-एमपी विधानसभा में चौहान को मिला निर्विरोध विश्वास मत
-विश्वास मतः सदन में नहीं पहुंचा एक भी कांग्रेसी विधायक
टीम एटूजैड/ भोपाल
मध्य प्रदेश विधानसभा में मंगलवार को भारतीय जनता पार्टी के शिवराज सिंह चौहान विश्वास मत हासिल कर लिया। विश्वास मत हासिल करने के समय विधानसभा में एक भी कांग्रेसी विधायक नहीं पहुंचा। समाजवादी पार्टी, बहुजन समाज पार्टी और निर्दलीय विधायकों ने विश्वास मत के समर्थन में वोट दिया।
विश्वास मत हासिल करने के लिए मुख्यमंत्री शिवराज सिंह ने अपने ट्वीट में कहा कि मेरे सोशल मीडिया अकाउंट हमेशा से हर संभव मदद के लिए खुले हुए है। मैं आशा करता हूं कि लोग जिम्मेदारीपूर्ण तरीक़े से इस माध्यम का उपयोग कर मुझसे संपर्क कर सकते हैं। भारतीय जनता पार्टी के मध्य प्रदेश विधायक दल का नेता चुने जाने के बाद शिवराज सिंह चौहान को राजभवन में राज्यपाल लालजी टंडन ने सोमवार को पद और गोपनीयता की शपथ दिलाई थी।
चौथी बार राज्य के मुख्यमंत्री बने शिवराज सिंह चौहान ने कोरोना वायरस संक्रमण को लेकर मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल और जबलपुर में मंगलवार से कर्फ्यू लगाने का फैसला लिया है। उन्होंने कहा कि देर रात बल्लभ भवन में बैठा हूं जनता से सहयोग मांग रहा हूं कि आप लोग कोरोना वायरस से निपटने के लिए प्रशासन के साथ आएं और सोशल डिस्टेंसिंग बनाए रखें।
नवनिर्वाचित मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने भाजपा विधायक दल की बैठक में ही स्पष्ट कर दिया था कि पिछली सरकार की गलतियां इस प्रशासन में नहीं दोहराई जाएंगी। उन्होंने कहा कि शासन करने की शैली में परिवर्तन किया जाएगा। सब मिलकर काम करेंगे। माना जा रहा है कि पिछली सरकार में सरकार की ओर से कार्यकर्ताओं की भारी उपेक्षा की गई थी। लेकिन अब शिवराज सिंह पिछली गलतियां नहीं दोहराएंगे।
शिवराज सिंह ने विधायकों की नाराजगी को दूर करने की बात भी कही। गौरतलब है कि शिवराज सिंह के तीसरे कार्यकाल में विधायकों के बीच नाराजगी रही थी। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की समन्वय बैठकों में भी विधायकों ने तत्कालीन सरकार पर कई बार ब्यूरोक्रेसी के हावी होने का आरोप लगाया था।
चौथी बार मुख्यमंत्री बनने का रिकॉर्ड
शिवराज सिंह चौहान के एक बार फिर से मध्य प्रदेश का मुख्यमंत्री बनते ही उनके नाम एक नया रिकॉर्ड जुड़ गया है। वह ऐसे पहले मुख्यमंत्री हैं, जो चौथी बार इस राज्य के मुख्यमुत्री बने हैं। इससे पहले शिवराज सिंह चौहान तीसरी बार मुख्यमंत्री बने थे। शिवराज सिंह से पहले अर्जुन सिंह और श्यामाचरण शुक्ल तीन-तीन बार मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री रह चुके हैं।
जब पहली बार मुख्यमंत्री बने शिवराज
शिवराज सिंह चौहान 29 नवंबर 2005 को बाबूलाल गौर के स्थान पर मध्य प्रदेश के पहली बार मुख्यमंत्री बने थे। 61 वर्षीय शिवराज सिंह चौहान का जन्म 5 मार्च 1959 को सीहोर जिले के जैत गांव में हुआ था। शिवराज के पिता का नाम प्रेम सिंह चौहान और माता का नाम सुंदर बाई है। उनके पिता किसान थे।
