कांग्रेस को आसः खत्म होगी अध्यक्ष की तलाश!

-अध्यक्ष नहीं रहना चाहते, इस्तीफे पर अड़े राहुल गांधी!
– कार्यकारी अध्यक्ष बनाकर चलेगा पार्टी का काम!
-कशमकश में कांग्रेसी नेता, अटका पार्टी का काम

संजीव अरोड़ा / नई दिल्ली
नेतृत्व की समस्या से जूझ रही कांग्रेस को अध्यक्ष की तलाष है। पर्टी में अंदरूनी विरोधाभास खत्म होने का नाम नहीं ले रहे। हालांकि अब जल्दी ही अध्यक्ष के लिए नेता की तलाश खत्म होने की उम्मीद जगी है और आने वाले दिनों में पार्टी को कार्यकारी अध्यक्ष मिल जाएगा। फिलहाल पार्टी में ज्यादातर काम रूके पड़े हैं और पार्टी प्रवक्ता भी ज्यादातर मामलों पर चुप्पी साधे हुए हैं। पार्टी की सभी प्रदेश इकाईयां भंग कर दी गई हैं। लेकिन संगठन के पुनर्गठन के लिए पार्टी को नए अध्यक्ष का इंतजार है। 25 जून की कांग्रेस कार्यसमिति की बैठक में एक बार फिर कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने अपने इस्तीफे की पेशकश की और पार्टी के अंदर गांधी परिवार से बाहर से किसी को अध्यक्ष बनाने की सिफारिश की।
पार्टी में अध्यक्ष पद के लिए दलित नेता मल्लिकार्जुन खड़गे, सुशील कुमार शिंदे, राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत, पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह और युवा चेहरों में राजस्थान के उपमुख्यमंत्री सचिन पायलट और मध्य प्रदेष के नेता ज्योतिरादित्य सिंधिया के नाम चर्चा में हैं। लेकिन खुले तौर पर पार्टी के अंदर किसी भी प्रमुख मंच पर कोई भी नेता गांधी परिवार के बाहर के किसी भी व्यक्ति का नाम लेकर गांधी परिवार की बुराई नहीं लेना चाहता। माना जा रहा है कि अब जल्दी ही इस बात का खुलासा हो जाएगा कि आने वाले दिनों में कांग्रेस पार्टी की कमान राहुल गांधी ही संभालेंगे या फिर कोई बाहर से पार्टी का अध्यक्ष बनाया जाएगा।
पार्टी के अंदर से ही यह सुझाव भी दिए जा रहे हैं कि अध्यक्ष राहुल गांधी ही बने रहें और उनके सहयोग के लिए दो या तीन कार्यकारी अध्यक्षों की नियुक्ति कर दी जाए। एक सुझाव यह भी दिया गया है कि यदि राहुल गांधी अध्यक्ष नहीं बने रहना चाहते हैं तो उनके स्थान पर सोनिया गांधी को अध्यक्ष बनाकर उनके सहयोग के लिए दो कार्यकारी अध्यक्षों की नियुक्ति कर दी जाए।

इस्तीफे के एक माह बाद काम शुरूः
कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने फिलहाल अपने इस्तीफे के एक माह बाद काम षुरू कर दिया है। उन्होंने बैठक के लिए 26 जून को महाराष्ट्र, 27 जून को हरियाणा और 28 जून को दिल्ली की कोर कमेटी के कांग्रेस नेताओं की बुलाकर बातचीत की। बताया जा रहा है कि तीनों राज्यों में आने वाले दिनों में होने वाले विधानसभा चुनाव के मद्देनजर यह बैठकें बुलाई गई थीं। हालांकि अभी राहुल गांधी की ओर से अपने इस्तीफे के बारे में कुछ स्पष्ट नहीं किया गया है।

कई राज्यों में होने हैं विधानसभा चुनावः
बता दें कि इस साल के अंत में और अगले साल की शुरूआत में महाराष्ट्र, हरियाणा, दिल्ली, झारखंड और जम्मू-कश्मीर में विधानसभा चुनाव होने हैं। दूसरे दलों ने इसके लिए जोर-शोर से तैयारियां भी शुरू कर दी हैं। लेकिन कांग्रेस में अध्यक्ष पद का मामला लगातार टलने की वजह से कांग्रेस पार्टी अपना काम षुरू नहीं कर पाई है। दिल्ली इकाई ने विधानसभा चुनाव के लिए अभियान की शुरूआत की थी, लेकिन प्रदेश अध्यक्ष और प्रदेश प्रभारी के बीच तनाव और दूसरे प्रदेशों की इकाईयां भंग होने की खबरें आने के बाद दिल्ली में भी पार्टी का अभियान ठंडा पड़ता जा रहा है।

