फर्जी डिग्री मामलाः फजीहत के लिए एबीवीपी पदाधिकारी जिम्मेदार!

-रि-इलेक्शन की तारीख निकालने के इंतजार में रहा डीयू प्रशासन
-एवीबीपी के अंकित बसोया पार्टी से बाहर, देना पड़ा पद से इस्तीफा

टीम एटूजैड/ नई दिल्ली
दिल्ली विश्वविद्यालय छात्र संघ चुनाव में अध्यक्ष पद पर विजयी रहे अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (एबीवीपी) की ओर से जीते अंकित बसोया को अपने पद से इस्तीफा देना पड़ा है। उनकी फर्जी डिग्री मामले में जांच पूरी होने तक संगठन से भी उन्हें बाहर का रास्ता दिखा दिया गया है। दरअसल मामले की सुनवाई 20 नवंबर को हाई कोर्ट मे ंहोनी है। दिल्ली हाई कोर्ट ने सोमवार को ही अंकित बसोया को अपनी तमिलनाडु की एक यूनीवर्सिटी की स्नातक की डिग्री को सही साबित करने के लिए 20 नवंबर तक का समय दिया है।

एबीवीपी पदाधिकारी जिम्मेदार!
दिल्ली विश्वविद्यालय में भाजपा और संघ की फजीहत के लिए अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के पदाधिकारियों को जिम्मेदार माना जा रहा है। संगठन में दिल्ली एबीवीपी के संगठन मंत्री अजय ठाकुर और राष्ट्रीय मंत्री श्रीनिवासन के खिलाफ आवाजें उठने लगी हैं। दरअसल अजय ठाकुर हिमाचल प्रदेश से हैं और अपना ज्यादातर समय हिमाचल प्रदेश में ही बिताते हैं। सूत्रों का कहना है कि यह दोनों पदाधिकारी छात्र संगठन के नेताओं से अपनी यात्राओं के लिए व्यवस्था कराते हैं। एबीवीपी के कई पदाधिकारी दबी जुबान से यह स्वीकार करते हैं कि अजय ठाकुर और श्रीनिवासन केवल अपनी सुविधाओं पर ध्यान देते हैं और दिल्ली एबीवीपी के गूजर-जाट बिरादरी के छात्रों से सुविधा शुल्क वसूल करते हैं।

उम्मीदवारों पर नहीं दिया ध्यानः
एबीवीपी के कार्यकर्ताओं से लेकर भाजपा और आरएसएएस के कार्यकर्ताओं में चर्चा है कि अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के जिम्मेदार वरिष्ठ पदाधिकारियों ने उम्मीदवारों के चयन पर ध्यान नहीं दिया। ये पदाधिकारी अपनी सुविधाएं भोगने में व्यस्त रहे और कौन उम्मीदवार कहां से आ रहा है, उसका बैक ग्राउंड क्या है? इस पर कोई ध्यान ही नहीं दिया गया। जबकि संगठन मिं़त्रयों की यह जिम्मेदारी थी कि वह उम्मीदवारों के बारे में सही छानबीन करते। आश्चर्य की बात है कि एबीवीपी की ओर से जारी वक्तव्य में व्यवस्था को बनाए रखने की बात कही गई है, लेकिन इसमें यह नहीं कहा गया कि जिम्मेदार पदाधिकारियों के खिलाफ संगठन क्या कार्रवाई करेगा़?

रि-इलेक्शन की तारीख टालने का इंतजार करता रहा डीयू प्रशासन
दिल्ली विश्वविद्यालय छात्र संघ अध्यक्ष के फर्जी डिग्री मामले में डीयू प्रशासन की लापरवाही के आरोप लगाए जा रहे हैं। दरअसल दिल्ली विश्वविद्यालय के नियमों के अनुसार यदि चुनावी धांधली सामने आती है तो डूसू चुनाव के बाद दो महीने के अंदर चुनाव कराना होता है। इस बार यह तारीख 13 नवंबर को खत्म हो गई है। इसके बाद ही अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद ने अंकित बसोया के खिलाफ कार्रवाई की है। उन्हें दो महीने का समय निकालने के बाद अपने पद से इस्तीफा देने और परिषद से बाहर करने का फैसला लिया गया है। बता दें कि अब दिल्ली हाई कोर्ट से अंकित की डिग्री खारिज कर दी जाती है और अध्यक्ष पद खाली भी हो जाता है, तो भी अब दिल्ली विश्वविद्यालय के चुनाव दोबारा नहीं होंगे और डूसू पर एबीवीपी का कब्जा बना रहेगा।