एआईएमआईएम के नेता असदुद्दीन ओवैसी ने भाजपा की जीत पर देश को हिंदुत्व से खतरा बताया है। उन्होंने कहा कि मोदी की प्रचंड जीत के पीछे का कारण भाजपा द्वारा राष्ट्रवाद को भुनाना और हिंदुत्व कार्ड खेलना रहा। उन्होंने यह भी कहा कि भाजपा ने ईवीएम नही हिंदू दिमाग के साथ हेराफेरी की। इस चुनाव में जात-पात और धर्म का मुद्दा अहम साबित हुआ। गेरूआ नकाब पहनकर पीएम मोदी ने हिंदू वोटरों को भरमाया। ओवैसी ने कहा कि देष को हिंदुत्ववाद से खतरा है।
वह असदुद्दीन ओवैसी प्रधानमंत्री मोदी को ज्ञान दे रहे हैं, जिनकी पूरी सियासत ही मुस्लिम वोट बैंक की भड़काऊ राजनीति पर टिकी है। ओवैसी जहां जाते हैं वहां केवल मुस्लिम वोट बैंक को ध्यान में रखकर बात करते हैं। यह इस बात का उदाहरण है कि देश के केवल उन्हीं हिस्सों में ओवैसी ने अपने उम्मीदवार उतारे हैं जहां पहले से ही मुस्लिम मतदाता बहुसंख्यक हैं। आवैसी की मुस्लिम परस्ती इस बात से भी साफ झलकती है कि उन्होंने कभी किसी हिंदू नेता को अपनी पार्टी के टिकट पर चुनाव मैदान में नहीं उतारा। जबकि भाजपा में कई बड़े मुस्लिम नेता हैं और पार्टी अपने शुरूआती समय से चुनाव मैदान में उतारती रही है। दिल्ली से सांसद रहे सिकंदर बख्त इस बात के पुराने और नकवी व शाहनवाज हुसैन ताजा उदाहरण हैं। जबकि देष को हिंदुत्ववाद से खतरा बताने वाले आवैसी की पार्टी में एक भी हिंदू नेता या पदाधिकारी नहीं है।
ओवैसी के इस बयान ने खुद साबित कर दिया है कि वह देश में केवल हिंदू विरोध की राजनीति कर रहे हैं। इससे पहले भी ओवैसी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर कई तरह के आरोप लगाते रहे हैं। लेकिन 2019 के लोकसभा चुनाव ने साबित कर दिया है कि पीएम मोदी पाक साफ हैं और देश की जनता उन्हें भरपूर चाहती है। ओवैसी ने विपक्षी दलों पर भी आरोप लगाया है कि वह ईवीएम पर चीख-पुकार करते रहे, लेकिन उन्होंने भाजपा को रोकने की कोशिश नहीं की।
आष्चर्य की बात है कि ओवैसी को राष्ट्रवाद कोई मुद्दा ही नजर नहीं आता। उनकी नजर में देशभक्ति की कोई कीमत नहीं है। देश की सीमाओं पर अपना जीवन कुरबान करने वाले जवानों की शहादत से उन्हें कोई लेना-देना नहीं है। आवैसी की नजर में आंतरिक आतंकवाद से जूझने वाले सुरक्षा बलों के जवानों के योगदान का कोई महत्व नहीं है। सीमापार से देश में आने वाले आतंकवाद से उन्हें कोई वास्ता नहीं है। यदि ऐसा है तो देशवासियों को भी ओवैसी जैसे खुदपरस्त लोगों से काई वास्ता नहीं है। वह देश के मुसलमानों को चाहे जितना भड़काने की कोशिश करें, यहां के मुस्लिमों पर उनकी बातों का कोई असर नहीं होने वाला।
वास्तविकता यह है कि ज्यादातर विपक्षी दलों, देश विरोधी ताकतों और टुकड़ा-टुकड़ा गैंग के एकजुट हो जाने के बावजूद, आवैसी द्वारा टुकड़ा गैंग के कन्हैया कुमार का प्रचार करने के बावजूद देश के मतदाताओं ने जाति और धर्म की सीमाओं को तोड़कर राष्ट्रवाद के नाम पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को वोट दिया है। यदि ओवैसी की भाषा में राष्ट्रवाद को हिंदुत्ववाद कहते हैं तो देष को ऐसा हिंदुत्ववाद ही स्वीकार है। ओवैसी का वह मुस्लिमवाद स्वीकार नहीं जिसमें देश-विरोध और राष्ट्रद्रोह की झलक साफ दिखाई देती हो। यदि ओवैसी मुस्लिमों के इतने ही बड़े हितैषी होते तो अब तक भारत के सारे मुस्लिम उनका नेतृत्व स्वीकार कर चुके होते। भारत माता को अपने मुस्लिम सपूतों पर भी नाज है और हिंदुओं पर भी। देश को रक्षा के क्षेत्र में महान बनाने वाले अब्दुल कलाम और वीर असफाकुल्ला खान जैसे मुसलमानों को कोई भुला नहीं सकता। आवैसी जैसे लोगों को अपने बयान सोच समझकर देने चाहिए, क्योंकि यह नए दौर का भारत है, न डरेगा और न पीछे हटेगा। यह राष्ट्रद्रोहियों को घर में घुसकर मारेगा। सीमा के पार भी और सीमा के अंदर भी।
-हीरेन्द्र राठौड़, वरिष्ठ पत्रकार