सजा देने के लिए काफी नहीं दुष्कर्म का आरोप

-सुप्रीम कोर्ट ने दी व्यवस्थाः हर तरीके से भरोसेमंद हो पीड़िता का बयान
-पीड़िता के बयान के अलावा अन्य साक्ष्यों पर भी दिया जाना चाहिए जोर

टीम एटूजैड/ नई दिल्ली
अब किसी को सजा दिलाने के लिए केवल दुष्कर्म का आरोप ही पर्याप्त नहीं होगा। सुप्रीम कोर्ट ने व्यवस्था दी है कि महज दुष्कर्म पीड़िता के बयान के आधार पर आरोपी को तब तक अपराधी नहीं ठहराया जा सकता, जब तक कि उसका बयान भरोसेमंद, मुकम्मल और वास्तविक गुणवत्ता का न हो। जस्टिस अशोक भूषण और जस्टिस एमआर शाह की पीठ ने दोहराया कि वास्तविक गवाह बहुत ही भरोसेमंद और क्षमता वाला होना चाहिए। उसकी गवाही अकाट्य होना जरूरी है।
पीठ ने यह टिप्पणी पटना के मखदूमपुर के एक व्यक्ति को दुष्कर्म के आरोपों से बरी करते हुए की। व्यक्ति पर उसकी भाभी ने दुष्कर्म का आरोप लगाया था। महिला ने कहा था कि 16 सितंबर, 2011 की रात को उसके देवर ने उसके साथ दुष्कर्म किया था। उसकी शिकायत पर एफआइआर दर्ज की गई थी। निचली अदालत ने आरोपी को दोषी ठहराते हुए 10 साल कैद की सजा सुनाई थी। हाई कोर्ट ने भी निचली अदालत के फैसले को बरकरार रखा था।
बचाव पक्ष के वकील ने पीठ के समक्ष कहा कि पीड़िता के बयान के अलावा इसमें कोई और साक्ष्य नहीं है। चिकित्सकीय प्रमाण भी आरोप की पुष्टि नहीं करते। आरोप को साबित करने के लिए अन्य कोई स्वतंत्र गवाह या साक्ष्य भी नहीं हैं।
सुनवाई के दौरान पीठ ने कहा कि सामान्य तौर पर दुष्कर्म के मामले में पीड़िता की गवाही आरोप साबित करने के लिए पर्याप्त है। लेकिन इसकी अनदेखी नहीं की जा सकती कि किसी आरोपी को झूठे मामले में फंसाया भी जा सकता है। दरअसल सुप्रीम कोर्ट ने मामले की सुनवाई के दौरान पाया कि इस मामले में दुष्कर्म की पुष्टि नहीं हो पाई है। इसी के चलते आरोपी का संदेह का लाभ देते हुए बरी कर दिया गया।