हस्ताक्षर नहीं कर रहे राहुलः
लोकसभा चुनाव के नतीजे आने के बाद हुई कांग्रेस कार्यसमिति की बैठक में राहुल गांधी ने पद छोड़ने की बात कही थी। जिसे कार्यसमिति ने सिरे से खारिज कर दिया। लेकिन राहुल अपनी बात पर अड़ गए, बाद में कांग्रेस के नेताओं ने राहुल से कहा कि, ‘आपका विकल्प नहीं’ तो भी राहुल की ओर से गांधी परिवार के बाहर से अध्यक्ष खोजने की बात की जाती रही। बाद में राहुल गांधी नए अध्यक्ष की तलाश तक के लिए अपने पद पर बने रहने के लिए मान गए थे। इस बीच राहुल गांधी ने पार्टी की नई नियुक्तियों के पत्रों पर दस्तखत करना बंद करके साफ कर दिया कि वो पद पर नहीं रहेंगे। इसीलिए नई नियुक्तियां ऑल इंडिया कांग्रेस कमेटी के अनुमोदन से होने लगीं, जबकि पहले कांग्रेस अध्यक्ष के नाम से होती थीं।

फिर से होगी मनाने की कोशिशः
अध्यक्ष पद के मामले के साफ नहीं होने की वजह से कांग्रेसी नेताओं में लगातार बेचैनी बढ़ रही है। सूत्र बताते हैं कि जल्दी ही कांग्रेस कार्यसमिति की एक और बैठक बुलाई जाएगी, इस बैठक में राहुल गांधी को एक बार और मनाने की कोशिश की जाएगी। लेकिन अगर फिर भी राहुल नहीं माने तो नई व्यवस्था पर औपचारिक बात की शुरूआत की जाएगी। हालांकि इस मामले में देरी होने की वजह से पार्टी राज्यों में लगातार कमजोर हो रही है और कांग्रेस को इसका काफी सियासी नुकसान उठाना पड़ सकता है।

दिल्ली प्रदेश कांग्रेस ने भंग की ब्लॉक कांग्रेस कमेटियांः
कांग्रेस में बड़े स्तर पर चल रही संगठनात्मक उठापटक के बीच दिल्ली प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष शीला दीक्षित ने भी दिल्ली के सभी 280 ब्लॉक कांग्रेस कमेटियों को तत्काल प्रभाव से भंग कर दिया है। उन्होंने अपने सहयोगी पदाधिकारियों के साथ कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी के साथ मुलाकात की। इसके बाद दिल्ली प्रदेश कांग्रेस कमेटी को भंग करने का आदेश जारी कर दिया। दरअसल कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने अलग अलग दिनों में महाराष्ट्र, हरियाणा और दिल्ली प्रदेश कांग्रेस कमेटियों के प्रमुख पदाधिकारियों को बैठक के लिए बुलाया था। माना जा रहा है कि बैठक में तीनों राज्यों में आने वाले दिनों में होने वाले विधानसभा चुनाव के मद्देनजर चर्चा की गई।

राहुल गांधी ही करें नेतृत्वः शीला दीक्षित
दिल्ली की पूर्व मुख्यमंत्री और प्रदेश कांग्रेस कमेटी की अध्यक्षा शीला दीक्षित ने शुक्रवार 28 जून को कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी से मुलाकात की। मुलाकात के बाद उन्होंने कहा कि कि राहुल गांधी को ही पार्टी का नेतृत्व करना चाहिए। दूसरी ओर पार्टी के प्रदेश कार्यकारी अध्यक्ष राजेश लिलोठिया ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया है। उन्होंने अपने इस्तीफे में लिखा कि गत लोकसभा चुनाव में कांग्रेस को अनुमान के मुताबिक सीटें नहीं मिलने पर अपनी नैतिक जिम्मेदारी मानते हुए राहुल गांधी ने पार्टी के अध्यक्ष पद से इस्तीफा दे दिया है, जो मेरी दृष्टि में सर्वथा अनुचित है। यह राहुल गांधी जी की सोच और उनकी कार्यशैली का प्रभाव है कि मुझ जैसे जमीन से जुड़े कार्यकर्ता को पहले अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी का सचिव व बिहार का प्रभारी बनाया और बाद में दिल्ली प्रदेश कांग्रेस कमेटी काकार्यकारी अध्यक्ष के साथ दिल्ली के उत्तर पश्चिमी दिल्ली से लोकसभा चुनाव का प्रत्याशी बनाकर मुझमें हिम्मत भरी। यदि लोकसभा चुनाव में अपेक्षित परिणाम नहीं मिले तो यह हम सबकी सामूहिक जिम्मेदारी है। मैं अपना त्यागपत्र इस उम्मीद के साथ पार्टी को सांप रहा हूं कि हम सभी को राहुल गांधी की नैतिक निष्ठा का सम्मान करना चाहिए।