-निगम में उठे भारी विवादों के चलते हुआ ट्रांसफर!
-कोई पोस्टिंग नहीं, चीफ सक्रेटरी को करेंगी रिपोर्ट
-फिलहाल ज्ञानेश भारती संभालेंगे अतिरिक्त प्रभार
उपराज्यपाल अनिल बैजल ने उत्तरी दिल्ली नगर निगम की कमिश्नर वर्षा जोशी की छुट्टी कर दी है। गुरूवार को जादेश के मुताबिक उन्हें तुरंत प्रभाव से उनके पद से हटा दिया गया है। खास बात यह है कि वर्षा जोशी को फिलहाल कोई पोस्टिंग नहीं दी गई है और उन्हें चीफ सैक्रेट्री को रिपोर्ट करने के लिए कहा गया है।
बताया जा रहा है कि उनके कार्यकाल में उत्तरी दिल्ली नगर निगम की लगातार बिगड़ती हालत, अस्त-व्यस्त होती व्यवस्था और पिछले कुछ दिनों में नॉर्थ डीएमसी में उठे विवादों के चलते उन्हें उत्तरी निगम से चलता किया गया है। लॉकडाउन के दौरान वर्षा जोशी द्वारा निगम में की गई मनमानी की शिकायतें लगातार प्रधानमंत्री कार्यालय, गृहमंत्री कार्यालय ओर दूसरे शीर्ष मंत्रियों तक पहुंच रही थी। इसके चलते उन्हें तत्काल प्रभाव से कमिश्नर के पद से हटाया गया है।
आरोप है कि वर्षा जोशी ने कायदे-कानूनों को ताक पर रखकर नगर निगम में सीनियरिटी और जूनियरिटी के अंतर को खत्म कर दिया था। कई विभागों के शीर्ष पदों पर अनुभवहीन अधिकारियों को बैठा दिया गया था। वर्षा जोशी के ऐसे ही एक मनमानी भरे आदेश को पिछले दिनों केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के दखल के बाद पलटा गया था। जबकि वर्षा जोशी की मनमानी के शिकार हुए एक विभागाध्यक्ष ने अभी तक अपनी ड्यूटी ज्वॉइन नहीं की है और छुट्टी पर चले गए हैं।
तत्कालीन निगम आयुक्त वर्षा जोशी ने उत्तरी दिल्ली नगर निगम के एक और वरिष्ठ अधिकारी को नियमों के विरूद्ध उनके पद से हटाकर एक जूनियर आईएएस को विभागाध्यक्ष का पद सोंप दिया था। लेकिन वह अधिकारी विभाग का काम ही नहीं संभाल पाई। इसके बाद निगम को गुरूवार 14 मई को ही उसी विभाग के लिए तीन अतिरिक्त अधिकारी कांट्रेक्ट पर रखने के लिए विज्ञापन जारी करना पड़ा। इसके साथ ही गुरूवार को ही निगम आयुक्त के तबादले के आदेश भी आ गए।
नहीं संभाल सकीं कोरोना की जिम्मेदारी
1995 बैच की आईएएस वर्षा जोशी उन अधिकारियों की फेहरिश्त में शामिल हो गई हैं, जो कोरोना महामारी के संकट का सामना नहीं कर सके। उत्तरी दिल्ली नगर निगम में उनके कार्यकाल के दौरान कोरोना से जुड़ी व्यवस्थाएं नहीं संभाल पाने के आरोप लगते रहे। कोरोना की ड्यूटी पर लगे डॉक्टर्स, स्वास्थ्यकर्मी, सफाईकर्मियों की बॉर्डर पास आने की समस्या को नहीं संभाल सकीं। इसके अलावा वर्षा जोशी के ऊपर यह आरोप भी लगा कि उन्होंने लॉकडाउन में ढील शुरू होने के बावजूद कई विभागों को बंद करावाए रखा। ड्यूटी पर जुटे कोरोना वॉरियर्स की सेलरी की समस्या का समाधान भी नहीं निकाल सकीं। उनके ऊपर हमेशा आरोप लगते रहे कि वह निगम के कामों से ज्यादा ट्विटर पर व्यस्त रहती थीं। निगम पार्षदों को मिलने तक का समय नहीं देती थीं।
14 मई की शाम तक उत्तरी दिल्ली नगर निगम की आयुक्त रहीं वर्षा जोशी को इस पद से हटवाने की आग में किराड़ी की घटना ने घी डालने का काम किया है। बता दें कि राशन वितरण को लेकर किराड़ी में नगर निगम के टीचर्स के साथ मारपीट का मामला सामने आया था। वर्षा जोशी द्वारा बनवाए गए व्हाट्सएप मीडिया गु्रप में जब पत्रकारों ने इस मामले में जानकारी चाही तो उन्होंने इस घटना का ठीकरा केजरीवाल सरकार पर फोड़ने की कोशिश की थी। इसके बाद मुख्यमंत्री कार्यालय से इसकी शिकायत उपराज्यपाल तक पहुंची और शाम तक वर्षा जोशी के ट्रांसफर के ऑर्डर जारी कर दिए गए।
अनुभवहीन अधिकारियों पर गिरेगी गाज!
उत्तरी दिल्ली नगर निगम के एक वरिष्ठ नेता ने बताया कि पूर्व निगम आयुक्त वर्षा जोशी ने निगम में नियम-कायदे और कानूनों को ताक पर रख रखा था। उन्होंने निगम में प्रतिनियुक्ति पर आए अपने चहेते कई कनिष्ठ अधिकारियों को बड़े पदों पर आसीन कर दिया था। लेकिन अब ऐसे अधिकारियों की अनुभवहीनता की वजह से उनके ऊपर गाज गिरना तय है।
आम आदमी पार्टी ने किया हटाए जाने का स्वागत