बीजेपीः सूची में नहीं होगा एक भी मुसलमान!

-मुस्लिम बहुल सीटों पर हिंदू उम्मीदवार उतारने की कवायद
-बीजेपी खोज रही मुस्लिम सीटों पर आम आदमी पार्टी का तोड़

हीरेन्द्र सिंह राठौड़/ नई दिल्ली/ 16.01.2020
दिल्ली विधानसभा चुनाव में उम्मीदवारों के लिए जोड़-तोड़ का गणित जारी है। बीते 22 साल से सत्ता का बनवास झेल रही भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) इस बार कोई भी मौका चूकना नहीं चाहती। बताया जा रहा है कि बीजेपी नेतृत्व अब मुस्लिम बहुल मतदाताओं वाली सीटों पर केवल हिंदू उम्मीदवारों को उतारने पर विचार कर रहा है। बीजेपी यह प्रयोग 2017 के विधानसभा चुनाव में उत्तर प्रदेश में भी कर चुकी है। तब कैराना जैसी सीटों पर भी बीजेपी ने हिंदू उम्मीदवार चुनावी मैदान में उतारे थे।
बीजेपी में मटिया महल, बल्ली मारान, सीलमपुर, मुस्तफाबाद और ओखला सीटों से कई मुस्लिम कार्यकर्ता टिकट की लाइन में हैं। बीजेपी में मुस्लिम कार्यकर्ताओं में सबसे ज्यादा संख्या सीलमपुर सीट से टिकट मांगने वालों की है। जबकि इस सीट पर आप से पत्ता साफ होने के बाद विधायक इशराक खान अपनी पार्टी के विरोध में उतर आए हैं। इसी तरह मटिया महल, बल्ली मारान और ओखला सीटों पर भी आप कार्यकर्ता अपनी पार्टी के विरोध में उतर आए हैं। बीजेपी से जुड़े उच्च पदस्थ सूत्रों का कहना है कि इस बार पार्टी के लिए यह अच्छा मौका है कि वह मुस्लिम बहुल मतदाताओं वाली सीटों पर फ्रैश और मजबूत उम्मीदवार उतारे।
दिल्ली में मटिया महल, बल्ली मारान, ओखला, सीलमपुर और मुस्तफाबाद सीटों को मुस्लिम बहुल मतदाताओं वाली सीट माना जाता है। चांदनी चौक सीट पर भी आंशिक तौर पर मुस्लिम मतदाता प्रभाव रखते हैं। इनमें से मटिया महल, ओखला ओर सीलमपुर सीटों को बीजेपी कभी नहीं जीत पाई। बीजेपी ने 2015 के विधानसभा चुनाव में मटिया महल सीट से शकील अहमद देहलवी को मैदान में उतारा था। बाकी सभी सीटों पर हिंदू उम्मीदवार ही थे। जबकि 2013 के विधानसभा चुनाव में भी बीजेपी ने मटिया महल सीट पर निजामुद्दीन एडवोकेट को टिकट दिया था। बाकी सभी सीटों पर हिंदू उम्मीदवार ही चुनाव लड़े थे।
बीजेपी के लिए इस बार मटिया महल, सीलमपुर सीटों पर आप के नए उम्मीदवारों का सामना करने की चुनौती है। जबकि बल्ली मारान व ओखला सीटों पर आप की इनकंबेंसी का फायदा उठाने और मुस्तफाबाद सीट पर अपनी इनकंबेंसी से खुद को बचाने की चुनौती है। ऐसे में पांच में से चार (मुस्तफाबाद सीट को छोड़कर) सीट पर बीजेपी के लिए आम आदमी पार्टी में मचे घमासान का फायदा उठाने का मौका है। सियासी जानकारों का कहना है कि यह फायदा तभी मिल सकता है जब बीजेपी समय रहते अपने उम्मीदवारों का ऐलान कर दे।
लोकसभा चुनाव से आप ने लिया सबक
बीते लोकसभा चुनाव से आम आदमी पार्टी ने सबक लिया है। बता देंं कि साल 2019 के लोकसभा चुनाव में सभी 70 सीटों, खास तौर पर मुस्लिम बहुल मतदाताओं वाली सीटों पर करारी हार के बाद आम आदमी पार्टी ने जबरदस्त मुस्लिम कार्ड खेला है। मटिया महल, बल्ली मारान, चांदनी चौक, सीलमपुर और ओखला सीटों पर कांग्रेस ने पहले स्थान पर रहते हुए एक तरह से जीत हासिल की थी। दूसरे स्थान पर बीजेपी और आम आदमी पार्टी तीसरे स्थान पर पहुंच गई थी। माना जा रहा है कि मुस्लिम मतदाताओं ने आप को छोड़कर कांग्रेस की ओर वापसी की थी।
दो विधायकों का आप से पत्ता साफ
आम आदमी पार्टी ने अपने दो मुस्लिम विधायकों का पत्ता साफ कर दिया है। बताया जा रहा है कि आसिम अहमद खान और हाजी इशराक को लोकसभा चुनाव में अपने विधानसभा क्षेत्र से नहीं जिता पाने की सजा दी गई है। आप ने मटिया महल से शोएब इकबाल को पार्टी में शामिल किया तो सीलमपुर से वर्तमान विधायक और मुस्तफाबाद से पूर्व प्रत्याशी को दोबारा चुनाव में नहीं उतारा है। आप से जुड़े सूत्रों का कहना है कि पार्टी ने नए चेहरे देकर अपना वोट बैंक बचाए रखने की कोशिश की है।