भंग होने की ओर बढ़ रही दिल्ली की AAP सरकार… आला अधिकारियों के साथ सीधी भिड़ंत की ओर बढ़ रहे केजरीवाल!

-याचिका समिति के जरिये दिल्ली सरकार के आला अधिकारियों पर लगाये गंभीर आरोप
-एलजी के बहाने साधा चीफ सैक्रेट्री सहित कई वरिष्ठ अधिकारियों पर निशाना

हीरेन्द्र सिंह राठौड़/ 20 जनवरी, 2023।
आने वाले दिनों में दिल्ली की आम आदमी पार्टी (आप) सरकार को भंग किया जा सकता है। इसकी तैयारी खुद केजरीवाल सरकार ने शुरू कर दी है। दिल्ली के मुख्यमंत्री (CM) और सरकार के आला अधिकारी आमने-सामने की स्थिति में आ गये हैं। आप (AAP) नेतृत्व ने एलजी को निशाना बनाने के लिए अपनी ही सरकार के चीफ सैक्रेट्री सहित कई वरिष्ठ अधिकारियों के ऊपर निशाना साधा है। इसके पश्चात सरकार और अधिकारियों के बीच घमासान तेज होना मुनासिब है और इसका असर दिल्ली सरकार के कामकाज पर पड़ना लाजिमी है।
दरअसल गुरूवार 19 जनवरी को दिल्ली सरकार की याचिका समिति की रिपोर्ट विधानसभा के पटल पर रखी गई। इस रिपोर्ट में आरोप लगाया गया है कि दिल्ली के उपराज्यपाल (LG) ने दिल्ली नगर निगम चुनाव से पूर्व चीफ सैक्रेट्री (Chief Secretary) के जरिये बुजुर्गों, विधवाओं और अन्य लोगों को मिलने वाली पेंशन व मोहल्ला क्लीनिकों का फंड रूकवा दिया। दिल्ली सरकार के द्वारा करीब 4 लाख 10 हजार लोगों को पेंशन दी जाती है।
याचिका समिति की रिपोर्ट के जरिये आप (AAP) विधायक सौरभ भारद्वाज एवं अखिलेश पति त्रिपाठी के जरिये चीफ सैक्रेट्री नरेश कुमार, हैल्थ सैक्रेट्री आमित सिंगला, प्रिंसिपल सैक्रेट्री आशीष चंद्र वर्मा व पूजा जोशी पर निशाना साधा है। समिति की रिपोर्ट में इन अधिकारियों को दोषी करार दिया गया है और इसके लिए ‘गोपनीय क्लॉज’ का सहारा लिया गया है। रिपोर्ट में उपराज्यपाल की भूमिका को भी संदिग्ध बताया गया है।
सियासी जानकारों का कहना है कि किसी भी सरकार के कामकाज में विधायिका और कार्यपालिका की बराबर की हिस्सेदारी होती है। विधायिका का काम नीति निर्धारण एवं कार्य योजना तैयार करना है और कार्यपालिका का काम उस नीति और कार्य योजनाओं को अमली जामा पहनाना है। लेकिन दिल्ली में विधायिका और कार्यपालिका के बीच टकराव शुरू हो गया है। इसके लिए पूरी तरह से केजरीवाल सरकार के मंत्री और नेता जिम्मेदार नजर आ रहे हैं।
भंग हो सकती है केजरीवाल सरकार
कानूनविदों का कहना है कि यदि दिल्ली सरकार में शामिल नेताओं और अधिकारियों के बीच टकराव और बढ़ता है (जिसका बढ़ना तय माना जा रहा है) तो ऐसी स्थिति आ सकती है कि राज्यपाल केंद्र सरकार को कार्यपालिका और विधायिका के बीच टकराव की रिपोर्ट भेज दें। ऐसे में केंद्र सरकार तमाम परिस्थितियों को हवाला देते हुए भंग कर सकती है। कारण है कि जिस तरह से मुख्यमंत्री केजरीवाल ने अपने विधायकों के द्वारा पीछे के रास्ते से उपराज्यपाल को निशाना बनाने के लिए अपनी ही सरकार के आला अधिकारियों को बलि का बकरा बनाने की कोशिश की है, उससे इस तरह की परिस्थितियां आना तय माना जा रहा है।