-सरकार का ऐसा कोई प्लान नहींः कैबिनेट सचिव
-मंत्रिमंडीलय सचिव राजीव गौबा ने कही यह बात
टीम एटूजैड/ नई दिल्ली
देश भर में 21 दिन का लॉकडाउन शुरू होने के बाद आशंका जताई जा रही है कि इसे आगे और बढ़ाया जा सकता है। सोशल मीडिया पर इस तरह की बातों के बीच उठे सवालों के बीच सरकार ने स्पष्ट किया है कि अभी लॉकडाउन की समय-सीमा बढ़ाने का कोई विचार नहीं है। केंद्रीय मंत्रिमंडलीय सचिव राजीव गौबा ने कहा है कि लॉकडाउन को बढ़ाए जाने की खबरें चौंकाने वाली हैं, लेकिन हमारा ऐसा कोई प्लान नहीं है।
केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के अनुसार सोमवार की सुबह जारी आंकड़ों के अनुसार भारत में कोरोना वायरस से संक्रमित मरीजों की संख्या 1071 हो गई है। इनमें से 99 लोग ठीक हो गए हैं। देश में अब तक 30 लोगों की मौत हो गई है। केरल में मरीजों की संख्या बढ़कर 194 पहुंच गई है। महाराष्ट्र में अब तक कोरोना के 193 मामले सामने आ गए हैं। उत्तर प्रदेश में भी कोरोना की मरीजों की संख्या 75 तक पहुंच गई है। कर्नाटक में अब तक 80 मामले सामने आए हैं।
कोरोना वायरस से बचाव के लिए फिलहाल दुनिया की करीब एक-तिहाई आबादी लॉकडाउन में है। भारत में 14 अप्रैल तक के लिए लॉकडाउन लगाया गया है। केंद्र और राज्य सरकारों की ओर से जून तक के लिए की गए इंतजामात के चलते लोगों में यह भ्रम हो गया है कि यह लॉकडाउन जून तक बढ़ाया जा सकता है। सरकार ने फिलहाल लॉकडाउन पर फैले भ्रम को अभी के लिए दूर कर दिया है। लेकिन एक सर्वे रिपोर्ट सामने आने के बाद से यह माना जा रहा है कि लॉकडाउन को आगे बढ़ाया जा सकता है। आप भी जानें कि कया है यह रिपोर्टः-
21 दिन से ज्यादा के लॉकडाउन की जरूरत
कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय के भारतीय मूल के रिसर्चर एक नया गणितीय मॉडल लेकर आए हैं। इसमें भारत में 49 दिन के देशव्यापी लॉकडाउन या दो महीनों में समय-समय पर छूट के साथ निरंतर लॉकडाउन की बात कही गई है। भारत में कोरोना को दोबारा उभरने से रोकने के लिए इसे जरूरी बताया गया है। विश्वविद्यालय में व्यावहारिक गणित और सैद्धांतिक भौतिकी विभाग से राजेश सिंह की मदद से रणजय अधिकारी द्वारा लिखे गए रिसर्च पेपर में बताया गया है कि भारत सरकार ने जो 21 दिन का लॉकडाउन लगाया है। इसके प्रभावी होने की संभावना कम है। इसके खुलने के बाद कोरोना फिर से बढ़ सकता है।
सोशल डिस्टेंसिंग ही है प्रभावी उपाय
भारत में कोरोना वायरस की महामारी पर सोशल डिस्टेंसिंग के जरिए ही काबू पाया जा सकता है। कोरोना के प्रभाव का अनुमान लगाने का इस तरह का यह पहला मॉडल है। इसमें भारतीय आबादी की उम्र और सामाजिक संपर्क के आधार को शामिल किया गया है। रिसर्च पेपर का टाइटल ‘एज स्ट्रक्चर्ड इम्पैक्ट ऑफ सोशल डिस्टेंसिंग ऑन द कोविड-19 एपिडेमिक इन इंडिया’ रखा गया है।
उम्र आधारित एसआईआर मॉडल के जरिए किया गया शोध
इस अध्ययन में सोशल डिस्टेंसिंग उपायों- कार्यस्थल में गैर मौजूदगी, स्कूल बंद करने, लॉकडाउन और इसकी अवधि के साथ उनकी प्रभावाकारिता का आकलन किया गया है। रिसर्चर्स ने भारत में कोविड-19 महामारी के बढ़ने का अध्ययन करने के लिए सर्वे और बेजन इम्प्यूटेशन से प्राप्त सोशल कॉन्टैक्ट मैट्रिसेज के साथ एक आयु-संरचित एसआईआर मॉडल का प्रयोग किया।
टीके के अभाव में सोशल डिस्टेंसिंग
कोरोना के बचाव के लिए अभी किसी टीके की खोज नहीं हो सकी है। रिसर्चर्स का कहना है कि सोशल कॉन्टैक्ट की संरचनाएं गंभीर रूप से संक्रमण के प्रसार को निर्धारित करती हैं। टीकों के अभाव में बड़े पैमाने पर सोशल डिस्टेंसिंग के उपायों के माध्यम से इन संरचनाओं का नियंत्रण वायरस के खात्मे का सबसे प्रभावी तरीका होता है। गौरतलब है कि कोरोना के प्रसार को रोकने के लिए प्रभावी उपाय के तौर पर भारत में 24 मार्च की मध्यरात्रि से 21 दिनों के लिए लॉकडाउन लगाया गया है।