-स्टेंडिंग कमेटी के एक सदस्य के चुनाव का कांग्रेस ने किया बहिष्कार तो आप पार्षद भी रहे गैरहाजिर
-बीजेपी के पार्षदों की मौजूदगी में एकतरफा मतदान में बीजेपी उम्मीदवार की शून्य के मुकाबले 115 से जीत
एसएस ब्यूरो/ नई दिल्लीः 26 सितंबर।
दिल्ली नगर निगम (MCD) में आम आदमी पार्टी (AAP) के 125 निगम पार्षदों पर भारतीय जनता पार्टी (BJP) के 115 निगम पार्षद भारी पड़े। शुक्रवार को सदन की बैठक में स्टेंडिंग कमेटी (Standing Committee) की एक खाली सीट पर हुए चुनाव में बीजेपी के उम्मीदवार सुंदर सिंह (Sunder Singh) ने शून्य के मुकाबले 115 वोट से जीत हासिल की। अब 18 सदस्यों वाली स्टेंडिंग कमेटी में बीजेपी के 10 और आम आदमी पार्टी के 8 सदस्य हो गये हैं। ऐसे में निगम की स्टैंडिंग कमेटी पर बीजेपी का कब्जा होना तय माना जा रहा है। बताया जा रहा है कि अक्टूबर महीने में ही स्टेंडिंग कमेटी के चेयरमैनप और डिप्टी चेयरमैन के चुनाव कराये जा सकते हैं। जिसमें दोनों पदों पर बीजेपी की जीत पक्की मानी जा रही है।
स्टेंडिंग कमेटी के एक खाली पद पर शुक्रवार को हुए चुनाव में आम आदमी पार्टी के निगम पार्षद शामिल नहीं हुए। जबकि कांग्रेस ने इस चुनाव के बहिष्कार की पहले ही घोषणा कर दी थी। दिल्ली नगर निगम के इतिहास में यह पहला मौका है जब किसी चुनाव में केवल एक ही दल के पार्षद मौजूद रहे और मत पत्रों के द्वारा चुनाव संपन्न करवाने के बाद परिणामों की घोषणा की गई हो।
गौरतलब है कि शुक्रवार को संपन्न हुई इस चुनावी प्रक्रिया के दौरान बीजेपी के टिकट पर चुनकर आये और चुनाव के बाद बीजेपी में शामिल हुए कुल 115 निगम पार्षद शामिल हुए। इसकी वजह से प्राथमिकता के आधार पर डाले गये वोटों के आधार पर सुंदर सिंह तंवर को सभी 115 वोट मिले। माना जा रहा है कि यदि आम आदमी पार्टी चुनाव में हिस्सा लेती तो उसके पास 125 वोट का आंकड़ा होता। ऐसी स्थित में आप उम्मीदवार निर्मला कुमारी को जीत हासिल हो सकती थी।
बता दें कि दिल्ली नगर निगम में कुल 250 वार्ड हैं। इनमें से सोरे जोड़-तोड़ के बाद बीजेपी के पास कुल 115 निगम पार्षद हैं, जबकि कांग्रेस के पास 9 निगम पार्षद हैं। एक सीट बीजेपी की नेता कमलजीत सहरावत के सांसद चुने जाने की वजह से अभी खाली है। इस तरह से यह आंकड़ा कुल मिलाकर 125 बैठता है। जबकि आम आदमी पार्टी के द्वारा चुनाव में शामिल नहीं होने के निर्णय के चलते उसके 125 निगम पार्षद शुक्रवार को हुए चुनाव में शामिल नहीं हुए। ऐसे में वोटों की संख्या के आधार पर सदन में आप का पलड़ा भारी था।
मोबाइल के मुद्दे पर गंवाई AAP ने अपनी जीत
बता दें कि महापौर शैली ओबरॉय और आम आदमी पार्टी की ओर से काफी ना-नुकुर के बाद स्टेंडिंग कमेटी के एक सदस्य के चुनाव के लिए 26 सितंबर की तारीख तय की गई थी। परंतु निगम आयुक्त की ओर से मतदान के दौरान सभी पार्षदों को अपने मोबाइल सदन की बैठक में लाने पर रोक लगा दी थी। इसी को आप ने मुद्दा बनाकर मेयर शैली ओबरॉय ने सदन की बठक को स्थगित करते हुए चुनाव के लिए 5 अक्टूबर की तारीख की घोषणा की थी।
मेयर के इस निर्णय पर उपराज्यपाल ने संज्ञान लेते हुए चुनाव को 27 सिंतबर को दोपहर 1 बजे कराने का आदेश जारी किया था। इसके साथ ही मेयर या डिप्टी मेयर के द्वारा इस चुनावी बैठक की अध्यक्षता से मना करने अथवा अनुपस्थित रहने पर एडीशनल कमिश्नर को चुनाव प्रक्रिया के कार्यक्रम की अध्यक्षता के लिए मनोनीत कर दिया था। इसी के आधार पर शुक्रवार को स्टेंडिंग कमेटी के एक सदस्य का चुनाव कराया गया। जिसमें आप पार्षदों के अनुपस्थित रहने पर स्टेंडिंग कमेटी के एक सदस्य के चुनाव में हार का मुंह देखना पड़ा।
विधानसभा चुनाव में ‘सेंपैथी’ भुनाने की रणनीति
बताया जा रहा है कि आम आदमी पार्टी नगर निगम में अपनी इस हार को हरियाणा और दिल्ली में होने वाले विधानसभा चुनाव में ‘सेंपैथी’ के रूप में भुनाना चाहती है। हाल ही में आप छोड़कर बीजेपी में शामिल हुए सुंदर सिंह को बीजेपी स्टेंडिंग कमेटी के सदस्य के लिए अपना उम्मीदवार बनाया था। बताया यह भी जा रहा है कि सुंदर सिंह ने आम आदमी पार्टी के कुछ अन्य पार्षदों को अपने पक्ष में वोटिंग के लिए तैयार कर लिया था। यही कारण है कि आप नेता इस बात पर अड़ गये थे कि वोटिंग के दौरान निगम पार्षदों को अपने मोबाइल लेकर सदन में आने दिया जाये, ताकि वह डाले गये वोट का फोटो खींचकर अपने नेताओं को भेज सकें।
जब सदन में मोबाइल फोन ले जाने की अनुमति नहीं मिली तो चुनाव को 5 अक्टूबर तक के लिए टालने की कोशिश की गई। जब उपराज्यपाल ने हस्तक्षेप किया तो अपनी हार के डर से आप पार्षद चुनाव में शामिल नहीं हुए। सूत्रों का कहना है कि अब आम आदमी पार्टी नेतृत्व नगर निगम में हुई इस हार को जनता की ‘सेंपैथी’ पाने के लिए इस्तेमाल करेगा। फरवरी महीने में दिल्ली विधानसभा के चुनाव होने हैं। ऐसे में आप नेतृत्व का पूरा ध्यान नगर निगम के कामों सारी जिम्मेदारियां बीजेपी पर डालने के फोकस पर रहेगा।