दिल्ली पर आग की लपटों का कहर… सियासी मेहरबानी का असर

-हिंसात्मक आंदोलन ने ली 22 लोगों की जान
-विरोध-समर्थक हिंसा में 250 से ज्यादा घायल
-सैकड़ो चार पहिया-दो पहिया आग के हवाले
-खास वर्ग के खिलाफ फूटा लोगों का गुस्सा

टीम एटूजैड/ नई दिल्ली
सीएए के विरोध की गैर जरूरी जिद को मिले सियासी समर्थन ने 26 फरवरी तक 22 लोगों की जान ले ली। इनमें एक पुलिसकर्मी भी शामिल है, जो अपनी ड्यूटी कर रहा था। हिंसा में डीसीपी अमित शर्मा सहित 250 से ज्यादा लोग घायल हो गए। इनमें से करीब एक दर्जन लोगों की हालत ज्यादा खराब बताई जा रही है। गोकलपुरी की टायर मार्केट जलाकर खाक कर दी गई। कई दूसरे इलाकों में भी मकानों-दुकानों को आग के हवाले कर दिया गया और लूटपाट की गई।
सबसे ज्यादा हालात जाफराबाद, मौजपुर, ब्रह्मपुरी, चांद बाग, खजूरी, करावल नगर आदि में रहे। जाफराबाद-मौजपुर इलाके में रविवार 23 फरवरी को सीएए विरोधियों ने उग्र होकर पत्थरबाजी की तो सीएए समर्थक खास तौर पर रास्ता रोके जाने से नाराज लोग भी सड़कों पर उतर आए। वर्ग विशेष के लोगों ने सीएए के विरोध में सड़कों पर उतर कर जमकर पत्थरबाजी की। इसका जवाब दूसरी ओर से भी पत्थरबाजी के रूप में दिया गया।
पत्थरबाजी का सिलसिला सोमवार की सुबह फिर से शुरू हो गया। लेकिन सोमवार को पत्थरबाजों में अवैध असलहे लेकर गोलीबाज भी सड़कों पर उतर आए। सोमवार को मौजपुर से लेकर भजनपुरा तक उपद्रवियों ने आगजनी की। पेट्रोल पंप फूंक दिया गया। एक आततायी पत्थरबाजों के साथ अपने साथ कुछ गुंडे लेकर पिस्टल लेकर सड़क पर निकल आया। इसकी पहचान शाहरूख के रूप में हुई है। फिलहाल उसे दिल्ली पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया है।
लोगों ने कैमरे की आंखों से टीवी चैनलों पर देखा कि पिस्टल लेकर सड़क पर उतरे इस आतंकी ने आठ राउंड फायरिंग की। इसी दौरान ड्यूटी पर मौजूद एक पुलिसकर्मी पर भी उसने पिस्टल तान दी और पुलिसकर्मी को धक्का देकर फायरिंग करते हुए वापस भीड़ में गुम हो गया। एटूजैड न्यूज को मिली सूचना के मुताबिक उत्तर पूर्वी दिल्ली के कई मुस्लिम बहुल इलाकों में हिंदू लड़कियों और महिलाओं के साथ भी अभद्रता की गई।
इसके बाद दूसरे वर्ग के बहुल वाले इलाकों में भी ‘जय श्रीराम’ के नारे गूंजने लगे। सोमवार देर रात तक खजूरी, भजनपुरा और करावल नगर इलाके में लोग सड़कों पर खड़े रहे। यही सिलसिला मंगलवार 25 फरवरी की सुबह से शुरू हो गया। मौजपुर में एक बार फिर सीएए विरोधियों ने पत्थरबाजी शुरू कर दी। इसके जवाब में दूसरी ओर से पत्थरबाजी की गई। कई दोपहिया वाहनों में आग लगा दी गई। कांग्रेस, आम आदमी पार्टी और दूसरे विपक्षी दल यदि सीएए विरोधियों के गैरकानूनी आंदोलन को शह नहीं देते तो हालात खराब नहीं होते।
पुलिस बल तैनात, धारा 144 लागू
उत्तर पूर्वी दिल्ली के हिंसा प्रभावित इलाकों में शांति व्यवस्था कायम करने के लिए अर्ध सैनिक बलों की 45 टुकड़ियां तैनात की गई हैं। पूरे इलाके में एक माह के लिए धारा 144 लागू की गई है। दिल्ली पुंलिस की स्पेशल सेल, अपराधा शाखा और आर्थिक अपराध शाखा के अधिकारियों को भी शांति व्यवस्था कायम करने के लिए लगाया गया है।
नेताओं के बयानों ने किया आग में घी डालने का काम
सीएए के विरोध को हिंसा और उपद्रव में बदलने का काम विपक्षी नेताओं के बयानों ने किया। शाहीन बाग में ही गैरकानूनी रूप से दिए जा रहे धरने और फैलाई गई हिंसा को सही ढंग से काबू कर लिया गया होता तो उत्तर पूर्वी दिल्ली इलाके का यह हाल नहीं होता। विधानसभा चुनाव के दौरान दिल्ली के उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने खुलकर शाहीनबाग में चल रहे आंदोलन का समर्थन किया था। ओखला से आप विधायक अमानतुल्ला खान पर हिंसा भड़काने का आरोप लगा था।
राहुल और प्रियंका ने किया समर्थन
कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी और पार्टी महासचिव प्रियंका गांधी ने भी सीएए के विरोध में दिल्ली के विभिन्न इलाकों में सड़कों को रोककर बैठे लोगों का समर्थन किया। इसकी वजह से सड़क घेरकर बैठने वालों का हौसला बढ़ता गया। शाहीनबाग से शुरू हुआ सिलसिला जाफराबाद और दिल्ली के दूसरे इलाकों में पहुंच गया। उन्होंने 30 दिसंबर को टृवीट करके सीएए विरोधियों का समर्थन किया था और पार्टी कार्यकर्ताओं से अपील की थी कि उनकी मदद करें।
शरद यादव ने लिया पत्थरबाजों का पक्ष
जेडीयू के पूर्व नेता शरद यादव ने भी सीएए विरोधियों द्वारा सड़कों पर उतर कर पत्थरबाजी करने का समर्थन किया। खास बात यह कि शरद यादव ने दंगा भड़काने का आरोप भी बीजेपी पर लगा दिया। उन्होंने कहा कि बीजेपी के लोग दिल्ली में हिंसा कर रहे हैं।
फिल्मी हस्तियां भी जिम्मेदार
सीएए के नाम पर सड़कों पर बैठकर रास्ता रोकने पत्थरबाजी व गोलीवारी से माहौल खराब कराने में िफल्मी हस्तियों की भागीदारी भी रही है। शाहीनबाग में रास्ता रोककर बैठी मुस्लिम महिलाओं के बीच जाकर फिल्मी हस्तियों ने इसे महिमा मंडित नहीं किया होता तो उत्तर पूर्वी दिल्ली की हिंसा में लोगों की जान नहीं जाती। 250 से ज्यादा लोग घायल नहीं हुए होते। क्योंकि फिर आतताइयों के हौसले ही नहीं बढ़े होते।