शिवराज सिंह चौहान किरार राजपूत समुदाय से संबंध रखते हैं। उन्होंने कक्षा चौथी तक की पढ़ाई गांव में ही की थी। इसके बाद वह आगे की पढ़ाई के लिए भोपाल आ गए थे। यहां उन्होंने मॉडल हायर सेकेंडरी स्कूल में दाखिला लिया। यहीं पढ़ाई करते हुए शिवराज सिंह चौहान साल 1975 में छात्र संघ के अध्यक्ष चुने गए थे।
उच्चतर शिक्षा के लिए शिवराज सिंह ने भोपाल के बरकतुल्लाह विश्वविद्यालय में प्रवेश लिया और दर्शनशास्त्र में परास्नातक की पढ़ाई पूरी की। शिवराज बरकतुल्लाह विश्वविद्यालय के गोल्ड मेडलिस्ट रह चुके हैं। अब शिवरा िंसंह के नाम मध्य प्रदेश का सबसे ज्यादा बार मुख्यमंत्री बनने का रिकॉर्ड भी हो गया है।
आपात काल में गए थे जेल
एक किसान के बेटे शिवराज सिंह चौहान ने कांग्रेस सरकार में लगाए गए आपात काल का विरोध किया था। इस दौरान वह साल 1976-77 में जेल भी गए। शिवराज सिंह चौहान जब महज 13 साल के थे तब साल 1972 में वह राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ (आरएसएस) से जुड़ गए थे। इसके साथ ही वह जन सामान्य के मुद्दों से भी जुड़े रहे।
दत्तक बेटी की मौत पर पहुंचे थे शिवराज
18 जुलाई 2019 को शिवराज सिंह चौहान की दत्तक पुत्री भारती की असमय मृत्यु हो गई थी। बेटी की मौत की खबर लगने के बाद शिवराज की पत्नी साधना सिंह बेटे कार्तिकेय के साथ तुरंत भोपाल से विदिशा पहुंच गईं थीं। अगले दिन 19 जुलाई को शिवराज भी विदिशा अपने दामाद और बेटी के परिजनों से मिलने विदिशा गए थे। परिवार को सांत्वना देते समय शिवराज की आंखे भर आई थीं। भारती की 1 मई 2018 को शादी हुई थी। शिवराज सिंह ने पत्नी साधना के साथ भारती का कन्यादान किया था। पिछले साल 25 मई को शिवराज सिंह चौहान के 82 वर्षीय पिता प्रेम सिंह का भी निधन हो गया था।
शिवराज पर लगे भ्रष्टाचार के आरोप
मुख्यमंत्री बनने के बाद शिवराज सिंह चौहान पर सबसे पहला आरोप डंपर खरीद का लगा था। आरोप था कि उनकी पत्नी साधना सिंह के नाम पर कथित तौर पर चार डंपर खरीदे गए थे। जो फाइनेंस कराकर सीमेंट कंपनी में लगाए गए थे। इस मामले में शिवराज को कोर्ट से क्लीन चिट मिल गई थी। इसके बाद व्यापमं घोटाले में भी शिवराज सिंह चौहान का नाम आया था। दूसरी तरफ शिवराज पर खनिज माफ़िया को कथित तौर पर संरक्षण देने के आरोप भी लग चुके हैं।
5 बार सांसद रहे फिर मुख्यमंत्री बने
प्रदेश का मुख्यमंत्री बनने से पहले शिवराज सिंह चौळान पांच बार सांसद रहे हैं। पहली बार अटल बिहारी वाजपेयी के विदिशा सीट छोड़ने पर 10वीं लोकसभा के लिए (1991) में, 11वीं लोकसभा (1996) में शिवराज विदिशा से दोबारा सांसद चुने गए। 12वीं लोकसभा के लिए 1998 में विदिशा क्षेत्र से ही वे तीसरी बार, 1999 में 13वीं लोकसभा के लिए चौथी बार और 15वीं लोकसभा के लिए विदिशा से ही पांचवी बार सांसद चुने गए थे। उनसे पहले अर्जुन सिंह और श्यामाचरण शुक्ल तीन-तीन बार मुख्यमंत्री रह चुके हैं।
बुधनी से 5वीं बार विधायक चुने गए
शिवराज सिंह चौहान 2005 में सीहोर के बुधनी विधानसभा क्षेत्र से विधायक चुने गए थे। इसके बाद यहीं से 2008, 2013 और 2018 में विधायक चुने गए। वह 2003 के विधानसभा चुनाव में राघौगढ़ से दिग्विजय सिंह के खिलाफ चुनाव लड़े थे, लेकिन हार गए थे। ये शिवराज के राजनीतिक जीवन की पहली हार हुई थी। इसके पहले 1990 में बुधनी से ही विधानसभा चुनाव जीत चुके हैं।