तय कर लेता है। इस फंड से प्रोजेक्ट के स्थान पर दफ्तर, स्टॉफ की नियुक्ति और निरीक्षण आदि के लिए गाड़ियों की खरीदारी की जा सकती है। लेकिन उन गाड़ियों का पंजीकरण निगम या सरकारी निकाय के नाम से ही होता है।
कांग्रेस के निशाने पर महापौर
उत्तरी दिल्ली नगर निगम में कांग्रेंस दल के नेता मुकेश गोयल ने कहा कि महापौर ने यदि प्रोजेक्ट की गाड़ी ली है तो गलत है। यह गाड़ियां प्रोजेक्ट के निरीक्षण के लिए होती हैं। लेकिन महापौर पूरी दिल्ली में इसी गाड़ी से घूम रहे हैं।
मैंने नहीं ली, निगम अधिकारियों ने दी हैः अवतार सिंह
निजी बिल्डर के नाम की गाड़ी का विवाद मीडिया में आने के बाद महापौर अवतार सिंह ने अपनी सफाई में कहा कि मैंने नगर निगम से गाड़ी मांगी थी। यह गाड़ी नगर निगम की ओर से मुझे दी गई है। मैं तो उस गाड़ी का उपयोग कर रहा हूं। यह बात अधिकारी ही बता सकते हैं कि यह किसके नाम पंजीकृत है।
निजी कंपनी के नाम पर नहीं हो सकती प्रोजेक्ट की गाड़ी
नियमानुसार नगर निगम यदि किसी निजी ठेकेदार या कंपनी को बड़ा प्रोजेक्ट देता है तो उसके लिए कुछ राशि तय की जाती है। इस राशि को प्रोजेक्ट संबंधित कामों में नगर निगम द्वारा खर्च किया जाता है। प्रोजेक्ट के निरीक्षण के लिए गाड़ी भी खरीदी जा सकती है। लेकिन इस गाड़ी का पंजीकरण नगर निगम के नाम पर ही हो सकता है। इस राशि को निजी नाम से खर्च नहीं किया जा सकता। अतः महापौर के द्वारा जिस गाड़ी का उपयोग किया जा रहा है, वह भी नियमानुसार गलत है।