बीजेपी ने 6577 सभाओं के जरिए मतदाताओं के दिल में उतरने की कोशिश

-पहली बार वर्तमान और निवर्तमान अध्यक्षों ने नुक्कड़ सभाओें पर दिया जोर
-21 बैठकों के जरिए भाजपा संगठन और कार्यकर्ताओं में फूंकी गई जान
-22 दिसंबर से 6 फरवरी तक चला दिल्ली भाजपा का चुनाव अभियान

टीम एटूजैड/ नई दिल्ली
दिल्ली विधानसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी ने अब तक हुए चुनावों के मुकाबले सबसे ज्यादा मेहनत की है। संगठन को चुस्त-दुरूस्त रखने के लिए पार्टी के आला पदाधिकारियों ने चुनाव प्रक्रिया के दौरान 21 बैठकें लीं। इसके साथ ही चुनाव अभियान के के तहत 22 दिसंबर 2019 से 6 फरवरी, 2020 तक बीजेपी ने 6577 सभाओं का आयोजन किया। इनमें नुक्कड़ सभाएं, रोड शो और बड़ी रैलियां शामिल हैं।
2020 के दिल्ली विधानसभा चुनाव की सबसे बड़ी विशेषता यह रही कि इस बार निवर्तमान अध्यक्ष अमित शाह और वर्तमान अध्यक्ष जगत प्रकाश नड्डा ने बड़ी रैलियों पर जोर देने के बजाय नुक्कड़ सभाओं और छोटे-छोटे रोड शो के जरिए मतदाताओं के साथ संपर्क साधने की कोशिश की। प्रचार के दौरान कई बार अमित शाह और जेपी नड्डा मतदाताओं का दरवाजा खटखटाते नजर आए।
विधानसभा चुनाव समिति के संयोजक और राष्ट्रीय मंत्री तरुण चुघ ने बताया कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने तीन बड़ी रैलियां, केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने 52 रैलियां (नुक्कड़ सभाएं), राष्ट्रीय अध्यक्ष जगत प्रकाश नड्डा ने 41 नुक्कड़ सभाएं कीं। इनके साथ ही दिल्ली विधानसभा चुनाव के लिए केंद्रीय रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने 12 रैलियां कर चुनाव प्रचार किया।
केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने 10 और उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने 12 नुक्कड़ सभाओं को संबोधित किया। केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी ने 29 नुक्कड़ सभाओं के जरिए मतदाताओं के साथ संपर्क साधा। दिल्ली भाजपा अध्यक्ष मनोज तिवारी ने भी कई रैलियों, नुक्कड़ सभाओं और रोड शो में हिस्सा लिया।
बीजेपी का मजबूत पक्ष
दिल्ली विधानसभा चुनाव में बीजेपी का सबसे मजबूत पक्ष यही रहा कि पार्टी के बड़े नेताओं ने बड़ी रैलियां करने के बजाय अलग अलग इलाकों में जाकर नुक्कड़ सभाओं के जरिए मतदाताओं से सीधे संपर्क साधने की कोशिश की है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की बड़ी रैलियों के अलावा पार्टी के ज्यादातर स्टार प्रचारकों ने छोटी जनसभाओं के जरिए लोगों से मतदान की अपील की। इससे उम्मीदवारों को रैलियों में भीड़ जुटाने के बजाय अपने चुनाव प्रचार पर ज्यादा फोकस करने का समय मिला। वहीं बड़े नेताओं की नुक्कड़ सभाओं के आयोजन की वजह से पार्टी संगठन भी चुनाव पचार के अंतिम दिन तक एक्टिव रहा।
बीजेपी का कमजोर पक्ष
दिल्ली विधानसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी के कमजोर पक्ष पर यदि नजर डाली जाए तो कुछ उम्मीदवारों के चयन को कमजोर माना जा सकता है। पार्टी नेताओं के मुताबिक कई विधानसभा क्षेत्रों में नए के बजाय पुराने चेहरों पर दांव लगाना महंगा पड़ सकता है। हालांकि यह अच्छी बात है कि पार्टी ने आम आदमी पार्टी के लिए वॉकओवर के ज्यादा मौके नहीं दिए। बल्कि आम आदमी पार्टी को ज्यादातर मोर्चों पर घेरने की कोशिश की।