दिल्ली पुलिस ने 100 वें दिन खाली कराया शाहीन बाग

-दिल्ली पुलिस की कार्रवाई, कोरोना के चलते खाली कराया प्रदर्शन स्थल
-10 से 12 प्रदर्शनकारी पुलिस की हिरासत में, कानूनी कार्रवाई की तैयारी

टीम एटूजैड/ नई दिल्ली
दिल्ली पुलिस ने शाहीन बाग में बड़ी कार्रवाई की है। नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) के खिलाफ धरने पर बैठे लोगों को 100 वें दिन धरना स्थल से हटा दिया गया। दिल्ली पुलिस ने यह कार्रवाई मंगलवार 24 मार्च को सुबह 7 बजे शुरू की। जॉइंट कमिश्नर देवेश श्रीवास्तव इस मौके पर खुद मौजूद रहे। पुलिस ने प्रदर्शन के दौरान लगाए गए टेंट और बाकी सामान को भी हटा दिया गया है। दूसरी ओर कोरोना के डर और प्रशासन की सख्ती के बाद लखनऊ के घंटाघर और मुंबई के मोरलेंड रोड को प्रदर्शनकारियों ने खुद ही खाली कर दिया है।
जिस समय दिल्ली पुलिस और सुरक्षा बलों के जवान धरना स्थल को खाली कराने के लिए शाहीनबाग पहुंचे, उस समय वहां दो-तीन महिलाएं ही धरने पर बैठी थीं। इलाके में पुलिस की सक्रियता देखकर कुछ असामाजिक तत्व धरना स्थल पर पहुंच गए और पुलिस की कार्रवाई का विरोध करने लगे। लेकिन दिल्ली पुलिस ने पहले कानून के मुताबिक उन्हें चेतावनी दी और नहीं मानने पर उन्हें काबू करते हुए धरना स्थल से हटा दिया। विरोध कर रहे 10-12 लोगों को पुलिस ने तुरंत हिरासत में ले लिया।
दिल्ली पुलिस के जॉइंट कमिश्नर देवेश श्रीवास्तव ने बताया कि शाहीन बाग में चल रहे प्रदर्शन वाली जगह से लोगों को हटा दिया गया है। आने-जाने के लिए रास्ते को खाली कराया गया है। उन्होंने कहा कि इस कार्रवाई के लिए बड़ी संख्या में पुलिस फोर्स बुलाई गई थी। हमने प्रदर्शन कर रहे लोगों से अपील की थी कि कोरोना वायरस के चलते लागू लॉकडाउन की वजह से यहां से हट जाएं। लेकिन उन्होंने इंकार कर दिया। इसके बाद पुलिस ने कार्रवाई करते हुए उन्हें हटा दिया है। पुलिस अधिकारी ने बताया कि 10 से 12 लोगों ने पुलिस कार्रवाई का विरोध किया था, अतः उन्हें हमने हिरासत में ले लिया है और उनके खिलाफ कानूनी कार्रवाई की तैयारी की जा रही है।
इससे पहले पुलिस-प्रशासन की ओर से शाहीन बाग में लोगों से 31 मार्च तक प्रदर्शन स्थल से दूर रहने और घर में बैठकर सोशल मीडिया के माध्यम से अपनी मुहिम को जारी रखने की अपील की गई थी। लोगों को सलाह दी गई थी कि वह मंच, प्रदर्शनस्थल के आसपास एकत्रित न हों और कोरोना से बचाव के लिए हर संभव कदम उठाएं।
दो गुटों में बंटे शाहीनबाग के प्रदर्शनकारी
