MCD BREAKING: एल्डरमैन की नियुक्ति पर बोली केंद्र सरकार… MCD की मालिक नहीं दिल्ली सरकार… आप सरकार को नहीं कोई अधिकार!

-सुप्रीम कोर्ट में बुधवार को भी जारी रहेगी सुनवाई
-हाई कोर्ट में रिजर्व है 6 सदस्यों के चुनाव का मामला

हीरेंद्र सिंह राठौड़/ नई दिल्लीः 16 मई, 2023।
दिल्ली नगर निगम (MCD) में एल्डरमैन पार्षदों (Elder man Councilor) की नियुक्ति के मामले में बड़ी खबर आई है। सुनवाई के दौरान केंद्र सरकार (Central Government) ने सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) में कहा है कि एमसीडी की मालिक दिल्ली सरकार (Delhi Government) नहीं है। अतः दिल्ली सरकार का कोई आदेश नगर निगम में नहीं चल सकता। दरअसल आम आदमी पार्टी (AAP) ने उपराज्यपाल द्वारा एमसीडी के लिए मनोनीत किये गये 10 एल्डरमैन पार्षदों की नियुक्ति को कोर्ट में चुनौती दी है। इसी मामले की सुनवाई के दौरान मंगलवार को केंद्र सरकार की ओर से कोर्ट में पेश हुए वकील ने यह बात कही। मामले की सुनवाई बुधवार को भी जारी रहेगी।
मामले की सुनवाई चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ और जस्टिस जेबी पारदी वाला की बैंच कर रही है। मंगलवार को केंद्र सरकार की ओर से सुप्रीम कोर्ट में पेश हुए वकील ने कहा कि एमसीडी का प्रशासन दिल्ली सरकार के अंतर्गत नहीं आता है। जिन विषयों को 239एए के तहत दिल्ली सरकार को सौंपा गया है उनमें एमसीडी का मसला नहीं आता है। इसके बाद बैंच ने मामले की सुनवाई को बुधवार तक के लिए टाल दिया है।
आप ने उठाया ये मुद्दा
10 एल्डरमैन की नियुक्ति को लेकर आम आदमी पार्टी ने उपराज्यपाल वीके सक्सेना पर धोखा करने का आरोप लगाया है। याचिका में कहा गया है कि उपराज्यपाल ने गैरकानूनी रूप से निगम प्रशासन का अनुभव रखने वाले विशेषज्ञों के बजाय बीजेपी (BJP) कार्यकर्ताओं को एल्डरमैन बनाया है। याचिका में हवाला दिया गया है कि संविधान के आर्टिकल 243 आर कहता है कि एल्डरमैन वह लोग बनाये जा सकते हैं जो निगम प्रशासन का अनुभव रखते हों। यह भी कहा गया है कि एल्डरमैन मनोनीत करने का अधिकार केवल दिल्ली सरकार के पास है और उपराज्यपाल ने दिल्ली सरकार के अधिकारों का हनन किया है।
2019 से बदली कानूनी स्थिति
इस मामले में उपराज्यपाल कार्यालय की ओर से सुप्रीम कोर्ट में दलील दी गई है कि राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली सरकार एक्ट में 2019 हुए बदलाव के बाद कानूनी स्थिति बदल चुकी है। इसके एमसीडी एक्ट में हुए बदलावों के बाद एल्डरमैन मनोनीत करने का अधिकार दिल्ली के प्रशासक (उपराज्यपाल) के पास आ गया है।
हाई कोर्ट ने रिजर्व किया स्टेंडिंग कमेटी के 6 सदस्यों के चूनाव का मामला
बता दें कि इससे पहले दिल्ली हाई कोर्ट ने स्टेंडिंग कमेटी के 6 सदस्यों के चुनाव के मामले को सुनवाई पूरी होने के बाद रिजर्व रख लिया है। कोर्ट कभी भी इस फैसले को सुना सकता है। गौरतलब है कि मेयर के चुनाव के बाद हाउस में हुए स्टेंडिंग कमेटी के लिए 6 सदस्यों के चुनाव के मामले में मेयर शैली ओबरॉय ने दोबारा चुनाव कराने का आदेश दिया था। इस मामले को बीजेपी की दो पार्षदों शिखा राय और कमलजीत सहरावत ने चुनौती दी थी।
खुद ही कोर्ट में पेश नहीं हुईं याचिकाकर्ता
दिल्ली हाई कोर्ट में बीजेपी की जिन दो निगम पार्षदों ने मेयर के आदेश के खिलाफ याचिका लगाई थी, वह खुद ही आखिर की तीन सुनवाई के दौरान शामिल नहीं हुईं। खास बात है कि दोनों याचिकाकर्ताओं के साथ दिल्ली बीजेपी के किसी भी नेता को इसकी जानकारी नहीं थी कि सुनवाई के दौरान क्या हुआ। इसी से बीजेपी नेताओं की गंभीरता का अंदाजा लगाया जा सकता है कि निगम में बड़े-बड़े पद चाहने वाले नेता अपनी जिम्मेदारियों के प्रति कितने गंभीर हैं?