बता दें कि कोरोना के कहर और दूसरी समस्याओं के चलते शाहीनबाग के प्रदर्शनकारी दो गुटों में बंट गए थे। प्रदर्शनकारियों का एक गुट चाहता था कि जनता कर्फ्यू का समर्थन करते हुए शाहीनबाग का धरना खत्म कर दिया जाए। जबकि दूसरा गुट इस धरने को जारी रखने पर अड़ा था। दोनों गुटों के नेताओं में जनता कर्फ्यू का समर्थन करने या नहीं करने को लेकर शनिवार की रात को झड़प भी हो गई थी। इसके बाद रविवार को शाहीनबाग में किसी अज्ञात शख्स ने हमला कर दिया था। वह शख्स शाहीनबाग में पेट्रोल बम फेंककर फरार हो गया था। मामले की सूचना के बाद मौके पर पहुंची पुलिस ने केस दर्ज कर इसकी जांच शुरू कर दी है।
शाहीनबाग के पीएफआई कनेक्शन के बाद कमजोर पड़ा धरना
सूत्रों का कहना है कि धरना पूरी तरह से प्रायोजित था। धरने पर बैठने वालों को नकद भुगतान करने की खबरें धरने के दौरान आती रही थीं। दिल्ली में विधानसभा चुनाव खत्म होने के बाद से धरने पर बैठे लोगों की संख्या लगातार कम होने लगी थी। इसी बीच पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया का शाहीनबाग कनेकशन सामने आया था। इसमें यह बात भी सामने आई थी कि शाहीनबाग के धरने के लिए फंडिंग की गई थी। दिल्ली दंगों के बाद दिल्ली पुलिस की क्राइम ब्रांच ने पीएफआई के दिल्ली के अध्यक्ष और सचिव को गिरफ्तार किया था। मामले की जांच जारी है। सूत्रों का कहना है कि शाहीनबाग में धरने पर बैठने वालों को अब आर्थिक भुगतान बंद होने से यहां धरने पर बैठने वालों की संख्या तीन से 10 के बीच ही रह गई थी।
रैन-बसेरा बनकर रह गया था शाहीनबाग
सूत्र बताते हैं कि विभिन्न संगठनों की ओर से आर्थिक मदद रूक जाने के बाद शाहीनबाग का धरना स्थल वीरान होने लगा था। पिछले 15 दिन से यहां केवल दो से 10 महिलाएं ही दिन के समय धरने पर बैठ रहे थे। लेकिन रात के समय यहां सोने वालों की संख्या कुछ बढ़ जाती थी। बताया जा रहा है कि शाहीनबाग का धरना स्थल अब केवल रैन-बसेरा बनकर रह गया था। जिन लोगों के पास रात के समय सोने का ठिकाना नहीं था, उनको यहां सोने के लिए जगह दी जा रही थी। यहां धरने पर आने वालों के लिए खाने की व्यवस्था भी की जा रही थी। दरअसल धरने के ठेकेदार अपनी धमक बनाए रखने और कुछ दूसरे संगठनों से धरने के लिए वसूली करने के लिए इस धरने को आगे तक चलाए रखना चाहते थे। लेकिन राजधानी में धारा 144 लगने के बाद दिल्ली पुलिस ने उनके मंसूबों पर पानी फेर दिया।
खाली हुआ लखनऊ का  घंटाघर
उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ का घंटाघर इलाका भी सीएए विरोधियों से खाली करा लिया गया है। यहां पिछले 66 दिनों से सैकड़ों महिलाएं सीएए, एनआरसी और एनपीआर के खिलाफ धरने पर बैठी थीं। कोरोना के चलते लॉकडाउन और साशन और प्रशासन की सख्ती के चलते यह धरना वापस ले लिया गया। हालांकि महिलाओं ने अपने पत्र में लिखा है कि कोरोना खत्म होने पर प्रदर्शन फिर से शुरू किया जाएगा। महिलाओं ने सांकेतिक तौर पर अपने दुपट्टे घंटाघर पर ही छोड़ दिए। रविवार की रात को ही प्रदर्शनकारियों ने यह जगह खाली कर दी थी। सोमवार 23 मार्च की सुबह पुलिस-प्रशासन ने घंटाघर और आसपास के इलाके की सफाई करा दी है।